
हाइलाइट्स
तुलसी
तांती
शुरू
में
टेक्सटाइल
के
बिजनेस
में
थे.
बिजली
की
कमी
से
उनको
बहुत
परेशानी
होती
थी.
सबसे
पहले
उन्होंने
अपनी
फैक्टरी
में
विंड
टरबाइन
लगााई.
नई
दिल्ली.
बात
साल
1994
की
है.
सूरत
में
तुलसी
तांती
(Tulsi
Tanti),
सुलजेर
सेंथेटिक्स
नाम
से
एक
टेक्सटाइल
मिल
चलाते
थे.
ये
वो
दौर
था
जब
बिजली
कब
आती
थी
और
कब,
नहीं
किसी
को
नहीं
पता
था.
एक
तो
बिजली
की
भारी
किल्लत
थी,
उपर
से
वह
महंगी
भी
बहुत
थी.
बिजली
किल्लत
को
दूर
करने
को
एक
ओर
जहां
दूसरे
बिजनेसमैन
जनरेटर
का
सहारा
ले
रहे
थे,
वहीं
तुलसी
के
दिमाग
में
कुछ
और
ही
चल
रहा
था.
अपनी
फैक्ट्री
की
बिजली
की
जरूरत
को
पूरा
करने
को
उन्होंने
दो
विंड
टरबाइन
लगा
लिए.
उनकी
इस
छोटी
सी
पहल
न
केवल
उनकी
कंपनी
की
इलेक्ट्रिसिटी
की
जरूरतों
को
पूरा
किया,
बल्कि
उनको
‘विंड
मैन
ऑफ
इंडिया’
(Wind
Man
of
India)
का
खिताब
भी
दिला
दिया.
आज
तांती
की
कंपनी
सुजलॉन
एनर्जी
(Suzlon
Energy),
भारत
की
सबसे
बड़ी
विंड
एनर्जी
कंपनी
है.
हालांकि,
आज
सुजलॉन
एनर्जी
(Suzlon
Energy)
के
संस्थापक
चेयरमैन
और
प्रबंध
निदेशक
तुलसी
तांती
हमारे
बीच
नहीं
है.
1
अक्टूबर
2022
को
उनका
निधन
हो
गया
था.
तांती
ने
विश्व
पटल
पर
स्वच्छ
उर्जा
के
प्रसिद्ध
विशेषज्ञ
के
रूप
में
अपनी
एक
अलग
पहचान
बनाई
थी.
उन्हें
भारत
में
पवन
ऊर्जा
व्यवसाय
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
जाना
जाता
है.
1995
में
तांती
ने
रिन्यूएबल
एनर्जी
की
कल्पना
उस
वक्त
की,
जब
इस
क्षेत्र
में
अंतरराष्ट्रीय
कंपनियों
का
दबदबा
था.
तुलसी
तांती
प्रोफेशन
से
इंजीनियर
थे.
उन्होंने
कॉमर्स
और
मैकेनिकल
इंजीनियरिंग
की
पढ़ाई
की
थी.
1995
में
रखी
सुजलॉन
की
नींव
1994
में
अपनी
टेक्सटाइल
फैक्ट्री
में
विंड
टरबाइन
से
बिजली
पैदा
करने
के
साथ
ही
तांती
ने
इस
क्षेत्र
में
मौजूद
अपार
संभावनाओं
को
पहचान
लिया.
वो
पवन
उर्जा
के
क्षेत्र
में
कुछ
बड़ा
करना
चाहते
थे.
इसीलिए
वो
पुणे
में
रहने
वाले
अपने
भाईयों
के
पास
चले
गए.
उन्हें
अपना
बिजनेस
आइडिया
बताया.
वो
विंड
एनर्जी
सर्विसेज
का
पूरा
पैकेज
कस्टमर
को
मुहैया
कराना
चाहते
थे.
भाईयों
को
उनका
आइडिया
पसंद
आया
और
उन्होंने
1.5
करोड़
रुपये
एकत्रित
कर
बिजनेस
शुरू
कर
दिया.
इस
तरह
साल
1995
में
सुजलॉन
की
स्थापना
हुई.
25
फीसदी
पैसा
ही
लेते
थे
क्लाइंट
से
विंड
टरबाइन
से
बिजली
पैदा
कराने
का
सेटअप
स्थापित
करने
को
शुरुआत
में
तांती
केवल
कुल
लागत
का
25
फीसदी
ही
क्लाइंट
से
लेते
थे.
बाकि
75
फीसदी
का
जुगाड़
वे
बैंक
से
लोन
दिलावकर
करते
थे.
उनका
यह
बिजनेस
मॉडल
अच्छा
था.
लेकिन,
एक
समस्या
थी.
