कैपिटल मार्केट में बड़े रिफॉर्म पर सोचना होगा, तभी आएगा निवेश- CEA

कैपिटल मार्केट में बड़े रिफॉर्म पर सोचना होगा, तभी आएगा निवेश- CEA


हाइलाइट्स


CEA
वी
अनंत
नागेश्वरन
ने
कहा
पूंजी
बाजार
में
और
सुधार
करने
की
जरूरत
है.
कैपिटल
मार्केट
में
सुधार
के
दूसरे
चरण
के
बारे
में
सोचना
होगा.


1991
में
पूंजी
बाजार
में
सुधारों
की
शुरुआत
हुई
थी.


नई
दिल्ली.

भारत
के
मुख्य
आर्थिक
सलाहकार

(CEA)

वी
अनंत
नागेश्वरन
ने
शुक्रवार
को
कहा
कि
बढ़ती
अर्थव्यवस्था
की
जरूरतें
पूरी
करने
के
लिए
देश
को
पूंजी
बाजार
में
और
सुधार
करने
की
जरूरत
है.
नागेश्वरन
ने
उद्योग
मंडल
सीआईआई
के
एनुअल
बिजनेस
समिट
में
कहा,
‘‘कैपिटल
मार्केट
रिफॉर्म
पिछले
तीन
दशकों
में
प्रौद्योगिकी
के
सबसे
सफल
सुधारात्मक
कदमों
में
से
एक
रहा
है.
लेकिन
हम
एक
ऐसे
मोड़
पर
हैं
जहां
हमें
इस
पर
पुनर्विचार
करने
की
जरूरत
है
इसीलिए
पूंजी
बाजार
में
सुधार
के
दूसरे
चरण
के
बारे
में
सोचना
होगा.’’

वर्ष
1991
में
भारतीय
अर्थव्यवस्था
के
उदारीकरण
के
बाद
तत्कालीन
वित्त
मंत्री
मनमोहन
सिंह
ने
पूंजी
बाजार
सुधारों
की
शुरुआत
की
थी.
इस
क्रम
में
पूंजी
बाजार
के
कुशल
विनियमन
और
विकास
के
लिए
1992
में
भारतीय
प्रतिभूति
और
विनिमय
बोर्ड

(SEBI)

की
स्थापना
की
गई
थी.



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ने
क्या
कहा


इक्विटी
के
माध्यम
से
निवेश
की
जरूरत

सीईए
ने
यह
भी
कहा
कि
देश
को
समग्र
और
व्यापक
तस्वीर
के
लिए
लक्ष्य
के
अनुरूप
निवेश
को
लेकर
अनुमान
लगाने
की
आवश्यकता
है.
इस
निवेश
को
डेट
और
इक्विटी
के
माध्यम
से
पूरा
किया
जाएगा.
उन्होंने
कहा,
‘हम
जानते
हैं
कि
भारत
कुछ
महीनों
में
जेपी
मॉर्गन
सरकारी
बॉन्ड
सूचकांक
में
शामिल
होगा…उसके
बाद
जनवरी
2025
से
हम
ब्लूमबर्ग
बॉन्ड
सूचकांक
का
भी
हिस्सा
होंगे.
इससे
देश
में
पूंजी
आएगी.’

नागेश्वरन
ने
यह
भी
कहा
कि
भारत
को
विदेशी
पूंजी
प्रवाह
पर
निर्भरता
को
लेकर
बहुत
सावधान
रहना
होगा.
उन्होंने
कहा,
‘‘अगले
तीन
से
पांच
साल
में
हमें
वैश्विक
वित्तपोषण
पर
निर्भरता
की
सीमा
के
बारे
में
सतर्क
रहने
की
जरूरत
है.
लेकिन
2047
की
यात्रा
के
दूसरे
चरण
में
मुझे
लगता
है
कि
हमारे
लिए
विदेशों
से
बड़ी
मात्रा
में
पूंजी
लेने
के
अवसर
होंगे.’’

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