नई
दिल्ली.
बम्बई
हाईकोर्ट
ने
एक
व्यक्ति
के
खिलाफ
लुक
आउट
सर्कुलर
जारी
करने
के
मामले
में
प्रवर्तन
निदेशालय
(ED)
की
जमकर
क्लास
लगाई.
याचिकाकर्ता
का
आरोप
था
कि
ईडी
के
इस
कारनामे
के
चलते
उसे
हिरासत
में
ले
लिया
गया
और
उसकी
नौकरी
भी
चली
गई.
कोर्ट
ने
इस
मामले
को
गंभीरता
से
लिया.
बेंच
ने
‘लुक
आउट
सर्कुलर
(LOC)’
को
रद्द
करते
हुए
यह
स्पष्ट
तौर
पर
कहा
कि
किसी
व्यक्ति
को
महज
इस
आधार
पर
हिरासत
में
नहीं
लिया
जा
सकता
है
क्योंकि
वो
जांच
में
कथित
तौर
पर
सहयोग
नहीं
कर
रहा
है.
मनी
लॉन्ड्रिंग
का
यह
मामला
ड्रग्स
की
तस्कर
इकबाल
मेमन
उर्फ
इकबाल
मिर्ची
से
जुड़ा
है.
इस
मामले
में
मनी
ट्रेल
की
जांच
कर
रही
ईडी
ने
संजय
कुमार
अग्रवाल
नामक
व्यक्ति
के
खिलाफ
लुक
आउट
सर्कुलर
जारी
किया
था.
अग्रवाल
को
2020
में
ईडी
ने
पूछताछ
के
लिए
तलब
किया
था.
अग्रवाल
ने
दावा
किया
कि
उन्हें
इस
मामले
में
बतौर
आरोपी
आरोपित
भी
नहीं
किया
गया
है.
2021
में
ईडी
द्वारा
जारी
किये
गये
लुक
आउट
सर्कुलर
को
बम्बई
हाईकोर्ट
में
चुनौती
दी
गई.
अग्रवाल
ने
कहा
कि
वह
1995
से
बहरीन
एवं
दुबई
में
काम
कर
रहे
हैं
और
अब
एलओसी
के
कारण
उन्हें
भारत
में
हिरासत
में
ले
लिया
गया
है
एवं
वह
बेरोजगार
हो
गये
हैं.
यह
भी
पढ़ें:- मनीष
सिसोदिया,
के
कविता
और
फिर
केजरीवाल…
ED
अब
किसे
आरोपी
बनाने
जा
रही?
हाईकोर्ट
में
किया
इस
नाम
का
खुलासा
आरोपित
नहीं,
फिर
भी
था
हिरासत
में…
न्यायमूर्ति
रेवती
मोहिते
डेरे
और
न्यायमूर्ति
मंजूषा
देशपांडे
की
पीठ
ने
17
अप्रैल
को
अपने
फैसले
(जो
अब
वेबसाइट
पर
अपलोड
हुआ)
में
कहा
कि
ईडी
2019
से
इस
मामले
की
जांच
कर
रही
है
और
उसके
सामने
अग्रवाल
के
पेश
होने
के
बावजूद
उसे
उनके
खिलाफ
कोई
सामग्री
नहीं
मिली
है.
बेंच
ने
कहा
कि
ऐसे
में
उन्हें
हिरासत
में
और
रखना
सही
नहीं
होगा.
हाईकोर्ट
ने
ईडी
के
खिलाफ
सख्त
रुख
अख्तियार
करते
हुए
कहा,
‘‘
याचिकाकर्ता
को
दिसंबर,
2020
से
ही
आजीविका
से
वंचित
कर
दिया
गया
है.
वह
दो
दशक
से
अधिक
समय
से
पश्चिम
एशिया
में
काम
रहे
रहे
हैं.’’
ईडी
ने
किया
था
अर्जी
का
विरोध…
ईडी
ने
यह
कहते
हुए
अग्रवाल
की
अर्जी
का
विरोध
किया
कि
वैसे
इस
मामले
में
उन्हें
नामजद
नहीं
किया
गया
है,
लेकिन
वह
जांच
में
सहयोग
भी
नहीं
कर
रहे
हैं.
पीठ
ने
कहा
कि
वह
इस
दलील
को
स्वीकार
नहीं
कर
सकती
है.
बेंच
ने
कहा,
‘‘
किसी
व्यक्ति
को
महज
इस
आधार
पर
हिरासत
में
नहीं
लिया
जा
सकता
है
कि
वह
जांच
में
सहयोग
नहीं
कर
रहा
है.
असहयोग
की
वजह
यह
भी
हो
सकती
है
कि
व्यक्ति
के
पास
संबंधित
मामले
के
संबंध
में
जानकारी
न
हो.’’
1995
से
बहरीन
में
काम
कर
रहे
हैं…
अर्जी
के
मुताबिक,
अग्रवाल
1995
से
बहरीन
में
काम
कर
रहे
थे
और
2012
में
वह
समूह
वित्तीय
नियंत्रक
के
रूप
में
‘इंपेरियल
सूट्स
होटल’
(जिसका
कथित
रूपसे
मालिक
मिर्ची
था)
से
जुड़े
थे.
अग्रवाल
ने
दावा
किया
कि
उन्हें
नहीं
पता
था
कि
उक्त
होटल
का
मालिक
कौन
है,
वह
तो
बस
आसिफ
मेमन
और
जुनैद
मेमन
(मिर्ची
के
बेटों
स)
से
निर्देश
लिया
करते
थे.
उन्होंने
दावा
किया
कि
उन्हें
इकबाल
मेमन
उर्फ
मिर्ची
या
उनके
परिवार
के
किसी
सदस्य
के
निजी
कारोबार
व
धंधे
के
बारे
में
कुछ
पता
नहीं
था
और
उन्होंने
मिर्ची
से
न
कभी
मुलाकात
की
और
न
ही
बातचीत
की.
(एजेंसी
इनपुट
के
साथ)
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FIRST
PUBLISHED
:
May
14,
2024,
21:51
IST