
17
मई
को
ED
ने
दिल्ली
शराब
नीति
केस
में
8वीं
चार्जशीट
दाखिल
की
है।
इस
चार्जशीट
में
अरविंद
केजरीवाल
और
आम
आदमी
पार्टी
दोनों
को
आरोपी
बनाया
गया
है।
देश
के
राजनीतिक
इतिहास
में
ED
ने
पहली
बार
किसी
पार्टी
को
आरोपी
बनाकर
मुकदमा
शुरू
किया
है।
.
अब
ये
सवाल
उठ
रहा
है
कि
क्या
किसी
पॉलिटिकल
पार्टी
के
खिलाफ
मुकदमा
चल
सकता
है?
ED
ने
AAP
को
आरोपी
बनाने
के
पीछे
क्या
तर्क
दिए
हैं,
दोषी
साबित
होने
पर
क्या
AAP
की
मान्यता
रद्द
हो
जाएगी?
भास्कर
एक्सप्लेनर
में
ऐसे
ही
7
जरूरी
सवालों
के
जवाब
जानेंगे…
सवाल
1:
ED
ने
AAP
को
आरोपी
बनाने
के
पीछे
क्या
तर्क
दिए
हैं?
जवाब
:
14
मई
को
दिल्ली
हाईकोर्ट
में
मनीष
सिसोदिया
की
जमानत
याचिका
पर
सुनवाई
हो
रही
थी।
इस
दौरान
ED
के
वकील
एडिशनल
सॉलिसिटर
जनरल
वी
राजू
ने
जस्टिस
स्वर्णकांता
शर्मा
से
कहा
था
कि
अब
मामले
में
आम
आदमी
पार्टी
(AAP)
को
भी
आरोपी
बनाया
जाएगा।
3
दिन
बाद
17
मई
को
ED
ने
जब
दिल्ली
के
राउज
एवेन्यू
कोर्ट
में
शराब
नीति
केस
में
8वीं
चार्जशीट
दायर
की,
तो
इस
बात
पर
मुहर
भी
लग
गई।
AAP
को
आरोपी
बनाकर
मुकदमा
चलाने
के
पीछे
यह
तर्क
दिया
जा
रहा
है
कि
शराब
नीति
में
जो
बदलाव
किए
गए
थे,
उसके
लिए
साउथ
ग्रुप
ने
AAP
को
कुल
100
करोड़
की
रिश्वत
दी।
इनमें
से
45
करोड़
रुपए
का
इस्तेमाल
AAP
की
ओर
से
2022
गोवा
चुनाव
के
दौरान
हुआ
था।
चार्जशीट
में
अरविंद
केजरीवाल
के
अलावा
AAP
पर
भी
मनी
लॉन्ड्रिंग
या
PMLA
एक्ट
के
तहत
मामला
दर्ज
किया
गया
है।
जांच
एजेंसी
ने
केजरीवाल
को
शराब
नीति
घोटाले
में
मुख्य
साजिशकर्ता
माना
है।
आरोप
है
कि
केजरीवाल
और
उनकी
AAP
सरकार
ने
नवंबर
2021
में
शराब
नीति
में
बदलाव
करके
होलसेलर्स
के
लिए
12%
और
रिटेलर्स
के
लिए
185%
प्रॉफिट
सुनिश्चित
किया।

ED
की
टीम
28
मार्च
को
दिल्ली
के
सीएम
अरविंद
केजरीवाल
को
लेकर
राउज
एवेन्यू
कोर्ट
पहुंची
थी।
सवाल
2:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
AAP
पार्टी
को
आरोपी
बनाने
पर
क्या
कहा
है?
जवाब:
सुप्रीम
कोर्ट
में
ED
की
ओर
से
जब
ASG
एसवी
राजू
ने
कहा
कि
जांच
एजेंसी
ने
चार्जशीट
में
AAP
को
आरोपी
बनाया
है।
इस
पर
सुप्रीम
कोर्ट
के
जस्टिस
संजीव
खन्ना
ने
कहा
कि
क्या
इस
आरोप
को
साबित
करने
के
लिए
आपके
पास
ठोस
सबूत
हैं?
