
Success
Story
:
सफलता
केवल
मेहनत
मांगती
है.
वह
नहीं
देखती
की
मेहनत
करने
वाला
अमीर
है
या
फिर
किसी
गरीब
घर
का
लड़का.
बिजनेस
जगत
ऐसे
हजारों
उदाहरणों
से
पटा
पड़ा
है.
लगभग
शून्य
से
शुरुआत
करके
लाखों
करोड़ों
तक
का
बिजनेस
बनाने
वाले
लोगों
की
एक
लम्बी
फेहरिस्त
है.
इनकी
कहानियां,
किसी
भी
हार
मान
चुके
शख्स
के
लिए
पारस
पत्थर
की
तरह
काम
करती
हैं.
आज
हम
एक
ऐसे
ही
शख्स
की
कहानी
लेकर
हाजिर
हैं,
जिसने
सपने
में
भी
नहीं
सोचा
था
कि
वह
एक
दिन
60,000
करोड़
रुपये
की
मार्केट
कैप
वाली
कंपनी
का
मालिक
होगा.
वह
तो
बस
मेहनत
करता
गया
और
कामयाबी
झक
मारके
उसके
पीछे-पीछे
चलती
रही.
जिस
शख्स
की
आज
हम
बात
कर
रहे
हैं
उसका
नाम
है
संदीप
इंजीनियर.
26
सितंबर
1962
को
गुजरात
में
पैदा
हुए
संदीप
इंजीनियर
आज
एस्ट्रल
लिमिटेड
(Astral
Limited)
के
मालिक
हैं.
कंपनी
का
शुरुआत
नाम
एस्ट्रल
पॉली
टेक्नीक
लिमिटेड
(Astral
Poly
Technik
Limited)
था.
जब
हम
यह
कहानी
छाप
रहे
हैं,
उस
दिन
तक
भारतीय
शेयर
बाजारों
में
लिस्टेड
इस
कंपनी
की
इंटरप्राइज
वैल्यू
61,457.22
करोड़
रुपये
है.
ट्रेंडलाइन
से
लिए
गए
आंकड़ों
के
मुताबिक,
कंपनी
के
प्रोमोटर्स
की
लिस्ट
में
अहम
नाम
संदीप
प्रवीणभाई
इंजीनियर
का
है.
उनके
पास
एस्ट्रल
लिमिटेड
के
31.57
फीसदी
स्टॉक
हैं.
केवल
उनकी
ही
शेयर
होल्डिंग
वैल्यू
18,606.8
करोड़
रुपये
की
है.
आंकड़े
तो
भारी-भरकम
हैं,
मगर
उनकी
कहानी
बहुत
साधारण
और
दिलचस्प
है.
पहला
बिजनेस-
कब्ज
हटाने
का
पाउडर
बेचा
संदीप
इंजीनियर
ने
गुजरात
विश्वविद्यालय
से
कैमिकल
इंजीनियरिंग
की
डिग्री
ली.
उनके
पास
बिजनेस
की
बेसिक
नॉलेज
भी
नहीं
थी,
मगर
23
साल
की
उम्र
में
वे
अपना
धंधा
स्थापित
करने
के
बारे
में
सोच
रहे
थे.
वे
लगभग
ढाई
साल
से
अहमदाबाद
के
मणिनगर
में
कैडिला
लैबोरेट्री
(अब
कैडिला
हेल्थकेयर)
पर
काम
कर
रहे
थे.
उन्होंने
काम
छोड़ा
और
बिजनेस
की
पहली
उड़ान
भरने
के
लिए
पंख
पसारे.
संदीप
इंजीनियर
ने
फ्लेवर्ड
ईसबगोल
(Isabgol)
डिस्ट्रीब्यूट
करना
शुरू
किया.
बता
दें
कि
ईसबगोल
को
भारत
के
कई
हिस्सों
में
कब्ज
(Constipation)
के
घरेलू
नुस्खे
के
तौर
पर
लिया
जाता
है.
माना
जाता
है
कि
ईसबगोल
खाने
से
कब्ज
दूर
होती
है
और
पेट
आसानी
से
फ्रेश
होता
है.
