

मप्र
लोकसभा
चुनाव।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
राजस्थान
की
सीमा
से
लगे
मप्र
के
राजगढ़
संसदीय
क्षेत्र
में
आठ
विधानसभा
क्षेत्र
हैं।
ये
गुना
से
दो,
राजगढ़
से
पांच
और
आगर-मालवा
जिले
(परिसीमन
में
शाजापुर)
से
एक
सीट
है,
जो
ग्वालियर-चंबल,
मध्यक्षेत्र
और
मालवा
अंचल
को
समाहित
करती
हैं।
राजा
-रजवाड़ों
का
गढ़
और
उनके
विजय
की
रणभूमि
रहा
है
राजगढ़
संसदीय
सीट।
1951-52
में
राजगढ़-शाजापुर
सीट
थी
राजगढ़
और
शाजापुर
1951-52
में
संयुक्त
सीट
थी।
1957
और
1962
में
राजगढ़
संसदीय
क्षेत्र
रहा।
1967
और
1971
में
यह
क्षेत्र
शाजापुर
में
शामिल
कर
लिया
गया
था।
1977
में
राजगढ़
पुनः
लोकसभा
क्षेत्र
के
मानचित्र
पर
आया।
नरसिंहगढ़
रियासत
के
पूर्व
शासक
भानुप्रताप
सिंह
1962
में
स्वतंत्र
उम्मीदवार
के
रूप
में
मैदान
में
थे,
उन्होंने
कांग्रेस
के
मध्य
भारत
के
प्रमुख,
वरिष्ठ
नेता
लीलाधर
जोशी
को
पराजित
किया
था।
1977
और
1980
में
भालोद
और
जनता
पार्टी
से
पंडित
वसंत
कुमार
निर्वाचित
हुए
थे।
1984
में
प्रदेश
कांग्रेस
के
प्रमुख
दिग्विजय
सिंह
ने
भाजपा
के
उम्मीदवार
को
रिकॉर्ड
मतों
से
पराजित
किया
था।
इसके
बाद
1989
में
भाजपा
के
प्यारेलाल
खंडेलवाल
ने
दिग्विजय
सिंह
को
पराजित
कर
1984
का
हिसाब
बराबर
किया
था।
फिर
1991
में
दिग्विजय
सिंह
ने
भाजपा
के
प्यारेलाल
खंडेलवाल
को
पराजित
कर
दिया
था।
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प्यारेलाल
खंडेलवाल,
कैलाश
जोशी
और
नीतीश
भारद्वाज
भी
हारे
1996
में
दिग्विजय
सिंह
के
छोटे
भाई
लक्ष्मण
सिंह
कांग्रेस
से
उम्मीदवार
थे।
उन्होंने
भाजपा
के
प्यारेलाल
खंडेलवाल
को
पराजित
किया
था।
कांग्रेस
के
इस
किले
को
भेदने
के
लिए
भाजपा
ने
वरिष्ठ
और
पूर्व
मुख्यमंत्री
कैलाश
जोशी
को
उम्मीदवार
बनाया
था,
लेकिन
जोशी
भी
यहां
से
पराजित
हो
गए
थे।
1998
में
भाजपा
ने
महाभारत
में
कृष्ण
का
किरदार
अदा
करने
वाले
नीतीश
भारद्वाज
को
उम्मीदवार
बनाया,
भारद्वाज
को
क्षेत्र
में
जनता
ने
काफी
सम्मान
दिया
पर
वोट
नहीं
दिए
और
कांग्रेस
के
लक्ष्मणसिंह
विजयी
रहे
थे।
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लक्ष्मण
सिंह
भाजपा
में
आ
गए
राजगढ़
में
भाजपा
विजय
तो
प्राप्त
नहीं
कर
सकी,
पर
लक्ष्मण
सिंह
पर
विजय
प्राप्त
कर
ली
और
वे
भाजपा
में
शामिल
हो
गए।
2004
में
लक्ष्मणसिंह
भाजपा
से
चुनाव
लड़े,
उन्होंने
कांग्रेस
के
शंभूसिंह
को
पराजित
किया
था।
2009
में
कांग्रेस
के
नारायणसिंह
ने
भाजपा
के
लक्ष्मणसिंह
को
पराजित
कर
दिया
था।
2014
और
2019
में
भाजपा
के
रोडमल
नागर
ने
कांग्रेस
उम्मीदवार
को
पराजित
कर
रिकॉर्ड
मतों
से
विजय
प्राप्त
की
थी।
1994
में
हुए
उपचुनाव
में
कांग्रेस
से
लक्ष्मणसिंह
विजयी
रहे
थे।
मिलते
जुलते
नामों
के
प्रत्याशी
लड़े
चुनाव
चुनाव
में
मतदाताओं
को
भ्रमित
करने
के
लिए
प्रमुख
उम्मीदवारों
से
मिलते
जुलते
नामों
के
उम्मीदवार
राजगढ़
से
चुनाव
मैदान
में
खड़े
होते
रहे
हैं।
1998
में
भाजपा
के
कैलाश
जोशी
खड़े
थे,
वहीं,
एक
निर्दलीय
उम्मीदवार
कैलाश
जोशी
गीताचरण
भी
चुनाव
मैदान
में
थे।
2004
में
भाजपा
से
लक्षमणसिंह
चुनाव
मैदान
में
थे
तब
लक्ष्मणसिंह
लिम्बोदा
और
लक्ष्मणसिंह
सेमली
मैदान
में
थे।
2009
में
लक्ष्मण
वर्मा
चुनाव
मैदान
में
थे।
इस
तरह
से
मिलते
जुलते
नाम
के
उम्मीदवार
यहां
से
खड़े
होते
रहे
हैं।
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इस
बार
15
प्रत्याशी
मैदान
में
2024
के
लोकसभा
चुनाव
में
क्षेत्र
से
15
उम्मीवार
चुनाव
मैदान
में
हैं।
कांग्रेस
से
दिग्विजय
सिंह,
भाजपा
से
मौजूदा
सांसद
रोडमल
नागर
और
बसपा
के
राजेंद्र
सूर्यवंशी
के
अलावा
12
अन्य
उम्मीदवार
हैं।
दिग्विजयसिंह
के
मैदान
में
रहने
से
चुनाव
काफी
रोचक
हो
गया
है।
रोचक
जानकारी:-
-
सबसे
कम
मतों
से
जीत
1991
में
दिग्विजय
सिंह
की
रही।
वे
1470
मतों
से
जीते
थे।
जबकि
सर्वाधिक
मतों
से
जीत
2019
में
भाजपा
के
रोडमल
नागर
की
मिली
थी।
वे
4,31,019
से
विजयी
रहे
थे। -
सर्वाधिक
उम्मीदवार
चुनाव
मैदान
में
1996
में
24
और
सबसे
कम
उम्मीदवार
1977
में
3
चुनाव
मैदान
में
थे। -
राजगढ़
संसदीय
क्षेत्र
में
सर्वाधिक
मतदान
2019
में
74.39
प्रतिशत
और
सबसे
कम
मतदान
1957
में
38.27
प्रतिशत
रहा
था
2024
लोकसभा
चुनाव
मतदाता
पुरुष मतदाता |
9,60,505 |
महिला | 9,09,409 |
थर्ड जेंडर |
23 |
कुल मतदाता संख्या |
18,69,937 |