
पीड़ित
चपरासी
मथुरालाल।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
मध्य
प्रदेश
के
राजगढ़
जिले
के
एसडीएम
कार्यालय
में
चपरासी
के
पद
पर
पदस्थ
कर्मचारी
के
साथ
अजीबो
गरीब
वाक्या
पेश
आया
है,
जिसने
सभी
को
अचंभित
कर
दिया।
पीड़ित
का
आरोप
है
कि
उसने
पैरों
के
दर्द
के
लिए
शासकीय
आयुर्वेदिक
अस्पताल
से
दवाइयां
ली
थी।
उनके
लगातार
इस्तेमाल
से
उसे
गुप्तांग
में
परेशानी
होने
लगी
है।
इसके
इलाज
में
अब
10
लाख
रुपये
का
खर्च
बताया
गया
है।
दरअसल,
राजगढ़
शहर
में
रहने
वाले
55
वर्षीय
मथुरालाल
ने
करीब
11
महीने
पहले
पैरों
में
होने
वाले दर्द
की
शिकायत
को
लेकर
राजगढ़
के
आयुर्वेदिक
अस्पताल
में
किसी
चिकित्सक
को
दिखाया
था।
डॉक्टर
के
द्वारा
उन्हें
दर्द
के
उपचार
के
लिए
दवाइयां
लिखी
गई,
जिसे
मथुरालाल
ने
आयुर्वेदिक
दवाइयों
के
स्टोर
से
ले
लिया।
इसके
बाद
से
वह
नियमित
उक्त
दवाइयों
का
सेवन
कर
रहे
थे।
पीड़ित
का
आरोप
है
कि
उनमें
से
एक
दवाई
को
चबाने
पर
उन्हें
बीते
कुछ
महीने
से
कंकड़
की
तरह
से
आवाज
आ
रही
है।
इससे
उनके
प्राइवेट
पार्ट
में
भी
शिकायत
हुई
है।
जिसे
लेकर
उन्होंने
भोपाल
के
किसी
डॉक्टर
से
चेकअप
कराया
तो
उसने
ऑपरेशन
कराने
की
बात
कही
है,
जिसका
खर्च
दस
लाख
रुपये
बताया
गया
है।
पीड़ित
चपरासी
की
परेशानी
को
लेकर
आयुष
विभाग
के
जिला
प्रभारी
डॉक्टर
आरएन
गर्ग
से
बात
की
गई
तो
उन्होंने
कहा
कि
मथुरालाल
जी
को
मैं
पर्सनल
तौर
पर
जानता
हूं।
उनकी
इस
परेशानी
के
बारे
में
मुझे
दूसरो
से
पता
चला
है।
आपको
बता
कि
दूं
आयुर्वेदिक
दवाइयां
स्टोर
से
वितरित
की
जाती
हैं,
जो
दवाई
उन्हें
दी
गई
थी
वह
कड़क
होती
है।
इसलिए,
उन्हें
ऐसा
लगा
होगा
कि
इसमें
कंकड़
हैं।
वे
मेरे
पास
नहीं
आए,
आप
उन्हें
हमारे
पास
भेज
दें।
उनकी
जो
भी
समस्या
है,
हम
उसे
दिखवाकर
उन्हें
उपचार
और
दवाई
दोनों
ही
उपलब्ध
कराएंगे।
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