
सागर
में
मतदान
का
प्रतिशत
65.75%
रहा
है।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
मध्यप्रदेश
के
बुंदेलखंड
अंचल
की
प्रमुख
लोकसभा
सीट
सागर
में
स्वतंत्रता
के
बाद
शुरुआती
दशकों
में
जनता
लगातार
कांग्रेस
पर
विश्वास
जताती
रही।
वर्ष
1952
से
1984
तक
अपवाद
छोड़
कर
लगातार
कांग्रेस
को
जीत
मिलती
रही,
लेकिन
वर्ष
1991
के
बाद
आज
तक
यह
सीट
भाजपा
का
मजबूत
गढ़
बन
चुकी
है।
लगातार
सात
बार
से
भाजपा
का
दबदबा
बना
हुआ
है।
मंदसौर
सामान्य
सीट
होने
के
बाद
ओबीसी
के
प्रत्याशी
को
विजय
मिलती
रही
है
जिसके
चलते
ओबीसी
के
भूपेंद्र
सिंह,
लक्ष्मीनारायण
यादव,
राजबहादुर
सिंह
लोकसभा
का
चुनाव
जीते।
इस
दफा
भाजपा
ने
मौजूदा
सांसद
राजबहादुर
सिंह
के
स्थान
पर
महिला
आयोग
की
पूर्व
अध्यक्ष
डॉ.
लता
वानखेड़े
को
उम्मीदवार
बनाया
है।
जो
ओबीसी
वर्ग
से
ही
आती
हैं।
अगर
पिछले
परिणामों
की
बात
करें
तो
लोकसभा
चुनाव
2019
में
भाजपा
ने
सागर
से
जीत
हासिल
की
थी।
भाजपा
ने
6
लाख
46
हजार
231
मत
हासिल
किए
थे
और
कांग्रेस
प्रत्याशी
प्रभुसिंह
ठाकुर
को
3
लाख
40
हजार
689
मत
मिले।
इस
तरह
कांग्रेस
के
प्रभु
सिंह
ठाकुर
3
लाख
5
हजार
542
मतों
से
चुनाव
हार
गए।
चुनावी
मुद्दे
सागर
संसदीय
सीट
की
बात
करें,
तो
कृषि
प्रधान
इस
इलाके
में
सिंचाई
सुविधाओं
के
अभाव
के
चलते
किसान
को
मजदूरी
कर
अपनी
रोजी
रोटी
कमानी
होती
है।
ऐसे
में
बुंदेलखंड
के
दूसरे
जिलों
की
तरह
सागर
का
बड़ा
तबका
बडे़
शहरों
की
तरफ
पलायन
करता
है।
औद्योगिकीकरण
के
नजरिए
से
देखा
जाए
तो
मध्यप्रदेश
की
इकलौती
रिफायनरी
बीना
रिफायनरी
सागर
संसदीय
सीट
में
स्थित
है,
लेकिन
रोजगार
के
मामले
में
यहां
के
लोगों
को
कोई
खास
अवसर
हासिल
नहीं
हुए
हैं।
अंचल
में
रोजगार
के
अन्य
संसाधनों
का
अभाव
है,
जिससे
यहां
पढ़े-लिखे
नौजवानों
की
संख्या
ज्यादा
है।
हालांकि
संभागीय
मुख्यालय
सागर
में
केंद्रीय
और
राजकीय
विश्वविद्यालय
के
साथ
मेडिकल
और
इंजीनियरिंग
कॉलेज
भी
है।
स्वास्थ्य
सुविधाओं
की
अगर
बात
करें
तो
कहने
को
यहां
शासकीय
मेडिकल
कॉलेज
है,
लेकिन
आज
भी
सुपर
स्पेशियल्टी
सुविधाओं
का
अभाव
यहां
के
मरीजों
को
नागपुर
और
भोपाल
के
चक्कर
लगाने
को
मजबूर
करता
है
विज्ञापन
मुख्य
मुकाबला
सागर
संसदीय
सीट
पर
मुख्य
मुकाबला
हमेशा
की
तरह
इस
बार
भाजपा
तथा
कांग्रेस
के
बीच
माना
जा
रहा
है।
कहने
को
तो
यहां
बहुजन
समाज
पार्टी
ने
भी
अपना
प्रत्याशी
उतारा
है।
सागर
लोकसभा
सीट
से
भाजपा
ने
अपना
प्रत्याशी
मध्य
प्रदेश
राज्य
महिला
आयोग
की
पूर्व
अध्यक्ष
लता
वानखेडे़
को
बनाया
है।
लता
वानखेड़े
कुर्मी
समुदाय
से
आती
हैं
जो
पिछड़ा
वर्ग
के
अंतर्गत
आता
है
अगर
समग्र
ओबीसी
वोट
बैंक
एकजुट
होता
है
तो
उनकी
राह
आसान
बनेगी।
बीजेपी
प्रत्यशी
के
पक्ष
में
भारतीय
जनता
पार्टी
के
दिग्गज
नेताओं
ने
ताबड़तोड़
सभाएं
कीं।
वही
कांग्रेस
ने
यहां
से
चंद्रभूषण
बुंदेला
को
मैदान
में
उतारा
है।
चंद्रभूषण
सिंह
बुंदेला
6
माह
पहले
विधानसभा
चुनाव
के
समय
बहुजन
समाज
पार्टी
का
दामन
छोड़कर
कांग्रेस
में
शामिल
हुए
थे।
वे
उत्तरप्रदेश
के
ललितपुर
के
डोंगरा
कलां
निवासी
बुंदेला
बंधु
नाम
से
चर्चित
सुजानसिंह
बुंदेला
परिवार
के
सदस्य
