
हाइलाइट्स
पॉलिसी
में
क्या
कवर
है
क्या
नहीं,
जरूर
जानें.
पॉलिसी
की
शर्तों
को
क्लीयर
कर
लेना
जरूरी
है.
क्लेम
करने
में
देरी
होने
पर
भी
रिजेक्ट
हो
जाता
है.
नई
दिल्ली.
इंश्योरेंस
चाहे
कार
को
या
आदमी
का,
बेचते
समय
कंपनियां
बड़े-बड़े
वादे
और
दावे
करती
हैं,
लेकिन
जब
क्लेम
की
बात
आती
है
तो
उनका
पूरा
जोर
कोई
न
कोई
मीनमेख
निकालकर
इसे
खारिज
करने
पर
रहता
है.
ज्यादातर
क्लेम
इसलिए
भी
खारिज
हो
जाते
हैं
कि
ग्राहक
को
इसका
सही
तरीका
पता
ही
नहीं
होता
है.
आज
हम
आपको
कार
इंश्योरेंस
का
क्लेम
करने
का
सही
तरीका
बताएंगे,
ताकि
आपका
क्लेम
आगे
कभी
खारिज
न
हो
और
किसी
हादसे
में
टूटफूट
का
पूरा
पैसा
भी
बीमा
कंपनी
से
मिल
जाएगा.
कार
का
इंश्योरेंस
कराते
समय
सबसे
पहले
तो
आपको
यही
ध्यान
रखना
होगा
कि
इसमें
सभी
जरूरी
सेवाओं
को
शामिल
किया
जाए.
दूसरा
ये
कि
आपके
पास
जो
भी
पॉलिसी
है,
उसके
नियम
और
शर्तों
के
अलावा
दी
गई
सुविधाओं
और
सेवाओं
के
बारे
में
क्लीयर
जानकारी
रखना
जरूरी
है.
पॉलिसी
में
क्या
कवर
है
क्या
नहीं,
क्लेम
पर
कितना
पैसा
आपके
हिस्से
आएगा
जैसे
फीचर
जानना
बहुत
जरूरी
है.
कंपनियां
ऐसे
किसी
भी
क्लेम
को
स्वीकार
नहीं
करती
हैं,
जिसका
उल्लेख
पॉलिसी
में
नहीं
किया
जाता.
क्लेम
में
देरी
पर
भी
होगा
रिजेक्ट
कार
इंश्योरेंस
का
क्लेम
लेने
में
समय
बहुत
जरूरी
होता
है.
ज्यादातर
पॉलिसी
में
साफ
लिखा
होता
है
कि
किसी
हादसे
के
बाद
तत्काल
क्लेम
करना
जरूरी
होता
है.
अगर
आपने
तय
समय
से
ज्यादा
टाइम
लगाया
तो
कंपनियां
क्लेम
रिजेक्ट
कर
सकती
हैं.
समय
पर
क्लेम
करने
से
आपको
टाइम
पर
पैसा
भी
मिल
जाएगा
और
प्रोसेस
भी
जल्दी
पूरा
हो
जाता
है.
गलत
जानकारी
बिलकुल
न
दें
बहुत
सारे
क्लेम
इसलिए
भी
खारिज
हो
जाते
हैं
क्योंकि
उसमें
यूजर
या
तो
गलत
जानकारी
भर
देते
हैं
या
फिर
अधूरी
जानकारी
देकर
क्लेम
करते
हैं.
इसमें
दुर्घटना
की
वास्तविक
स्थिति,
हादसे
में
हुआ
नुकसान
और
बीमाधारक
की
पर्सनल
डिटेल
बहुत
जरूरी
रहती
है.
आपके
क्लेम
में
जितनी
एक्यूरेसी
रहेगी,
उसके
मंजूर
होने
के
चांसेज
भी
उतने
ही
ज्यादा
होंगे.
नशे
में
हुआ
हादसा
तो
कुल
नहीं
मिलेगा
बीमा
कंपनियां
साफ
कहती
हैं
कि
आप
शराब
या
ड्रग्स
के
नशे
में
गाड़ी
चला
रहे
और
हादसा
हो
जाता
है
तो
यह
नियमों
का
कड़ा
उल्लंघन
है.
इसके
बिना
पर
भी
कंपनी
आपको
क्लेम
देने
से
मना
कर
सकती
है.
इतना
ही
नहीं
ऐसा
कुछ
सही
पाए
जाने
पर
परिवहन
विभाग
उल्टा
आपके
ऊपर
भारी-भरकम
जुर्माना
ठोक
सकता
है.
मोडिफिकेशन
से
हो
सकता
है
नुकसान
आजकल
बहुत
से
युवा
गाड़ी
निकालते
ही
उसमें
मोडिफिकेशन
करके
डिजाइनदार
बनाने
में
लग
जाते
हैं.
बीमा
कंपनियों
का
साफ
कहना
है
कि
ऐसा
कोई
भी
मोडिफिकेशन
बिना
पूर्व
सूचना
और
अनुमति
के
नहीं
किया
जा
सकता
है.
अगर
ऐसा
होता
है
तो
दुर्घटना
के
बाद
क्लेम
खारिज
किया
जा
सकता
है.
कंपनियों
का
मानना
है
कि
कार
कंपनी
की
ओर
से
एक
स्टैंडर्ड
वाहन
बनाने
के
बाद
आप
मोडिफिकेशन
कर
जोखिम
पैदा
कर
सकते
हैं,
जो
हादसे
का
सबब
बन
सकता
है.
चूंकि,
आपकी
पॉलिसी
में
कार
के
मूल
मॉडल
को
ही
बीमित
किया
गया
है,
लिहाजा
उसके
मोडिफिकेशन
पर
क्लेम
नहीं
मिलेगा.
गलत
उद्देश्य
में
इस्तेमाल
तो
समझो
क्लेम
खारिज
बीमा
कंपनियां
बहुत
सारे
क्लेम
इसलिए
भी
खारिज
कर
देती
हैं,
क्योंकि
यूजर
अपनी
गाड़ी
का
इस्तेमाल
गैर
आधिकारिक
उद्देश्यों
के
लिए
करते
हैं.
मसलन,
अगर
आपने
अपनी
पर्सनल
कार
का
इस्तेमाल
कॉमर्शियल
पर्पज
के
लिए
किया
तो
क्लेम
खारिज
हो
जाएगा.
बेहतर
होगा
कि
आप
बीमा
कंपनी
को
यह
पहले
ही
स्पष्ट
कर
दें
कि
आपका
वाहन
किस
श्रेणी
का
है.
दूसरी
बात
ये
कि
आपका
वाहन
जिस
भी
श्रेणी
का
है,
उससे
अलग
इस्तेमाल
न
किया
जाए,
वरना
कंपनी
क्लेम
खारिज
कर
सकती
है.
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FIRST
PUBLISHED
:
May
15,
2024,
20:07
IST