Ujjain: महाकाल के शिखर दर्शन चारों दिशाओं से बगैर बांधा के हो सकेंगे, हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन करते हैं दर्शन

Ujjain Peak darshan of Mahakal can be done from all four directions without any restrictions

महाकाल
मंदिर
के
शिखर
दर्शन


फोटो
:
अमर
उजाला

विस्तार

उज्जैन
स्थित
महाकाल
मंदिर
शिखर
दर्शन
के
महत्व
को
देखते
हुए
महाकाल
मंदिर
शिखर
दर्शन
योजना
के
तहत
मंदिर
के
चारों
ओर
निर्माण
धीरे-धीरे
हटाया
जा
रहा
है।
अब
मंदिर
के
शिखर
दर्शन
बगैर
बांधा के
स्पष्ट
किए
जा
सकेंगे।

उज्जैन
के
हजारों
नागरिक
प्रतिदिन
महाकाल
मंदिर
के
शिखर
दर्शन
करते
हैं।
लेकिन
दर्शन
करने
के
लिए
उन्हें
महाकाल
मंदिर
के
पूर्व
मुख्य
द्वार
के
मेन
चौराहे
पर
आना
पड़ता
था
एवं
उन्हें
शिखर
दर्शन
मिलते
थे।
महाकाल
मंदिर
के
फेज-2
के
तहत
चल
रहे
सौंदर्यीकरण
कार्य
में
महाकाल
मंदिर
शिखर
दर्शन
योजना
भी
शामिल
है।
इसी
के
तहत
मंदिर
के
चारों
ओर
निर्माणों
को
हटाया
गया
है।
उज्जैन
सहित
देशभर
से
महाकाल
दर्शन
को
आने
वाले
लाखों
श्रद्धालुओं
को
अब
रुद्रसागर
की
तरफ
से
भी ज्योतिर्लिंग
महाकाल
के
शिखर
दर्शन
स्पष्ट
रूप
से
हो
सकेंगे।
मंदिर
प्रबंध
समिति
ने
परिसर
में
स्थित
देवास
धर्मशाला
को
पूरी
तरह
से
हटा
दिया
है।

धर्मशाला
बीच
में
आने
से
शिखर
दर्शन
में
बांधा

रही
थी।
लेकिन
अब
इसके
हटने
के
बाद
बीच
में
कोई
भवन
सामने
नहीं
रहेगा।
पूर्व
में
कोटितीर्थ
कुंड
के
पास
बनी
प्राचीन
धर्मशाला
के
पुराने
भवन
को
अब
मंदिर
प्रबंध
समिति
ने
हटाया
है।
इसके
कुछ
हिस्से
को
पहले
हटाने
की
कार्रवाई
की
गई
थी।
महाकाल
मंदिर
विस्तार
योजना
के
तहत
16.10
करोड़
रुपये में
रुद्रसागर
शिखर
दर्शन
परियोजना
बनाई
गई
है, जिसके
चलते
ही
धर्मशाला
हटाकर
अब
शिखर
दर्शन
की
सीधे
व्यवस्था
कर
दी
गई
है।


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महाकाल
मंदिर
प्रबंध
समिति
के
सहायक
प्रशासक
मूलचंद
जूनवाल
ने
बताया
कि
शिखर
दर्शन
आसान
हो
सकें,
इसके
लिए
पुराने
भवन

धर्मशाला
आदि
को
हटाया
गया
है।
उनके
स्थान
पर
अब
भविष्य
में
कोई
भी
नया
निर्माण
नहीं
किया
जाएगा।
ऐसे
में
पर्व,
त्योहार,
नव
वर्ष
के
दौरान
लाखों
की
संख्या
में
उज्जैन
आने
वाले
श्रद्धालुओं
को
रुद्रसागर
सहित
चारों
दिशाओं
से
भी
आसानी
से
शिखर
दर्शन
करने
का
लाभ
मिलेगा। महाकाल
मंदिर
पुजारियों
के
अनुसार
कहा
गया
है
कि शिखर
दर्शनम्
पाप
नाशनम्
महाकाल मंदिर
के
शिखर
के
दर्शन
करने
भर
से
सभी
पापों
का
नाश
हो
जाता
है।


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ऐसा
मानकर
बड़ी
संख्या
में
श्रद्धालु
प्रतिदिन
उज्जैन
में
महाकाल
के
शिखर
दर्शन
ही
करने
आते
हैं।
अब
मंदिर
की
चारों
दिशाओं
से
महाकाल
के
शिखर
दर्शन
किए
जा
सकेंगे।
शिखर
दर्शन की
पूरी
योजना
इस
तरह
है।
इस
कार्य
की
लागत
16.10
करोड़
रुपये
है।
निर्माण
आदि
का
क्षेत्रफल
52,000
वर्ग
फीट
यह
रहेगा।
अब
तक
परिसर
में
कोटितीर्थ
कुंड
के
पास
प्रवचन
हॉल
और
धर्मशाला
की
जगह
पर
शिखर
दर्शन
योजना
के
तहत
नवनिर्माण
किया
है।
हरसिद्धि,
बड़ा
गणेश
मंदिर
की
ओर
से
आने
वाले
श्रद्धालु
दूर
से
ही
शिखर
दर्शन
का
लाभ
ले
सकेंगे।
शिखर
दर्शन
के
लिए
एक
प्लेटफार्म
भी
बनाया
गया
है,
जहां
पर
कोटितीर्थ
कुंड
के
पास
रेलिंग
लगाई
है।
वहां
तक
दर्शनार्थी
आकर
शिखर
दर्शन
कर
सकते
हैं।