Indore: इंदौर में बम की नाम वापसी कर दिल्ली दरबार विजयवर्गीय ने बढ़ाए नंबर, लेकिन सूरत-2 आपरेशन रहा असफल

Indore: इंदौर में बम की नाम वापसी कर दिल्ली दरबार विजयवर्गीय ने बढ़ाए नंबर, लेकिन सूरत-2 आपरेशन रहा असफल
Indore: Delhi Darbar Vijayvargiya increased his numbers by withdrawing the name of bomb in Indore, but Surat-2

अक्षय
बम
और
कैलाश
विजयवर्गीय।


फोटो
:
अमर
उजाला

विस्तार

भाजपा
के
राष्ट्रीय
महासचिव
के
तौर
पर
दस
सालों
तक
केंद्र
की
राजनीति
में
सक्रिय
रहे
कैलाश
विजयवर्गीय
ने
कांग्रेस
प्रत्याशी
अक्षय
बम
का
नामांकन
फार्म
वापस
करा
कर
दिल्ली
दरबार
तक
यह
संदेश
पहुंचाया
है
कि
वे
चुनावी
मैनेजेमेंट
के
माहिर
खिलाड़ी
है।

शहर
के
लोग
मान
रहे
है
कि इंदौर
में
भाजपा
की
स्थिति
वैसे
ही
मजबूत
है।
यदि
बम
भाजपा
में
नहीं
आते
तब
भी
भाजपा
उम्मीदवार
शंकर
लालवानी
को
कोई
बड़ी
चुनौती
नहीं
थी,
लेकिन
बम
की
नाम
वापसी
के
कारण
इंदौर
लोकसभा
सीट
देशभर
में
चर्चा
का
विषय
बन
गई।
विजयवर्गीय
ने
बम
की
नाम
वापसी
के
बहाने
केंद्रीय
नेतृत्व
की
नजरों
में
नंबर
बढ़ाए,
लेकिन
आपरेशन
सूरत-2
विफल
रहा।
सूरत
में
भाजपा
प्रत्याशी
निर्विरोध
चुने
गए।
इंदौर
में
यह
नहीं
हो
पाया। 

तमाम
कोशिशों
के
बावजूद
इंदौर
से
सभी
निर्दलीय
उम्मीदवारों
की
नाम
वापसी
नहीं
हो
पाई।
सिर्फ
9
उम्मीदवारों
ने
ही
नाम
वापस
लिए।
अब
भी
इंदौर
में
14 उम्मीदवार
मैदान
में
है।
इसकी
एक
वजह
यह
भी
है
कि
आपरेशन
सूरत-2
के
लिए
सिर्फ
विजयवर्गीय
खेमा
ही
प्रयास
करता
रहा।


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इंदौर
के
दूसरे
बड़े
भाजपा
नेता

पदाधिकारियों
ने
रुचि
नहीं
ली।
मध्य
प्रदेश
में
न्यू
जाॅइनिंग
टोली
के
संयोजक
पूर्व
मंत्री
नरोत्तम
मिश्रा
है,
लेकिन
उन्हें
भी
इंदौर
के
घटनाक्रम
की
पहले
से
जानकारी
नहीं
थी।
भाजपा
प्रत्याशी
शंकर
लालवानी
को
भी
कांग्रेस
प्रत्याशी
बम
की
नाम
वापसी
की
बात
पहले
से
नहीं
पता
थी।


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विजयवर्गीय
के
जरिए
तीन
बड़े
नेता
आ चुके
है
भाजपा
में

कैलाश
विजयवर्गीय
ने
अक्षय
बम
को
भाजपा
में
लाने
से
पहले
पूर्व
कांग्रेस
विधायक
अंतर
सिंह
दरबार
और
पंकज
संघवी
की
एंट्री
भाजपा
में
कराई
है।
दरअसल
जब
विजयवर्गीय
को
बंगाल
का
प्रभारी
बनाया
गया
था,
तब
वहां
भी
उन्होंने
टीएमसी
के
कई
बड़े
नेता

विधायकों
की
एंट्री
भाजपा
में
कराई
थी।
अब
भले
ही
वे
प्रदेश
की
राजनीति
में
सक्रिय
है,
लेकिन
लोकसभा
चुनाव
में
भी
उन्होंने
बंगाल
वाली
रणनीति
अपनाई
है।
छिंदवाड़ा
सीट
पर
भी
वे
काफी
सक्रिय
रहे।

भाजपा
ने
विधानसभा
चुनाव
में
उन्हें
एक
नंबर
विधानसभा
सीट
से
टिकट
दिया
था।
चुनाव
जीतने
के
बाद
विजयवर्गीय
ने
भाजपा
के
राष्ट्रीय
महासचिव
पद
से
इस्तीफा
दे
दिया
था।
बाद
में
वे
प्रदेश
सरकार
के
मंत्रीमंडल
में
भी
शामिल
हुए।