
इंदौर
ला
कालेज।
–
फोटो
:
अमर
उजाला,
डिजिटल,
इंदौर
विस्तार
इंदौर
के
शासकीय
लॉ
कॉलेज
की
लाइब्रेरी
में
मिली
कथित
विवादित
किताब
मामले
में
निलंबित
प्रिंसिपल
प्रो.इनामुर्रहमान
को
सुप्रीम
कोर्ट
से
राहत
मिल
गई
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
प्रिंसिपल
के
खिलाफ
कार्यवाही
और
एफआईआर
को
रद्द
कर
दिया
है।
बता
दें
कि
प्रो.इनामुर्रहमान
इसी
महीने
के
आखिर
में
रिटायर
होने
वाले
हैं।
इंदौर
हाईकोर्ट
से
याचिका
निरस्त
होने
के
बाद
प्रिंसिपल
ने
इसी
महीने
की
शुरुआत
में
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
लगाई
थी।
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
एफआईआर
रद्द
करने
की
पुष्टि
प्रो.इनामुर्रहमान
के
एडवोकेट
अभिनव
धनोतकर
ने
की
है।
उन्होंने
बताया
कि
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
लगाई
थी,
जिस
पर
मंगलवार
को
सुनवाई
हुई।
क्या
है
मामला
साल
2022
के
दिसंबर
में
यह
मामला
सामने
आया।
शासकीय
लॉ
कॉलेज
के
शिक्षकों
पर
धार्मिक
कट्टरता
फैलाने
का
आरोप
लगा।
इसके
बाद
मामला
पुलिस
तक
पहुंचा।
यहां
के
छात्रों
ने
भंवरकुआं
थाने
में
पुलिस
को
एक
आवेदन
दिया,
इसके
साथ
इससे
जुड़े
सबूत
भी
दिए
गए।
मामले
में
किताब
के
लेखक
डॉ.
फरहत
खान,
इंदौर
शासकीय
नवीन
विधि
महाविद्यालय
के
प्राचार्य
इनामुर्रहमान,
कॉलेज
के
प्रोफेसर
डॉ.मिर्जा
मोईज
के
खिलाफ
केस
दर्ज
करने
की
मांग
की
गई।
पुलिस
को
दिए
आवेदन
के
साथ
किताब
सामूहिक
हिंसा
एवं
दाण्डिक
न्याय
पद्धति
का
लेखन
संलग्न
की
गई।
आरोप
लगाया
कि
किताब
में
लेखक
द्वारा
जानबूझकर
असत्य
एवं
बिना
किसी
साक्ष्य
के
आधार
पर
हिन्दू
धर्म
के
विरुद्ध
नितांत
झूठी
टिप्पणियां
की।
विषयांतर्गत
पुस्तक
को
इंदौर
शासकीय
विधि
महाविद्यालय
के
मुस्लिम
शिक्षकों
द्वारा
जानबूझकर
छात्रों
को
रेफर
किया
गया।
जांच
अधिकारी
के
खिलाफ
नोटिस
जारी
करेंगे
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मध्यप्रदेश
हाई
कोर्ट
की
जमकर
खिंचाई
की।
आपराधिक
कार्यवाही
पर
अंतरिम
रोक
लगाने
से
इनकार
करने
के
लिए
मप्र
हाई
कोर्ट
की
खिंचाई
हुई।
बेंच
ने
कार्यवाही
और
एफआईआर
को
रद्द
करते
हुए
कहा
कि
यह
मामला
सिलेबस
के
बारे
में
है।
सुनवाई
के
दौरान
SC
के
जस्टिस
बीआर
गवई
और
जस्टिस
संदीप
मेहता
ने
कहा
कि
राज्य
ऐसे
मामले
में
उत्पीड़न
करने
के
लिए
इतना
उत्सुक
क्यों
है।
यह
पुस्तक
तो
सुप्रीम
कोर्ट
की
लाइब्रेरी
में
भी
मिल
सकती
है।
वह
(प्रो.इनामुर्रहमान)
पहले
से
ही
अग्रिम
जमानत
पर
बाहर
थे।
न्यायमूर्ति
गवई
ने
पूछा,
“राज्य
(मध्य
प्रदेश)
ऐसे
मामले
में
एक
अतिरिक्त
महाधिवक्ता
को
पेश
करने
में
क्यों
दिलचस्पी
रखता
है?”
वह
भी
चेतावनी
पर
?
!
जाहिर
है,
यह
उत्पीड़न
का
मामला
लगता
है
!
किसी
को
उसे
(याचिकाकर्ता
को)
परेशान
करने
में
दिलचस्पी
है
!
हम
आईओ
(जांच
अधिकारी)
के
खिलाफ
नोटिस
जारी
करेंगे
!
राज्य
को
इस
मामले
में
कैविएट
दाखिल
करने
में
दिलचस्पी
क्यों
है?
विज्ञापन
विज्ञापन