हैं।
पिछले
विधानसभा
चुनाव
के
पहले
बसपा
छोड़
कांग्रेस
में
शामिल
हुए
थे,
जिन्हें
कांग्रेस
ने
स्टार
प्रचारक
बनाया
था।
बतौर
स्टार
प्रचारक
हेलीकॉप्टर
से
जमकर
प्रचार
किया।
कांग्रेस
के
किसी
भी
बड़े
नेता
की
सभा
का
आयोजन
नहीं
हुआ।
सागर
लोकसभा
एक
परिचय
सागर
लोकसभा
सीट
की
जनसंख्या
23
लाख
13
हजार
901
है,
जिसमें
से
72
प्रतिशत
लोग
गांवों
में
और
27
प्रतिशत
लोग
शहरों
में
निवास
करते
हैं।
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
लोग
मुख्य
रूप
से
कृषि
एवं
मजदूरी
करते
हैं,
लेकिन
शहर
में
बड़ी
संख्या
में
लोग
बीड़ी
और
अगरबत्ती
बनाने
का
काम
भी
करते
हैं।
सागर
लोकसभा
क्षेत्र
में
सागर
जिले
की
बीना,
खुरई,
सागर,
सुर्खी,
नरयावली
पांच
विधानसभा
सीटें
आती
हैं।
जबकि
परिसीमन
के
बाद
इसमें
विदिशा
जिले
की
सिरोंज,
शमसाबाद,
कुरवाई
सीटों
को
जोड़ा
गया
था।
इन
आठ
विधानसभा
सीटों
में
से
सात
पर
भाजपा
काबिज
थी,
जबकि
बीना
विधानसभा
सीट
पर
कांग्रेस
की
निर्मला
सप्रे
विधायक
थीं।
जिन्होंने
मतदान
तीन
दिन
पहले
भाजपा
का
दामन
थाम
लिया
था।
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
साल
1951
में
ये
सीट
अस्तित्व
में
आई
थी,
तब
यहां
कांग्रेस
का
कब्जा
था।
तब
यह
सीट
आरक्षित
वर्ग
के
लिए
रिजर्व
थी।
1967
के
चुनाव
में
यहां
से
भारतीय
जन
संघ
ने
जीत
दर्ज
की
तो
वहीं
1971
में
यहां
से
कांग्रेस
जीती,
लेकिन
77
के
चुनाव
में
उसे
भारतीय
लोकदल
से
शिकस्त
हासिल
हुई।
साल
1980
के
चुनाव
में
कांग्रेस
की
यहां
वापसी
हुई
और
1984
में
भी
उसका
राज
यहां
रहा,
लेकिन
1989
के
चुनाव
में
यहां
भाजपा
ने
जीत
के
साथ
खाता
खोला
और
शंकर
लाल
खटीक
यहां
से
सांसद
बने।
साल
1991
के
चुनाव
में
एक
बार
फिर
से
यहां
कांग्रेस
को
सफलता
मिली,
लेकिन
साल
1996
के
चुनाव
में
भाजपा
ने
कांग्रेस
से
अपनी
हार
का
बदला
ले
लिया
और
वीरेंद्र
कुमार
खटीक
यहां
से
सांसद
चुने
गए।
वो
लगातार
चार
बार
इस
सीट
से
एमपी
रहे।
साल
2009
के
चुनाव
में
यहां
से
भाजपा
नेता
भूपेंद्र
सिंह
और
साल
2014
के
चुनाव
में
भाजपा
के
ही
टिकट
पर
लक्ष्मी
नारायण
सिंह
यहां
के
सांसद
की
कुर्सी
पर
विराजमान
हुए।
वहीं
2019
में
बीजेपी
के
राजबहादुर
सिंह
निर्वाचित
हुए
एक
तरह
से
ये
सीट
बीजेपी
की
पारंपरिक
सीट
बन
गई।
सागर
लोकसभा
के
जातीय
समीकरण
की
बात
करें
तो
यहां
पिछड़ा
वर्ग
चुनावों
मैं
निर्णायक
भूमिका
अदा
करता
है।
इसके
आलावा
हरिजन
ठाकुर
और
जैन,
ब्राह्मण,
मुस्लिम,
वोट
भी
अच्छी
खासी
संख्या
मैं
है।
विज्ञापन
संसदीय
सीट
पर
वर्ष
2019
मैं
कुल
65.57%
मतदान
हुआ
था।
यहां
कुल
10
लाख
37
हजार
175
वोट
पड़े
थे।
इनमें
भारतीय
जनता
पार्टी
को
6,46,231
मत
जबकि
कांग्रेस
को
3,40,689
मत
मिले
थे।
यहां
से
भारतीय
जनता
पार्टी
प्रत्याशी
राजबहादुर
सिंह
ने
कांग्रेस
प्रत्याशी
प्रभु
सिंह
को
3
लाख
से
अधिक
मतों
से
पराजित
किया
था।
अगर
2024
के
मतदान
की
बात
की
जाए
तो
यहां
इस
बार
मतदान
का
प्रतिशत
65.75%
रहा
है।
इसमें
पुरुष
मतदान
70%
जबकि
महिला
मतदान
61%
रहा
है।
यहां
भाजपा
के
पास
अपनी
जीत
की
लीड
बरक़रार
रखने
की
चुनौती
है,
वहीं
कांग्रेस
के
पास
भाजपा
के
तिलिस्म
को
तोड़
यहां
फतह
हासिल
करने
की।