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मिनट
पहले
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भारत
बायोटेक
ने
कोवैक्सिन
बनाई
है।
देश
में
इसके
36
करोड़
डोज
लगे
हैं।
एक
स्टडी
में
सामने
आया
है
कि
भारत
बायोटेक
की
कोरोना
वैक्सीन-
कोवैक्सिन
के
भी
साइड
इफेक्ट्स
हैं।
स्प्रिंगरलिंक
में
पब्लिश
हुई
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
बनारस
हिंदू
यूनिवर्सिटी
में
हुई
स्टडी
में
हिस्सा
लेने
वाले
लगभग
एक
तिहाई
लोगों
में
कोवैक्सिन
के
साइड
इफेक्ट्स
देखे
गए
हैं।
शोधकर्ताओं
ने
पाया
कि
टीनएजर्स,
खास
तौर
पर
किशोरियों
और
किसी
भी
एलर्जी
का
सामना
कर
रहे
लोगों
को
कोवैक्सिन
से
खतरा
है।
हालांकि,
कुछ
दिन
पहले
कोवैक्सिन
बनाने
वाली
कंपनी
भारत
बायोटेक
ने
कहा
था
कि
उनकी
बनाई
हुई
वैक्सीन
सुरक्षित
है।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
भी
कोवैक्सिन
के
दो
डोज
लगवाए
थे।

PM
नरेंद्र
मोदी
ने
1
मार्च
2021
को
कोवैक्सिन
का
पहला
डोज
लिया
था।

PM
मोदी
ने
8
अप्रैल
2021
को
कोवैक्सिन
का
दूसरा
डोज
लिया
था।
लोगों
में
सांस
संबंधी
इंफेक्शन
बढ़
रहा
स्टडी
करने
वाली
शंख
शुभ्रा
चक्रवर्ती
ने
कहा,
“हमने
उन
लोगों
का
डेटा
कलेक्ट
किया
जिन्हें
वैक्सीन
लगे
एक
साल
हो
गया
था।
1,024
लोगों
पर
स्टडी
हुई।
इनमें
से
635
किशोर
और
291
वयस्क
शामिल
थे।”
स्टडी
के
मुताबिक,
304
(47.9%)
किशोरों
और
124
(42.6%)
वयस्कों
में
सांस
संबंधी
इंफेक्शन
(अपर
रेस्पिरेटरी
ट्रैक्ट
इंफेक्शन)
देखे
गए।
इससे
लोगों
में
सर्दी,
खांसी
जैसी
समस्याएं
देखी
गईं।

स्टडी
में
स्कीन
से
जुड़ी
बीमारियां
देखी
गईं
स्टडी
में
पाया
गया
कि
स्टडी
में
हिस्सा
लेने
वाले
टीनएजर्स
में
स्कीन
से
जुड़ी
बीमारियां
(10.5%),
नर्वस
सिस्टम
से
जुड़े
डिऑर्डर
(4.7%)
और
जनरल
डिस्ऑर्डर
(10.2%)
देखे
गए।
वहीं,
वयस्कों
में
जनरल
डिसऑर्डर
(8.9%),
मांसपेशियों
और
हड्डियों
से
जुड़े
डिस्ऑर्डर
(5.8%)
और
नर्वस
सिस्टम
से
जुड़े
डिऑर्डर
(5.5%)
देखे
गए।
4.6%
किशोरियों
में
मासिक
धर्म
संबंधी
असामान्यताएं
(अनियमित
पीरियड्स)
देखी
गईं।
प्रतिभागियों
में
आंखों
से
जुड़ी
असामान्यताएं
(2.7%)
और
हाइपोथायरायडिज्म
(0.6%)
भी
देखा
गया।
गुलियन
बेरी
सिंड्रोम
(GBS)
भी
हो
सकता
है
कोवैक्सिन
के
साइड
इफेक्ट्स
पर
हुई
स्टडी
में
0.3%
प्रतिभागियों
में
स्ट्रोक
और
0.1%
प्रतिभागियों
में
गुलियन
बेरी
सिंड्रोम
(GBS)
की
पहचान
भी
हुई।
GBS
एक
ऐसी
बीमारी
है
जो
लकवे
की
ही
तरह
शरीर
के
बड़े
हिस्से
को
धीरे-धीरे
निशक्त
कर
देती
है।
अमेरिका
के
नेशनल
इंस्टीट्यूट
ऑफ
न्यूरोलॉजिकल
डिसऑर्डर
एंड
स्ट्रोक
(NINDS)
के
मुताबिक,
गुलियन
बेरी
सिंड्रोम
(GBS)
एक
रेयर
न्यूरोलॉजिकल
बीमारी
है।
रिपोर्ट
में
यह
भी
कहा
गया
कि
स्टडी
में
हिस्सा
लेने
वाले
जिन
टीनएजर्स
और
महिला
वयस्कों
को
पहले
से
कोई
एलर्जी
थी
और
जिन्हें
वैक्सीनेशन
के
बाद
टाइफाइड
हुआ
उन्हें
खतरा
ज्यादा
था।