इससे
पहले
अक्टूबर
2022
में
भी
दिल्ली
शराब
नीति
को
लेकर
सुनवाई
के
दौरान
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सरकारी
वकील
से
पूछा
था
कि
क्या
पूरी
आम
आदमी
पार्टी
इस
मामले
में
दोषी
है,
अगर
ऐसा
है
तो
आपने
अब
तक
AAP
को
आरोपी
क्यों
नहीं
बनाया
है।
इस
पर
ED
की
ओर
से
कहा
गया
था
कि
आगे
जल्द
ही
हम
AAP
को
आरोपी
बनाने
की
सोच
रहे
हैं।
उसी
वक्त
सुप्रीम
कोर्ट
के
जस्टिस
संजीव
खन्ना
ने
कहा
था
कि
सब
कुछ
सबूतों
पर
आधारित
होना
चाहिए
वर्ना
जिरह
के
दौरान
यह
केस
दो
मिनट
में
ही
रफा-दफा
हो
जाएगा।
सवाल
3:
क्या
एक
राजनीतिक
दल
AAP
को
शराब
घोटाले
में
कानूनी
तौर
पर
आरोपी
बनाया
जा
सकता
है?
जवाब:
हां,
AAP
को
आरोपी
बनाया
जा
सकता
है।
सुप्रीम
कोर्ट
के
वकील
विराग
गुप्ता
के
मुताबिक
PMLA
कानून
की
धारा-70
के
तहत
मनी
लॉन्ड्रिंग
के
लिए
कंपनियों
की
भी
आपराधिक
जवाबदेही
तय
की
गई
है।
राजनीतिक
पार्टियां,
कंपनी
कानून-2013
के
तहत
कंपनियों
के
दायरे
में
नहीं
आती
हैं,
लेकिन
PMLA
कानून
की
धारा-70
के
एक्सप्लेनेशन
1
(1)
के
मुताबिक
कंपनी
के
दायरे
में
व्यक्ति
या
फिर
व्यक्तियों
के
समूह
भी
आ
सकते
हैं।
पीपुल्स
रिप्रेजेंटेशन
एक्ट
की
धारा-29A
कहती
है
कि
राजनीतिक
पार्टियां
व्यक्तियों
का
समूह
हैं।
इन
दलों
का
चुनाव
आयोग
में
रजिस्ट्रेशन
होता
है।
उन्हें
कानूनी
तौर
पर
व्यक्तियों
के
समूह
का
दर्जा
मिल
जाता
है।
इसके
जरिए
राजनीतिक
पार्टियां
इनकम
टैक्स
रिटर्न
फाइल
करने
के
साथ
टैक्स
में
अनेक
छूट
हासिल
करती
हैं।
यही
वजह
है
कि
आम
आदमी
पार्टी
या
अन्य
पार्टी
को
PMLA
कानून
के
तहत
मनी
लॉन्ड्रिंग
के
मामलों
में
आरोपी
बनाया
जा
सकता
है।

आप
नेता
और
दिल्ली
के
पूर्व
उपमुख्यमंत्री
मनीष
सिसोदिया
को
फरवरी
2023
में
दिल्ली
शराब
नीति
घोटाला
मामले
में
गिरफ्तार
किया
गया
था।
सवाल
4:
दिल्ली
शराब
घोटाले
में
आम
आदमी
पार्टी
को
आरोपी
बनाने
से
मौजूदा
केस
में
क्या
फर्क
पड़ेगा?
जवाब:
ED
का
कहना
है
कि
शराब
घोटाले
के
पैसों
का
आम
आदमी
पार्टी
ने
दूसरे
राज्यों
में
चुनावों
के
लिए
इस्तेमाल
किया
है।
सुप्रीम
कोर्ट
में
बहस
के
दौरान
अगर
ED
ने
आम
आदमी
पार्टी
को
आरोपी
बनाया
तो
कानूनी
प्रावधानों
के
अनुसार
इसके
गंभीर
नतीजे
हो
सकते
हैं।
इस
बात
को
कुछ
कानूनी
उदाहरणों
से
समझते
हैं…
PMLA
कानून
की
धारा-2
(1)
(U)
में
आपराधिक
धन
के
प्रत्यक्ष
या
अप्रत्यक्ष
सभी
तरीके
से
लाभ
लेने
वाले
लोग
अपराध
के
दायरे
में
आ
सकते
हैं।
विजय
मदनलाल
चौधरी
बनाम
भारत
सरकार
मामले
में
2022
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
अपने
फैसले
में
इसका
जिक्र
किया
है।
PMLA
एक्ट
की
धारा-3
के
मुताबिक
आपराधिक
धन
और
संपत्ति
को
छिपाकर
रखने
या
इस्तेमाल
से
जुड़े
सभी
लोगों
के
खिलाफ
PMLA
के
तहत
आपराधिक
मामला
बनता
है।
शराब
घोटाले
में
AAP
पार्टी
को
आरोपी
बनाने
से
पार्टी
अध्यक्ष
के
अलावा
दूसरे
पदाधिकारी
और
कोषाध्यक्ष
भी
ED
की
जांच
के
दायरे
में
आ
सकते
हैं।
सवाल
5:
अगर
आम
आदमी
पार्टी
दोषी
साबित
हुई
तो
क्या
मान्यता
रद्द
हो
सकती
है?