ईसबगोल
डिस्ट्रीब्यूशन
में
संदीप
को
एक
बड़ी
दिक्कत
का
सामना
करना
पड़ा.
दुकानदार
उनसे
उधार
में
माल
लेकर
काउंटर
पर
रखना
चाहते
थे.
वे
कहते
थे
कि
अगर
बिक
गया
तो
पैसा
देंगे,
और
नहीं
बिका
तो
माल
ज्यों
का
त्यों
रखे
रहेंगे.
इसी
अड़चन
की
वजह
से
उनकी
धंधे
की
यह
उड़ान
कुछ
ही
वर्षों
में
जमीन
पर
आ
गिरी.
80
के
दशक
में
वे
5
हजार
रुपये
के
कर्ज
तले
दब
चुके
थे.
कैडिला
चीफ
पंकज
पटेल
ने
दिखाई
राह
1987
में
वे
कैडिला
हेल्थकेयर
संभाल
रहे
पंकज
पटेल
के
पास
गए
और
बिजनेस
के
लिए
सलाह
मांगी.
आज
की
डेट
में
पंकज
पटेल
एक
अरबपति
हैं
और
जायड्स
लाइफसाइंस
(Zydus
Lifesciences)
के
चेयरमैन
हैं.
पटेल
ने
उन्हें
सुझाव
दिया
कि
वे
एक्टिव
फार्मा
इंग्रिडिएंट्स
(API)
में
अपनी
किस्मत
आजामाएं.
बता
दें
कि
दवाएं
बनाने
के
लिए
API
एक
महत्वपूर्ण
तत्व
होता
है.
संदीप
इंजीनियर
को
आइडिया
सही
लगा
और
उन्होंने
श्री
कैमिकल्स
(Shree
Chemicals)
नाम
की
एक
कंपनी
बना
दी.
फोर्ब्स
इंडिया
से
बात
करते
हुए
संदीप
इंजीनियर
ने
एक
बार
कहा
था,
“पंकजभाई
ने
मुझे
पूरी
प्रक्रिया
के
बारे
में
समझाया
था.
मेरे
जीवन
में
वे
एक
बड़े
मेंटर
की
तरह
हैं.
उन्होंने
मुझे
आइडिया
भी
दिया
और
सलाह
भी.
उन्होंने
मुझसे
कहा
था,
जितना
बना
सकते
हो
बनाओ,
हम
खरीदेंगे.”
फोर्ब्स
की
ही
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
बाद
में
हालांकि
कैडिला
ने
उनके
लगभग
आधे
प्रॉडक्ट
रिजेक्ट
कर
दिया,
क्योंकि
क्वालिटी
वैसी
नहीं
थी,
जैसी
चाहिए
थी.
ऐसे
में
इंजीनियर
को
मैन्युफैक्चरिंग
बंद
करनी
पड़ी.
मतलब
एक
और
सेटबैक
मिला.
बिजनेस
में
मुसीबतें
तो
आती
ही
हैं,
मगर
सफल
वही
होता
है
जो
जिद्दी
हो
और
हार
न
माने.
संदीप
इंजीनियर
ने
कैरव
कैमिकल्स
(Kairav
Chemicals)
नाम
की
एक
कंपनी
बनाई
और
एक
नई
तरह
के
प्रॉडक्ट
लाइन
पकड़ी.
शुरुआती
सभी
टेस्ट
पास
कर
लिए.
कंपनी
ठीक-ठाक
काम
करने
लगी.
तब
इंजीनियर
को
लगा
कि
केवल
एक
ही
मॉलीक्यूल
में
काम
करके
बहुत
आगे
तक
नहीं
जाया
जा
सकता.
वे
अभी
भी
किसी
ऐसी
चीज
की
तलाश
में
थे,
जो
उनकी
बिजनेस
की
तड़प
को
सुकून
दे
पाए.
अमेरिका
वाले
अंकल
और
CPVC
जब
किसी
भी
चीज
की
तड़प
हद
से
गुजरने
लगे
तो
कायनात
भी
मदद
के
लिए
आगे
आ
जाती
है.
