अधिकारी ऊंट तो न्यायालय पहाड़…10 दिन का अल्टीमेटम, केके पाठक और पटना हाईकोर्ट का मामला समझिये,

अधिकारी ऊंट तो न्यायालय पहाड़…10 दिन का अल्टीमेटम, केके पाठक और पटना हाईकोर्ट का मामला समझिये,


हाइलाइट्स


केके
पाठक
का
वेतन
रोकने
का
आदेश
दे
सकता
है
पटना
हाईकोर्ट.


10
दिनों
के
अंदर विश्वविद्यालय
के
फंड
जारी
करने
का
दिया
निर्देश.


निर्धारित
अवधि
में
फंड
रिलीज
नहीं
तो
कोर्ट
दे
सकता
है
बड़ा
आदेश.


पटना.

पटना
उच्च
न्यायालय
द्वारा
राज्य
के
विश्वविद्यालय
के
लिए
2023
-24
के
वित्तीय
वर्ष
के
स्वीकृत
किए
गए
बजट
का
पैसा
10
दिनों
के
अंदर
जारी
करने
का
आदेश
दिया
गया
है.
अगर
निर्धारित
अवधि
में
पैसा
नहीं
दिया
जाता
है
तो
शिक्षा
विभाग
के
आलाधिकारियों
के
वेतन
पर
रोक
लगा
दी
जाएगी.
साथ
ही
न्यायालय
में
तीन
विश्वविद्यालयों
के
खाता
संचालन
पर
पाबंदी
के
शिक्षा
विभाग
के
आदेश
पर
भी
तत्काल
प्रभाव
से
रोक
लगा
दी
है.
अब
पटना
उच्च
न्यायालय
ने
इस
मामले
पर
अगली
सुनवाई
की
तारीख
25
जून
को
निर्धारित
की
है.

दरअसल,
पटना
उच्च
न्यायालय
ने
शिक्षा
विभाग
के
अपर
मुख्य
सचिव
के
के
पाठक
समेत
शिक्षा
विभाग
के
अधिकारियों
के
वेतन
पर
रोक
लगाने
का
संकेत
दिया
है.
न्यायालय
ने
शिक्षा
विभाग
के
विश्वविद्यालय
के
कर्मियों
के
वेतन
पर
रोक
लगाने
संबंधी
मामले
की
सुनवाई
के
दौरान
यह
संकेत
दिए
हैं.
न्यायालय
ने
कामेश्वर
सिंह
दरभंगा
संस्कृत
विश्वविद्यालय
के
कुलपति
के
वेतन
नहीं
उठाए
जाने
पर
रोक
के
जारी
आदेश
को
भी
कार्यान्वित
नहीं
करने
का
निर्देश
दिया
है.

11
मामलों
पर
पटना
हाईकोर्ट
में
एक
साथ
सुनवाई

शुक्रवार
को
पटना
उच्च
न्यायालय
की
तरफ
से
विश्वविद्यालय
की
ओर
से
दायर
कुल
11
मामलों
पर
एक
साथ
सुनवाई
की
गई.
राज्य
के
विश्वविद्यालय
के
बजट
की
समीक्षा
के
लिए
बुलाई
गई
बैठक
में
भाग
नहीं
लेने
के
कारण
तीन
विश्वविद्यालयों
के
सभी
खातों
पर
शिक्षा
विभाग
की
तरफ
से
संचालन
पर
अगले
आदेश
तक
रोक
लगा
दी
गयी
थी.
बैठक
में
भाग
नहीं
लेने
पर
स्पष्टीकरण
की
मांग
भी
की
गई
थी.
इसी
मामले
में
पटना
उच्च
न्यायालय
द्वारा
सुनवाई
की
गई.
पटना
उच्च
न्यायालय
ने
चेतावनी
के
लहजे
में
शिक्षा
विभाग
को
विश्वविद्यालय
के
स्वीकृत
बजट
राशि
का
भुगतान
कोतत्काल
करने
का
निर्देश
दिया
गया.
ऐसा
नहीं
करने
पर
रोक
लगाने
के
भी
निर्देश
दिए
गए.

प्रेस्टीज
इशू
नहीं
बनाने
की
हाईकोर्ट
की
सलाह

महाधिवक्ता
ने
शिक्षा
विभाग
के
अपर
मुख्य
सचिव
का
हवाला
देते
हुए
कोर्ट
को
इस
बात
की
जानकारी
दी
कि
स्पाइनल
कॉर्ड
की
समस्या
के
कारण
वे
बैठने
में
असमर्थ
हैं.
यही
कारण
था
कि वीसी
की
बैठक
में
वे
सम्मिलित
नहीं
हो
सके
थे.
पटना
उच्च
न्यायालय
ने
वीसी
और 
अधिकारियों
को
इसे
प्रेस्टीज
इशू
नहीं
बनने
को
कहा.
साथ
ही
पटना
उच्च
न्यायालय
ने
इस
मामले
में
सुनवाई
के
लिए
क्ई बिंदु
भी
तय
कर
दिये.
शिक्षा
विभाग
की
तरफ
से
इस
मामले
में
सुनवाई
करते हुए
डॉक्टर के
एन
सिंह
और
अधिवक्ता
रंजन
कुमार
पांडे
ने
बस
में
भाग
लेते
हुए
शिक्षा
विभाग
के
अपर
मुख्य
सचिव
पर
आरोप
लगाया
कि
वह
कोर्ट
के
आदेश
का
मान
सम्मान
नहीं
करते.

शिक्षा
विभाग
की
ओर
से
भी
दी
गई
दलील

बिहार
सरकार
की
तरफ
से
महाधिवक्ता
पीके
शाही
ने
कोर्ट
को
इस
बात
की
जानकारी
दी
कि
शिक्षा
विभाग
की
बैठक
में
जब
तक
वीसी
भाग
नहीं
लेंगे
तब
तक
शिक्षा
विभाग
एक
पैसा
नहीं
देगा.
उनका
यह
दावा
था
कि
सिर्फ
वेतन
लेने
के
लिए
विश्वविद्यालय
को
नहीं
खोला
गया
है.
यही
नहीं
उनका
यह
भी
कहना
था
कि
किसी
की
नियुक्ति
कैसे
होती
है,
यह
सभी
जानते
हैं.
उन्होंने
न्यायालय
को
बताया
कि
अगले
वित्तीय
वर्ष
के
प्रस्तावित
बजट
समीक्षा
बैठक
में
कुलपति
को
भाग
लेने
को
कहा
गया
था,
लेकिन
बैठक
में
किसी
ने
भाग
नहीं
लिया.
15
में
से
29
मई
के
बीच
बिहार
के
13
विश्वविद्यालयों
को
बैठक
में
भाग
लेने
के
लिए
तारीख
और
समय
तय
किया
गया
है.

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