उस
समय
भारत
में
विंड
टरबाईन
जनरेटर
नहीं
थे.
तांती
ने
जमर्नी
की
कंपनी
सुडविंड
एनर्जी
के
साथ
एक
ज्वाइंट
वेंचर
बनाया.
इसकी
मदद
से
उन्होंने
गुजरात
में
इंडियन
पेट्रोकेमिकल्स
के
लिए
सुजलॉन
का
पहला
0.27
मेगावाट
का
विंड
टरबाइन
जेनरेटर
स्थापित
किया.
साल
2000
आते-आते
सुजलॉन
विंड
टरबाइन
से
100
मेगावाट
बिजली
उत्पादन
करने
लगी.
2005
में
शेयर
मार्केट
में
सूचीबद्ध
हुई
सुजलॉन
19
अक्टूबर
2005
में
सुजलॉन
शेयर
मार्केट
में
सूचीबद्ध
हो
गई.
बाजार
में
लिस्ट
होने
वाली
यह
पहली
रिन्यूबल
एनर्जी
कंपनी
थी.
कंपनी
ने
आईपीओ
से
1500
करोड़
रुपये
जुटाए
थे.
कंपनी
का
रेवेन्यू
13,679
करोड़
रुपये
हो
गया.
सुजलॉन
ने
जर्मन
कंपनी
आरई
पावर
का
अधिग्रहण
भी
कर
लिया.
कुछ
समय
बाद
ही
सुजलॉन
भारत
की
सबसे
बड़ी
तो
दुनिया
की
चौथी
सबसे
बड़ी
विंड
एनर्जी
कंपनी
बन
गई.
अधिग्रहण
से
आए
बुरे
दिन
तुलसी
तांती
का
आरई
पावर
(अब
सेनवियोन)
के
अधिग्रहण
का
दांव
उल्टा
पड़
गया.
सुजलॉन
को
सेनवियोन
के
खराब
कंपोनेंट्स
के
लिए
411
करोड़
रुपये
चुकाने
पड़े.
कंपनी
साल
2010
में
पहली
बार
घाटे
में
आ
गई
जो
कि
989
करोड़
रुपये
था.
साल
2014
तक
सुजलॉन
पर
कर्ज
बढ़कर
17,810.96
रुपये
हो
गया.
तांती
ने
संभाल
ली
कंपनी
कर्ज
में
बुरी
तरह
डूबने
के
बाद
भी
तुलसी
तांती
ने
हिम्मत
नहीं
हारी.
उन्होंने
कंपनी
की
स्थिति
ठीक
करने
को
कई
कदम
उठाए.
उन्होंने
सेनवियोन
को
7500
करोड़
रुपये
में
बेच
दिया.
कंपनी
चलाने
को
उन्होंने
2015
में
सन
फार्मा
के
मालिक
दिलीप
सांघवी
से
400
करोड़
रुपये
लिए.
तांती
के
प्रयासों
से
कंपनी
की
हालत
सुधर
गई.
साल
2020
आते-आते
कंपनी
की
कैपिसिटी
इंस्टाल्ड
विंड
कैपिसिटी
10
हजार
गीगावाट
हो
गई
और
कर्ज
भी
कम
होकर
4453
करोड़
रुपये
रह
गया.
आज
32
फीसदी
मार्केट
पर
कब्जा
सुजलॉन
एनर्जी
की
इंस्टाल्ड
विंड
कैपिसिटी
आज
20.5
गीगावाट
है.
कंपनी
के
पास
32
फीसदी
मार्केट
शेयर
है.
कंपनी
आज
9700
टरबाइन
के
सहारे
1900
कस्टमर्स
को
सेवाएं
प्रदान
कर
रही
है
और
कंपनी
पर
अब
शुद्ध
कर्ज
केवल
1180
करोड़
रुपये
ही
बचा
है
जो
आज
से
दस
साल
पहले
के
मुकाबले
94
फीसदी
कम
हो
चुका
है.
साल
2022
में
हो
गया
देहांत
अक्टूबर,
2022
में
तुलसी
तांती
का
निधन
हो
गया.
तांती
इंडियन
विंड
टर्बाइन
मैन्युफैक्चरर्स
एसोसिएशन
(IWTMA)
के
अध्यक्ष
और
दिल्ली
की
TERI
यूनिवर्सिटी
के
मैनेजमेंट
बोर्ड
के
सदस्य
भी
थे.
उन्हें
एनर्जी
के
क्षेत्र
में
‘चैंपियन
ऑफ
द
अर्थ’,
‘हीरो
ऑफ
द
एनवायरनमेंट’
जैसे
कई
अवॉर्ड्स
से
नवाजा
गया
था.
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FIRST
PUBLISHED
:
May
17,
2024,
05:26
IST