ऐसा
ही
इंजीनियर
के
साथ
हुआ.
अमेरिका
विजिट
के
दौरान
उनके
अंकल
ने
उन्हें
सीपीवीसी
(CPVC)
के
बारे
में
बताया.
सीपीवीसी
की
फुल
फॉर्म
है
क्लोरिनेडेट
पॉलीविनिल
क्लोराइड
(Chlorinated
polyvinyl
chloride).
उनके
अंकल
अमेरिकी
कंपनी
बीएफ
गुडरिच
परफॉर्मेंस
मटीरियल
में
आरएंडडी
(रिसर्च
एंड
डेवलपमेंट)
डिपार्टमेंट
में
हेड
थे.
अब
इस
कंपनी
का
नाम
लुब्रिजॉल
(Lubrizol)
है,
जो
सीपीवीसी
पाइप
की
दुनिया
की
सबसे
बड़ी
मैन्युफैक्चरर
है.
यहां
संदीप
इंजीनियर
को
पोटेंशियल
नजर
आया.
वे
अमेरिका
से
लौटे
और
1998
में
एस्ट्रल
पॉली
टेक्नीक
कंपनी
बनाई.
खुद
संदीप
इंजीनियर
बताते
हैं,
“जब
मैंने
सीपीवीसी
पाइप्स
लॉन्च
की
तो
कोई
इसे
एक्सेप्ट
नहीं
कर
रहा
था.
हम
भारत
में
केवल
इंडस्ट्रियल
सीपीवीसी
पाइप
लाए
थे.
पहले
कुछ
वर्षों
में
इंडस्ट्री
ने
इसे
भाव
नहीं
दिया.
हम
अपनी
क्षमता
का
केवल
5
प्रतिशत
ही
काम
कर
पा
रहे
थे.
हमें
बहुत
नुकसान
हो
रहा
था
और
लगातार
कर्ज
का
पहाड़
बढ़
रहा
था.”
यहां
तक
संदीप
इंजीनियर
ने
बिजनेस
की
नब्ज
तो
पकड़
ली
थी,
मगर
सफलता
अभी
कुछ
कदम
दूरी
पर
थी.
जीआई
पाइप्स
को
किया
रिप्लेस
2001
में
संदीप
इंजीनियर
अपनी
सीपीवीसी
पाइप
को
प्लम्बिंग
पर्पज
के
लिए
ले
आए.
उन्होंने
गाल्वैनिस्ड
आयरन
(GI)
पाइप्स
को
रिप्लेस
करने
के
बारे
में
सोचा
था,
जोकि
बहुत
मुश्किल
था.
इसे
सफल
बनाने
के
लिए
उन्होंने
प्लम्बरों
के
साथ
मीटिंग्स
की
और
उन्हें
बताया
कि
इन
पाइपों
को
कैसे
इस्तेमाल
में
लाना
है.
सीपीवीसी
पाइप
जीआई
पाइप
से
महंगी
थी
तो
लोग
उसे
खरीदना
नहीं
चाहते
थे.
इसी
वजह
से
संदीप
ने
पाइप
की
कीमतों
को
20-25
प्रतिशत
तक
घटा
दिया,
ताकि
ज्यादा
बड़ी
मात्रा
में
सेल
की
जा
सके.
ये
भी
पढ़ें
–
रात
गुजारने
को
सिर
पर
नहीं
थी
छत,
गलियों
में
सोया,
घर-घर
जाकर
बेचे
शैंपू,
आज
है
खरबपति
2003
आते-आते
काम
चलने
लगा.
सालाना
बिजनेस
पहले
15
करोड़
और
फिर
25
करोड़
तक
पहुंचा.
2007
तक
एस्ट्रल
60
करोड़
रुपये
तक
पहुंच
गई
थी.
इंजीनियर
कंपनी
का
आईपीओ
लाए
और
बाजार
से
35
करोड़
रुपये
उठाए.
