अनोखा आयोजन: महिलाओं की सोटियों की मार से बचकर आदिवासी युवक किस तरह पूरी करते हैं गुड़ तोड़ परंपरा, जानें सब कुछ

अनोखा आयोजन: महिलाओं की सोटियों की मार से बचकर आदिवासी युवक किस तरह पूरी करते हैं गुड़ तोड़ परंपरा, जानें सब कुछ
अनोखा आयोजन: महिलाओं की सोटियों की मार से बचकर आदिवासी युवक किस तरह पूरी करते हैं गुड़ तोड़ परंपरा, जानें सब कुछ

गुड़
तोड़
परंपरा


फोटो
:
अमर
उजाला

विस्तार

खरगोन
के
धूलकोट
स्थित
बाजार
चौक
में
गुड़
तोड़
परंपरा
का
आयोजन
आदिवासी
भिलाला
समाज
द्वारा
बुधवार
को
होली
के
बाद
आने
वाली
सप्तमी
के
दिन
किया
गया
था।
इसमें
जिले
सहित
आसपास
के
क्षेत्र
से
भी
बड़ी
संख्या
में
समाज
जन
इस
आयोजन
को
देखने
पहुंचे
थे।

बता
दें
कि
यह
परंपरा
हर
दो
वर्ष
के
अंतराल
में
आयोजित
होती
है,
जिसमें
दरबार
भिलाला
समाजजनों
द्वारा
सात
बार
गुड़
की
पोटली
को
चढ़ाया
एवं
उतारा
जाता
है।
इस
कार्यक्रम
में
आदिवासी
भिलाला
समाज
धूलकोट
के
ही
भाग
लेते
हैं।
लेकिन
खरगोन,
बड़वानी,
बुरहानपुर
सहित
खंडवा
जिले
के
आसपास
के
क्षेत्रों
से
भी
लोग
इसे
देखने
पहुंचे
हुए
थे।
दरबार
समाज
के
अनुसार,
पूजन
के
बाद
गड्ढा
खोदकर
12
फीट
का
खंबा
गाड़
दिया
जाता
है,
जिस
पर
एक
लाल
कपड़े
में
गुड

चने
की
पोटली
बांधकर
लटका
दी
जाती
है।
उसे
उतारने
के
लिए
युवाओं
की
टीम
सोटियों
के
मार
से
बचकर
खंभे
तक
पहुंचती
है।

इन
पर
युवतियों

महिलाओं
द्वारा
सोटियां
बरसाई
जाती
हैं।
गुड़
को
सात
बार
पोल
पर
बांधा
और
सात
बार
ही
उसे
युवाओं
की
टोलियां
द्वारा
उतारने
के
लिए
प्रयास
किये
जाते
हैं।
प्रथम

अंतिम
बार
में
मोरे
परिवार
के
सदस्यों
द्वारा
गुड़
तोड़ा
गया।
इस
दौरान
आदिवासी
समाज
जन
पारंपरिक
वेशभूषा
में
ढोल
और
मांदल
की
थाप
पर
जमकर
थिरके
तो
वहीं
इस
आयोजन
की
सुरक्षा
व्यवस्था
में
भगवानपुरा
खरगोन

बिस्टान
थाने
का
पुलिसबल
मौजूद
था।


सात
बार
तोड़ते
और
सात
बार
उतारते
हैं

वहीं,
इस
अनोखी
परंपरा
के
बारे
में
बताते
हुए
गांव
के
विजय
सिंह
पटेल
ने
बताया
कि
यह
परंपरा
करीब
150
वर्षों
से
चली

रही
है
और
अब
हमारी
चौथी
पीढ़ी
हो
गई
है।
वहीं,
इसके
महत्व
के
बारे
में
बताते
हुए
उन्होंने
बताया
कि
इसका
उद्देश्य
सबका
साथ
है।
इसे
अधिकतर
मौर्य
परिवार
और
मंडलोई
परिवार
तोड़ते
हैं और
इसमें
सबसे
पहले
पटेल
के
यहां
से
आरती
आती
है,
जिसमें
पूरे
गांव
के
और
सभी
समाजों
के
लोग
मिलकर
नाचते
गाते
हैं।
इसके
बाद
यहां
खंबा
गाडकर
उसकी
आरती
होती
है
और
उसे
सात
बार
तोड़ते
हैं
और
सात
बार
उतारते
हैं।


भिलाला
समाज
करवाता
है
यह
आयोजन

वहीं,
गांव
के
ही
समाजसेवी
भागीरथ
बडोले
ने
बताया
कि
यह
परंपरा
हमारे
पूर्वजों
द्वारा
शुरू
हुई
करीब
150
वर्ष
पुरानी
परंपरा
है।
इसमें
हमारी
बहनें
और
जो
रिश्तेदार
बाहर
रहते
हैं,
वह
यहां
इकठ्ठा
होते
हैं
और
इस
गुड
तोड़
परंपरा
को
हमारा
मंडलोई
परिवार
तोड़ते

रहा
है।
जो
हमारे
गांव
के
पटेल
परिवार
रहते
हैं,
वह
राम
जी
की
पूजा
करने
के
बाद
यहां
खंबा
गाड़ते
हैं
और
गाड़ने
के
बाद
भिलट
बाबा
की
पूजा
करने
जाते
हैं।
इसके
बाद
यहां
पर
सात
बार
हांडी
चढ़ाई
जाती
है
और
उतारी
जाती
है,
जिसके
बाद
यह
कार्यक्रम
समाप्त
होता
है।
इस
कार्यक्रम
में
सभी
समाज
के
लोगों
का
आमंत्रित
किया
जाता
है
और
सभी
आकर
इसका
आनंद
लेते
हैं,
और
इसका
उद्देश्य
सभी
समाजों
में
समरसता
लाना
है।
यह
हमारे
भिलाला
समाज
के
द्वारा
करवाया
जाता
है।