भारत
बायोटेक
ने
कहा
था-
कोवैक्सिन
के
चलते
किसी
बीमारी
का
केस
सामने
नहीं
आया
2
मई
को
कंपनी
ने
कहा
था
कि
कोवैक्सिन
की
सुरक्षा
का
मूल्यांकन
देश
के
स्वास्थ्य
मंत्रालय
ने
किया
था।
कोवैक्सिन
बनाने
से
लगाने
तक
लगातार
इसकी
सेफ्टी
मॉनिटरिंग
की
गई
थी।
कोवैक्सिन
के
ट्रायल
से
जुड़ी
सभी
स्टडीज
और
सेफ्टी
फॉलोअप
एक्टिविटीज
से
कोवैक्सिन
का
बेहतरीन
सेफ्टी
रिकॉर्ड
सामने
आया
है।
अब
तक
कोवैक्सिन
को
लेकर
ब्लड
क्लॉटिंग,
थ्रॉम्बोसाइटोपीनिया,
TTS,
VITT,
पेरिकार्डिटिस,
मायोकार्डिटिस
जैसी
किसी
भी
बीमारी
का
कोई
केस
सामने
नहीं
आया
है।
कंपनी
ने
कहा
था
कि
अनुभवी
इनोवेटर्स
और
प्रोडक्ट
डेवलपर्स
के
तौर
पर
भारत
बायोटेक
की
टीम
यह
जानती
थी
कि
कोरोना
वैक्सीन
का
प्रभाव
कुछ
समय
के
लिए
हो
सकता
है,
पर
मरीज
की
सुरक्षा
पर
इसका
असर
जीवनभर
रह
सकता
है।
यही
वजह
है
कि
हमारी
सभी
वैक्सीन
में
सेफ्टी
पर
हमारा
सबसे
पहले
फोकस
रहता
है।
कोवीशील्ड
को
लेकर
विवाद
कोवीशील्ड
को
लेकर
विवाद
चल
रहा
है
कि
इसे
लगाने
से
कुछ
केस
में
लोगों
को
थ्रॉम्बोसिस
थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया
सिंड्रोम
यानी
TTS
हो
सकता
है।
इस
बीमारी
से
शरीर
में
खून
के
थक्के
जम
जाते
हैं
और
प्लेटलेट्स
की
संख्या
गिर
जाती
है।
स्ट्रोक
और
हार्ट
बीट
थमने
जैसी
गंभीर
समस्याएं
हो
सकती
हैं।
दरअसल,
भारत
में
सबसे
पहली
कोरोना
वैक्सीन
कोवीशील्ड
है।
इसे
पुणे
की
सीरम
इंस्टीट्यूट
ने
बनाया
है।
कोवीशील्ड
फॉर्मूला
ब्रिटिश
फार्मा
कंपनी
एस्ट्राजेनेका
से
लिया
गया
है।
एस्ट्रेजेनेका
ने
अब
ब्रिटिश
अदालत
में
माना
कि
उनकी
वैक्सीन
के
गंभीर
साइड
इफेक्ट्स
हैं।
यह
खबर
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पढ़ें…
भास्कर
एक्सप्लेनर-
क्या
कोवीशील्ड
वैक्सीन
से
हो
रहा
हार्ट
अटैक:कंपनी
ने
माना-
खून
का
थक्का
जम
सकता
है;
7
जरूरी
सवालों
के
जवाब

जब
कोविड
की
वैक्सीन
कोवीशील्ड
UK
में
लॉन्च
हुई
तब
ब्रिटेन
के
तब
के
प्रधानमंत्री
बोरिस
जॉनसन
ने
इसे
‘ब्रिटिश
विज्ञान
की
जीत’
बताया
था।
भारत
में
भी
सबसे
पहले
और
सबसे
ज्यादा
इसी
कोवीशील्ड
की
175
करोड़
डोज
अब
तक
लगाई
जा
चुकी
हैं।
इस
वैक्सीन
को
लेकर
अब
बड़ा
खुलासा
हुआ
है।
कोवीशील्ड
वैक्सीन
बनाने
वाली
कंपनी
एस्ट्राजेनेका
ने
UK
के
कोर्ट
में
दिए
गए
बयान
में
माना
है
कि
इस
वैक्सीन
से
शरीर
के
किसी
हिस्से
में
खून
जमाने
वाला
‘रेयर
साइड
इफेक्ट’
हो
सकता
है।
पढ़ें
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खबर…
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