Damoh News: ‘मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना’ में किए गए फर्जीवाड़े की जांच शुरू, रोका गया भुगतान

Damoh News Investigation into fraud in Mukhyamantri Sikho Kamao Yojana started payment stopped

फर्जीवाड़े
की
जांच
शुरू


फोटो
:
अमर
उजाला

विस्तार

दमोह
जिले
के
तेंदूखेड़ा
ब्लॉक
में
मुख्यमंत्री
सीखो
कमाओ
योजना
में
किए
गए
फर्जीवाड़े
की
जांच
कलेक्टर
के
निर्देश
पर
शुरू
हो
गई
है।
तेंदूखेड़ा
एसडीएम
अविनाश
रावत
ने
रजिस्ट्रेशन
करने
वाले
आईटीआई
के
प्राचार्य
को
बुलाकर
उनसे
जानकारी
लेना
शुरू
कर
दिया
है।
वहीं,
जबेरा
विधायक
और
पर्यटन
मंत्री
धर्मेंद्र
सिंह
ने
भी
इस
मामले
की
शीघ्र
जांच
करने
के
निर्देश
दिए
हैं।

बता
दें
कि
मप्र
के
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
के
कार्यकाल
में
युवाओं
के
लिए
यह
योजना
शुरू
की
गई
थी,
जिसमें
अधिकारियों
ने
फर्जीवाड़ा
कर
दिया।
तेंदूखेड़ा
ब्लॉक
में
कहने
को
83
प्रतिष्ठान
इस
योजना
में
पंजीकृत
हैं
और
उनमें
चालीस
ऐसे
हैं,
जिनमें
19-19
छात्र
का
रजिस्टर्ड
है।
ये
प्रतिष्ठान
ये
दावा
करते
हैं
कि प्रतिदिन
रजिस्ट्रेशन
वाले
छात्रों को
सुबह से
शाम
तक
प्रशिक्षण
देते
हैं।
लेकिन
इतने
बड़े
स्तर
पर
होने
वाले प्रशिक्षण
की
किसी
को
कोई
जानकारी
नहीं
है।
जानकारी
ली
गई
तो
पता
चला
कि
तेंदूखेड़ा
ब्लॉक
में
यह
योजना
हकीकत
में
कम
कागजों
में
ज्यादा
चल
रही
है।
 

दमोह
कलेक्टर
ने
इसकी
हकीकत
जानने
के
लिए
एक
टीम
गठित
की
है।
वहीं, प्रदेश
के
राज्यमंत्री
धर्मेंद्र
सिंह
लोधी
ने
कहा
है,
भाजपा
की
प्रत्येक
योजना
जनता
और
युवाओं
के
हित
में चलाई
जाने
वाली
योजना
है।
मैं खुद
दमोह
कलेक्टर
से
बात
करूंगा
और
इस
योजना
की
पूरी
जांच
निष्पक्ष
रूप
से
करने
निर्देश
दूंगा। जो
लोग
पात्र
हैं, वही
इसका
लाभ
लेंगे
और
जिनके
द्वारा
फर्जीवाड़ा
किया
गया
है,
उन
पर
कार्रवाई होगी।


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जांच
के
बाद
होंगे
भुगतान

तेंदूखेड़ा
एसडीएम
अभिनाश
रावत
ने
तेंदूखेड़ा
आईटीआई
के
प्राचार्य
और
नोडल
अधिकारी
से
पूरे
मामले
की
जानकारी
ली
और
पंजीकृत
प्रतिष्ठानों
के
सत्यापन
की
बात
कही।
इस
पर
आईटीआई
के
प्राचार्य
ने
एसडीएम
को
बताया
कि कई
प्रतिष्ठान
उनके
नॉलेज
में
नहीं
हैं,
जिनका
सत्यापन
किया
उसमें
भी
जानकारी
गलत
दी
गई। ये
सभी
कार्य
दमोह
आईटीआई
के
द्वारा
संचालित
किया
गया
है।
यह
बात
सुन
तेंदूखेड़ा
एसडीएम
ने
कहा,
जब
तक
जांच
नहीं
हो
जाती,
तब
तक
इस
योजना
के
भुगतान
पर
रोक
लगाई
जाए।