एस्ट्रल
ने
न
केवल
पाइप्स,
बल्कि
सीपीवीसी
सेग्मेंट
में
और
भी
काफी
सामान
बनाया,
जोकि
प्लम्बिंग
में
कम
आता
है.
बाद
में
उनके
बेटे
कैरव
भी
उनके
साथ
आ
गए.
ग्राहकों
तक
पहुंचने
और
प्रॉडक्ट
की
रिकॉल
वैल्यू
बढ़ाने
के
लिए
कंपनी
का
नाम
बदला
गया.
एस्ट्रल
पॉली
टेक्नीक
से
बदलकर
एस्ट्रल
पाइप्स
(Astral
Pipes)
कर
दिया
गया.
दबंग
2
का
वो
6
मिनट
का
सीन
और
सेल
हुई
शूटअप
2012
में
सलमान
खान
की
एक
फिल्म
आई,
जिसका
नाम
था
दबंग
2
(Dabangg
2).
इस
फिल्म
में
एक
सीन
था,
जिसमें
हीरो
सलमान
खान
(किरदार
चुलबुल
पांडे)
बच्चे
को
किडनैप
करने
वाले
गुंडों
की
धुनाई
करते
हैं.
लगभग
6
मिनट
के
इस
सीन
में
कई
बार
एस्ट्रल
के
बॉक्स
और
पाइपें
देखने
को
मिलती
हैं.
सीन
के
लास्ट
में
सलमान
खान
एस्ट्रल
पाइप
से
भी
गुंडों
को
ठोकते
नजर
आते
हैं.
इसी
सीन
को
लेकर
एक
टेलीविजन
विज्ञापन
(TVC)
भी
बनाया
गया.
नीचे
वीडियो
में
आप
एस्ट्रल
का
विज्ञापन
देख
सकते
हैं-
दबंग
के
इस
विज्ञापन
के
बाद
एस्ट्रल
की
पाइप
की
डिमांड
रातों-रात
बढ़
गई.
लोग
इसे
‘दबंग
पाइप’
और
‘सलमान
वाली
पाइप’
के
नाम
से
जानने
लगे.
दबंग
3
के
लिए
भी
कंपनी
ने
फिल्म
के
साथ
टाईअप
किया
था.
सलमान
स्टारर
यह
मूवी
2019
में
रिलीज
हुई
थी.
हालांकि,
एक्ट्रल
पाइप
की
सेल
तो
2012
के
बाद
से
ही
उड़ान
भरने
लगी
थी.
मगर
2019
के
बाद
तो
इसने
नई
ऊंचाइयां
छूनी
शुरू
कर
दी
थीं.
संदीप
इंजीनियर
द्वारा
शुरू
की
गई
एस्ट्रल
लिमिटेड
ने
2019
में
₹1,915
करोड़
रुपये
की
सेल
की
थी.
2020
में
ये
बढ़कर
2,042.8
करोड़
रुपये
तक
पहुंची
और
अगले
ही
साल
यह
2,486
करोड़
पार
कर
गई.
2021
के
बाद
2022
में
यह
बढ़कर
4061
करोड़
पहुंच
गई.
यह
एक
बड़ा
उछाल
था.
2023
में
यह
सेल
4,611.6
करोड़
रुपये
तक
पहुंच
चुकी
है.
इसी
दौरान
यदि
हम
बात
करें
प्रॉफिट
की
तो
2019
में
कंपनी
ने
141.4
करोड
रुपये
बनाए
थे,
और
2022
में
कंपनी
ने
461.7
करोड
रुपये
का
प्रॉफिट
हासिल
किया
था.
2023
में
प्रॉफिट
पिछले
साल
के
मुकाबले
कुछ
घटकर
447.9
करोड़
रुपये
रहा.
संदीप
इंजीनियर
की
नेट
वर्थ
फोर्ब्स
डॉट
कॉम
के
मुताबिक,
संदीप
इंजीनियर
की
नेट
वर्थ
3.8
बिलियन
डॉलर
है.
भारतीय
करेंसी
में
यह
31,653
करोड़
(3,16,53,56,30,000)
रुपये
बनती
है.
