22 से खोला खाता, 78 पर अटके… लोकसभा का वो डाटा जिसमें पाकिस्तान-नेपाल भी भारत से आगे

22 से खोला खाता, 78 पर अटके… लोकसभा का वो डाटा जिसमें पाकिस्तान-नेपाल भी भारत से आगे


Women
MPs
in
India:

लोकसभा
चुनाव
लगभग
आखिरी
दौर
में
है.
नतीजों
में
15
दिन
और
बचे
हैं.
तमाम
पार्टियां
अपनी
जीत
के
दावे
कर
रही
हैं.
सीटों
का
गुणा-गणित
साधने
में
जुटी
हैं.
पर
एक
गणित
ऐसी
भी
है,
जिसमें
भारत
अपने
पड़ोसी
पाकिस्तान-बांग्लादेश
से
भी
पिछड़
गया
है.
वो
है
महिलाओं
के
प्रतिनिधित्व
का.
भारतीय
संसद
में
सिर्फ
14.2%
महिलाएं
हैं.


पहले
लोकसभा
चुनाव
का
हाल

शुरुआत
पहले
लोकसभा
चुनाव
(Loksabha
Election)
से
करते
हैं.
साल
1951-52
में
हुए
पहले
लोकसभा
चुनाव
में
कुल
22
महिलाएं
सांसद
बनी
थीं.
यह
कुल
सीटों
के
मुकाबले
सिर्फ
4.4
फ़ीसदी
था.
उसे
चुनाव
में
पंडित
नेहरू
की
बहन
विजय
लक्ष्मी
पंडित
भी
लखनऊ
सीट
से
चुनाव
जीती
थीं,
लेकिन
यह
साफ
नहीं
है
कि
उन्होंने
बतौर
सांसद
शपथ
ली
या
नहीं.
क्योंकि
तब
वह
UN
में
भारतीय
प्रतिनिधिमंडल
की
अगुवाई
कर
रही
थीं.
साल
1953
में
वह
यूएन
जनरल
असेंबली
की
पहली
महिला
अध्यक्ष
बनी
थीं.

पहले
लोकसभा
चुनाव
में
जो
चर्चित
महिलाएं
सांसद
बने
थीं,
उनमें
हिमाचल
प्रदेश
की
मंडी
सीट
से
राजकुमारी
अमृत
कौर,
नई
दिल्ली
सीट
से
सुचेता
कृपलानी,
डिंडीगुल
(मद्रास)
सीट
से
अम्मू
स्वामीनाथन
शामिल
थीं.
पहले
आम
चुनाव
में
सबसे
ज्यादा
5
महिलाएं
उत्तर
प्रदेश
से
चुनी
गई
थीं.
इसमें
कांग्रेस
के
टिकट
पर
गंगा
देवी,
श्योराजवती
नेहरू,
उमा
नेहरू
और
विजय
लक्ष्मी
पंडित
शामिल
थीं.
वहीं,
जन
संघ
के
टिकट
पर
शकुंतला
नैयर
जीती
थीं.


1952
से
बढ़ती
गई
संख्या

1951-1952
के
बाद
से
हर
लोकसभा
चुनाव
में
महिला
सासंदों
की
संख्या
बढ़ती
गई.
भले
ही
थोड़ी
ही
सही.
उदाहरण
के
तौर
पर
1957
के
चुनाव
में
27
महिलाएं
जीतीं,
1962
में
34
महिलाएं
जीतने
में
सफल
रहीं.
2009
के
लोकसभा
चुनाव
में
पहली
बार
लोकसभा
में
महिला
सांसदों
की
संख्या
कुल
सीटों
के
मुकाबले
10
फीसदी
से
ज्यादा
हुई.
16वीं
लोकसभा
(2009
से
2014
तक)
में
पहली
बार
61
महिलाएं
जीत
कर
लोकसभा
में
पहुंचीं.
यह
कुल
सीटों
के
मुकाबले
11.2%
था.



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मालिक


2019
में
टूटा
सारा
रिकॉर्ड

2019
के
चुनाव
में
सारा
रिकॉर्ड
टूटा
और
सबसे
ज्यादा
महिलाएं
सांसद
बनीं.
पिछले
चुनाव
में
कुल
78
महिलाएं
जीतकर
लोकसभा
में
पहुंची.
यह
कुल
सीटों
के
मुकाबले
14.2
फीसदी
था.


पर
हम
पड़ोसियों
से
भी
पीछे

पहले
लोकसभा
चुनाव
से
अब
तक
भले
ही
संसद
में
महिलाओं
का
प्रतिनिधित्व
बढ़ा
है,
लेकिन
पड़ोसी
देशों
के
मुकाबले
हम
बहुत
पीछे
हैं.
दुनिया
की
तमाम
पार्लियामेंट
के
डाटा
पर
काम
करने
वाली
संस्था
इंटर
पार्लियामेंट्री
यूनियन
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
भारत
महिलाओं
के
प्रतिनिधित्व
के
मामले
में
193
देशों
में
142वें
नंबर
पर
है.
यहां
तक
कि
हम
अपने
पड़ोसी
पाकिस्तान,
नेपाल
और
बांग्लादेश
से
भी
पीछे
हैं.
पाकिस्तानी
137वें,
बांग्लादेश
113वें
और
नेपाल
54वें
नंबर
पर
है.


इस
बार
बदलेगी
सूरत

हालांकि
उम्मीद
है
कि
इस
बार
सारा
रिकॉर्ड
टूटेगा.
संसद
में
महिलाओं
का
प्रतिनिधित्व
बढ़ाने
के
लिए
केंद्र
की
नरेंद्र
मोदी
सरकार
ने
पिछले
साल
अक्टूबर
में
महिला
आरक्षण
विधेयक
पारित
करवाया
था.
जिसमें
महिलाओं
के
लिए
लोकसभा
और
राज्य
विधानसभा
में
33%
सीटें
आरक्षित
की
गई
थीं.
यह
विधेयक
बहुत
लंबे
समय
से
पेंडिंग
था.

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