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दुकान
नहीं,
केवल
जीएसटी
है 

सीखो
कमाओ
योजना
लागू
होने
से
पहले
इसमें
कई
शर्ते
रखी
गई
थी।
पहली
शर्त
थी,
एक
एजेंसी
में
परिवार
का
कोई
दूसरा
सदस्य
नहीं
होगा।
ब्लड
रिलेशन
के
रिश्तेदार
इस
योजना
का
हिस्सा
नहीं
बन
सकते।
इसके
आलावा
जो
पंजीकृत प्रतिष्ठान
होगा,
उसकी
दुकान
और
व्यवसाय
होगा।
जहां
शिक्षित
बेरोजगार
युवा
उस
व्यवसाय
के
बारे
में
सीखेंगे,
जिन
लोगों के
इस
योजना
में
पंजीयन
हुए हैं,
उनमें
अधिकांश के
पास
कोई
व्यवसाय
या
प्रतिष्ठान
ही
नहीं
है।
केवल
जीएसटी
नंबर
है।
ऐसी
स्थिति में वह
केबल
कागजों
पर
ही
प्रशिक्षण
दे
सकते
हैं,
हकीकत
में
नहीं।
दूसरी
बात
कई
प्रतिष्ठानों
में परिजन
और
ब्लड
संबंधी
लोग
सदस्य
बने
हैं,
जो
पूरी
तरह
नियम
के
विपरीत
है।


इनके
लिए
थी
योजना

मुख्यमंत्री
सीखो
कमाओ
योजना
में
युवाओं
को
विभिन्न
क्षेत्रों
में
प्रशिक्षण
दिलवाए जाएंगे।
योजना
के
माध्यम
से प्रदेश
सरकार
प्रदेश
के
युवाओं
को
उनके
कौशल
और
प्रशिक्षण
का
संवर्धन
करने
में
मदद
कर
रही
है,
ताकि
वे
अच्छे
रोजगार
के
अवसरों
का
लाभ
उठा
सकें।
प्रशिक्षण
कार्यक्रमों
में
युवाओं
को
उनके
क्षेत्र
में
आवश्यक
कौशल
प्रदान
किए
जाते
हैं,
जैसे
कंप्यूटर,
टेक्नीकल
कौशल,
गैर-तकनीकी
कौशल,
कृषि,
हॉस्पिटैलिटी
आदि,
जिस
समय
यह
योजना
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
ने
शुरू
की
थी। उन्होंने
घोषण
की
थी
की,
जो
छात्र
या
छात्रा
बारहवीं
पास
हैं,
उनके
लिए
आठ
हजार
रुपया
महीना,
जो
छात्र
आईटीआई
पास
हैं,
उनको
आठ
हजार
पांच
सौ
रुपया,
जिन्होंने
डिप्लोमा
किया
है,
उनको
नौ
हजार
और
उससे
ज्यादा
योग्यता
रखने
वाले
को
दस
हजार
रुपया
प्रतिमाह
दिया
जाएगा।


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एक
सप्ताह
में
होगी
जांच 

मुख्यमंत्री
सीखो
कमाओ
योजना
को
लेकर
तेंदूखेड़ा
एसडीएम
अभिनाश
रावत
ने
कहा
है
कि
दमोह
कलेक्टर
के
निर्देश
पर
पंजीकृत
प्रतिष्ठान
और
उनमें काम
सीखने
वाले
छात्रों
की
जांच
की
जाएगी।
इसके
लिए
मैंने
तेंदूखेड़ा
आईटीआई
के
प्राचार्य
और
नोडल
अधिकारी
को
बुलाया
था।
जांच
में
जो
सत्यता
मिलेगी,
उसके
बाद
ही
आगे
भुगतान
होंगे।
तत्काल
में
प्रतिष्ठान
के
भुगतान
पर
रोक
लगाने
के
निर्देश
दिये
हैं
और
पूरी
जांच
एक
सप्ताह
के
अंदर
होगी।

तेंदूखेड़ा
आईटीआई
के
प्राचार्य
केके
पटेल
ने
बताया
कि
कलेक्टर का
पत्र
आया
था।
मैंने
उसके
संबंध
में
तेंदूखेड़ा
एसडीएम,
तेंदूखेड़ा
तहसीलदार
को
जानकारी
दी
है।
तेंदूखेड़ा
में
कई
प्रतिष्ठान
की
जानकारी
मुझे
भी
नहीं
है,
कहां
संचालित
हो
रहे
हैं,
जिनका
सत्यापन
किया
है।
उनमें
एक,
दो
लोग
फर्जी
मिले
थे।
मैंने
उनकी
जानकारी
जिला
भेज
दी
थी,
वहां
से
उनको
हटाया
भी
गया
है।