इसी
वेबसाइट
के
मुताबिक,
2020
में
उनकी
नेट
वर्थ
1.1
बिलियन
डॉलर
थी.
2021
में
बढ़कर
2.3
बिलियन
डॉलर
हुई
और
2022
में
2.6
बिलियन
डॉलर
हो
गई.
2023
में
इसमें
ज्यादा
परिवर्तन
नहीं
देखा
गया,
मगर
फिलहाल
यह
बढ़कर
3.8
बिलियन
डॉलर
तक
पहुंच
गई
है.
संदीप
इंजीनियर
का
परिवार
बिलियनेयर
संदीप
इंजीनियर
के
पिता
प्रवीण
चंद्रा
थे
और
माता
का
नाम
हंसाबेन
इंजीनियर
था.
संदीप
की
शादी
जाग्रुति
से
हुई.
जाग्रुति
फिलहाल
एस्ट्रल
लिमिटेड
के
प्रोमोटर्स
में
शामिल
हैं
और
उनके
पास
7.56
प्रतिशत
(2,03,18,688)
शेयर
हैं.
संदीप
इंजीनियर
और
जाग्रुति
को
दो
बेटे
हैं,
जिनका
नाम
कैरव
और
सौम्य
हैं.
कंपनी
में
कितना
दम?
किसी
भी
कंपनी
में
कितना
दमखम
है,
यह
जानने
के
लिए
एक
नजर
इसके
शेयरहोल्डिंग
पैटर्न
पर
भी
डालनी
चाहिए.
शेयर
बाजार
में
लिस्टेड
कंपनियों
की
बारीक
से
बारीक
जानकारी
देने
वाली
वेबसाइट
फिनोलॉजी
के
अनुसार,
कंपनी
के
प्रोमोटर्स
के
पास
54.1
प्रतिशत
शेयर
हैं.
आमतौर
पर
प्रोमोटर
के
पास
70-75
प्रतिशत
तक
शेयर
होते
हैं.
केवल
इसी
आंकड़े
को
देखकर
आप
कह
सकते
हैं
कि
शायद
प्रोमोटरों
को
कंपनी
पर
भरोसा
नहीं,
मगर
यही
सीन
तब
बिलकुल
उलट
जाता
है,
जब
हम
कंपनी
के
शेयर
खरीदकर
बैठे
बड़े
संस्थागत
निवेशकों
का
आंकड़ा
देखते
हैं.
विदेशी
संस्थागत
निवेशकों
(DIIs)
ने
कंपनी
के
21.22
प्रतिशत
शेयर
अपने
झोलों
में
भरे
हुए
हैं.
इसी
तरह
घरेलू
संस्थागत
निवेशकों
(DIIs)
के
पास
12.85
प्रतिशत
शेयर
हैं.
पब्लिक
के
पास
केवल
11.82
प्रतिशत
शेयर
ही
हैं.
2020
में
कोरोना
की
वजह
से
मार्च
में
दुनिया
के
तमाम
बाजार
और
शेयर
धराशायी
हो
गए
थे.
मार्च
में
एस्ट्रल
के
शेयर
ने
NSE
पर
417.10
का
लो
बनाया
था.
अभी
4
साल
ही
बीते
हैं
और
फिलहाल
कंपनी
का
स्टॉक
2,193.75
पर
है.
बीते
सप्ताह
इसने
2,352
रुपये
का
हाई
बनाया
था.
उस
दौरान
किए
गए
निवेश
को
कंपनी
ने
5
गुना
करके
लौटाया
है.
इस
कहानी
का
सार
यही
है
कि
जिद
करके
लगे
रहने
से
सफलता
की
पल्लू
हाथ
में
आ
ही
जाता
है.
मेहनत
ऐसा
रंग
लाती
है
कि
इतिहास
उसे
कभी
भूल
नहीं
पाता.
Tags:
Business
empire,
Business
news,
Business
news
in
hindi,
Success
Story,
Successful
businesswoman
FIRST
PUBLISHED
:
May
19,
2024,
05:31
IST