

एनी
राजा,
राहुल
गांधी
और
के
सुरेंद्रन
कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
लोकसभा
चुनाव-2024
के
लिए
केरल
के
वायनाड
से
बुधवार
को
नामांकन
दाखिल
करेंगे.
राहुल
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
यहीं
से
जीत
हासिल
किए
थे.
उस
चुनाव
में
उन्होंने
दो
सीट
से
किस्मत
आजमाया
था.
वायनाड
के
अलावा
वह
अमेठी
से
लड़े
थे.
उत्तर
प्रदेश
की
इस
सीट
पर
उन्हें
हार
का
सामना
करना
पड़ा
था.
बीजेपी
की
स्मृति
ईरानी
से
उन्हें
शिकस्त
मिली
थी.
2019
में
वायनाड
में
5
लाख
वोटों
से
जीतने
वाले
राहुल
को
इस
बार
केरल
बीजेपी
के
अध्यक्ष
के
सुरेंद्रन
और
सीपीआई
की
एनी
राजा
से
चुनौती
मिल
रही
है.
ये
दोनों
अपनी
पार्टियों
के
स्टार
नेता
हैं.
के
सुरेंद्रन
जहां
केरल
बीजेपी
के
अध्यक्ष
हैं
तो
एनी
राजा
सीपीआई
महासचिव
डी
राजा
की
पत्नी
हैं
और
सीपीआई
की
दिग्गज
महिला
नेताओं
में
उनकी
गिनती
होती
है.
केरल
बीजेपी
के
अध्यक्ष
हैं
सुरेंद्रन
के
सुरेंद्रन
केरल
में
बीजेपी
के
चर्चित
चेहरे
हैं.
वह
प्रदेश
बीजेपी
के
अध्यक्ष
हैं.
2018
में
हुए
सबरीमाला
विरोध
प्रदर्शन
के
दौरान
वह
काफी
एक्टिव
रहे.
हालांकि
इस
दौरान
उनके
खिलाफ
237
मामले
भी
दर्ज
किए
गए.
उनके
खिलाफ
कुल
242
केस
हैं.
के
सुरेंद्रन
उत्तरी
केरल
के
एक
प्रमुख
नेता
हैं
जो
2020
में
बीजेपी
के
प्रदेश
अध्यक्ष
बने.
उन्होंने
2019
में
पथानामथिट्टा
निर्वाचन
क्षेत्र
से
लोकसभा
चुनाव
लड़ा
और
तीसरा
स्थान
हासिल
किया.
2018
में
सबरीमाला
आंदोलन
के
दौरान
सुरेंद्रन
को
गिरफ्तार
किया
गया
था.
एक
महीने
से
अधिक
समय
उन्होंने
जेल
में
बिताया.
2021
के
केरल
विधानसभा
चुनावों
में
उन्होंने
दो
निर्वाचन
क्षेत्रों,
मंजेश्वरम
और
कोन्नी
से
चुनाव
लड़ा,
लेकिन
दोनों
हार
गए.
सुरेंद्रन
और
पांच
अन्य
पर
2021
में
मंजेश्वरम
विधानसभा
चुनाव
में
बसपा
उम्मीदवार
के
सुंदरा
को
उम्मीदवारी
से
हटने
के
लिए
धमकी
देने
और
रिश्वत
देने
का
आरोप
लगाया
गया
था.
एनी
राजा
के
बारे
में
जानिए
एनी
राजा
सीपीआई
के
नेशनल
फेडरेशन
ऑफ
इंडियन
वुमेन
में
महासचिव
और
सीपीआई
की
राष्ट्रीय
कार्यकारिणी
की
सदस्य
हैं.
केरल
के
कन्नूर
जिले
के
इरिट्टी
में
जन्मीं
एनी
राजा
ने
अपने
राजनीतिक
करियर
की
शुरुआत
सीपीआई
की
छात्र
इकाई
ऑल
इंडिया
स्टूडेंट्स
फेडरेशन
और
फिर
इसकी
यूथ
विंग
ऑल
इंडिया
यूथ
फेडरेशन
में
शामिल
होकर
की.
एनी
राजा
ने
सीपीआई
की
महिला
विंग
के
कन्नूर
जिला
सचिव
और
फिर
सीपीआई
राज्य
कार्यकारी
समिति
के
सदस्य
के
रूप
में
भी
काम
किया.
वह
महिलाओं
के
खिलाफ
अत्याचारों
का
विरोध
करती
रही
हैं.
उन्होंने
इसके
खिलाफ
आवाज
भी
उठाई.
वायनाड
लोकसभा
सीट
वायनाड
में
सात
विधानसभा
क्षेत्र
शामिल
हैं.
कलपेट्टा,
मनंथावाडी,
सुल्तान
बाथरी,
तिरुवंबाडी,
एरानाड,
नीलांबुर
और
वंडूर.
कालापेट्टा
और
मनन्थावडी
अनुसूचित
जनजाति
निर्वाचन
क्षेत्र
हैं
और
वंडूर
एक
अनुसूचित
जाति
निर्वाचन
क्षेत्र
है.
2021
के
विधानसभा
चुनावों
में
मनंथावडी,
तिरुवंबडी
और
नीलांबुर
भारतीय
कम्युनिस्ट
पार्टी
(मार्क्सवादी)
के
खाते
में
चले
गए.
वाम
लोकतांत्रिक
मोर्चे
के
पक्ष
में
लहर
के
बावजूद
शेष
चार
ने
कांग्रेस
के
नेतृत्व
वाले
यूनाइटेड
डेमोक्रेटिक
फ्रंट
को
चुना.
वायनाड
के
कुल
मतदाताओं
में
अनुसूचित
जाति
तीन
प्रतिशत,
जबकि
अनुसूचित
जनजाति
9.5
प्रतिशत
हैं.
यहां
पर
मुस्लिम
32
फीसदी
और
ईसाई
13
फीसदी
हैं.
राहुल
के
लिए
इस
बार
आसान
नहीं
है
राह
इस
बार
के
लोकसभा
चुनाव
में
राहुल
के
लिए
राह
आसान
नहीं
है.
इंडिया
गठबंधन
के
गठन
के
बाद
से
ही
केरल
में
वामपंथियों
ने
राहुल
गांधी
की
उम्मीदवारी
पर
आपत्ति
जताई
थी.
तर्क
दिया
कि
गठबंधन
के
मुख्य
चेहरे
को
बीजेपी
के
खिलाफ
लड़ना
चाहिए.
राज्य
में
कांग्रेस
का
कहना
है
कि
राहुल
गांधी
मौजूदा
सांसद
हैं
और
वहां
से
चुनाव
लड़ते
रहेंगे.
ऐसे
में
इस
बार
राहुल
को
बीजेपी
से
तो
लड़ना
है
ही
साथ
ही
सीपीआई
का
भी
सामना
है.