जवाब:
सरकारी
अधिकारियों
और
मंत्रियों
के
खिलाफ
मामले
दर्ज
करने
और
मुकदमा
चलाने
की
मान्यता
भारत
के
कानून
और
सुप्रीम
कोर्ट
के
फैसलों
से
मिली
हुई
है।
आम
आदमी
पार्टी
को
आरोपी
बनाने
के
बाद
ED
को
पूरे
मामले
में
नए
तरीके
से
छानबीन
करनी
होगी।
राजनीतिक
दल
को
आरोपी
बनाने
को
अदालत
में
पार्टी
की
तरफ
से
चुनौती
भी
दी
जाएगी।
इस
मामले
से
जुड़े
जटिल
कानूनी
पहलुओं
को
देखते
हुए
उन
पर
आखिरी
फैसला
आने
में
लंबा
समय
लग
सकता
है।
आम
आदमी
पार्टी
के
दोषी
साबित
होने
पर
चुनाव
आयोग
से
पार्टी
की
मान्यता
और
चुनाव
चिह्न
सस्पेंड
करने
की
मांग
की
जा
सकती
है।
चुनाव
चिह्न
आदेश-
1968
के
मुताबिक
आचार
संहिता
के
उल्लंघन
या
चुनाव
आयोग
के
आदेश
का
पालन
नहीं
करने
पर
ही
पार्टी
के
खिलाफ
कार्रवाई
हो
सकती
है।
इसके
आधार
पर
पार्टी
की
मान्यता
रद्द
करने
की
मांग
भी
हो
सकती
है।

शराब
नीति
मामले
में
अंतरिम
जमानत
के
बाद
जेल
से
रिहा
हुए
अरविंद
केजरीवाल
ने
पार्टी
कार्यकर्ताओं
को
संबोधित
किया।
सवाल
6:
क्या
अरविंद
केजरीवाल
के
अलावा
पार्टी
के
दूसरे
पदाधिकारी
भी
जेल
जा
सकते
हैं?
जवाब:
PMLA
कानून
की
धारा-70
के
एक्सेप्शन-1
(1)
के
तहत
कंपनी
के
दायरे
में
पार्टी
को
शामिल
करने
के
बावजूद
उसके
पदाधिकारियों
के
खिलाफ
कार्रवाई
करना
मुश्किल
होगा।
इस
कानून
की
धारा-70
में
कंपनियों
की
जवाबदेही
के
लिए
डायरेक्टर
शब्द
की
कानूनी
व्याख्या
की
गई
है।
जबकि
पार्टियों
के
पदाधिकारियों
का
निर्धारण
पार्टी
के
संविधान
और
चुनाव
आयोग
के
रजिस्ट्रेशन
के
अनुसार
होता
है।
आम
आदमी
पार्टी
के
संविधान
के
मुताबिक
निर्णय
लेने
और
पैसे
के
लेन-देन
के
लिए
जवाबदेह
लोगों
को
ED
आरोपी
बना
सकती
है।
हालांकि
पैसे
के
अवैध
लेन-देन
और
हवाला
को
साबित
करने
के
लिए
ठोस
सबूत
नहीं
हुए
तो
पार्टी
और
सरकार
दोनों
के
खिलाफ
दर्ज
किए
गए
मामले
खारिज
हो
सकते
हैं।
सवाल
7:
AAP
को
दोषी
बनाने
से
इस
मामले
में
अब
आगे
क्या
होगा?
जवाब:
आम
आदमी
पार्टी
को
आरोपी
बनाने
से
फोकस
मनीष
सिसोदिया,
केजरीवाल
या
दूसरे
आरोपियों
से
AAP
पर
शिफ्ट
होगा।
अभी
तक
यह
धारणा
है
कि
दिल्ली
सरकार
ने
यह
शराब
घोटाला
किया
है,
लेकिन
पार्टी
को
आरोपी
बनाने
से
पूरा
परिदृश्य
बदल
जाएगा।
अब
इस
मामले
में
आगे
केजरीवाल
और
अन्य
लोगों
के
खिलाफ
पार्टी
के
पदाधिकारी
होने
के
नाते
मामला
चलेगा।