
खंडवा
लोकसभा
चुनाव
में
दोनोें
दलों
को
अपनी
जीत
की
उम्मीद
है।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
लोकसभा
चुनाव
का
अंतिम
चरण
भी
गुजरने
वाला
है।
इसी
के
साथ
सभी
को
अगली
चार
तारीख
को
आने
वाले
नतीजों
का
बेसब्री
से
इंतजार
है,
लेकिन
इस
बीच
लोगों
के
मन
में
कई
सवाल
भी
हैं,
और
उन्हीं
सवालों
को
सुलझाने
की
कोशिश
हम
कर
रहे
हैं।
सबसे
पहले
आपको
बता
दें
कि
देशभर
में
लोकसभा
चुनाव
को
लेकर
काफी
उत्साह
देखने
को
मिला
है।
हालांकि
इस
बार
मतदान
का
प्रतिशत
कुछ
कम
जरूर
रहा
है,
लेकिन
अब
मंगलवार
को
आने
वाले
नतीजे
ही
बताएंगे
कि
अगले
पांच
सालों
के
लिए
देश
की
सत्ता
की
चाबी
किसके
हाथों
में
रहने
वाली
है।
खंडवा
में
कांग्रेस
और
भाजपा
के
बीच
था
मुकाबला
बात
करें
मध्य
प्रदेश
की
तो
यहां
की
29
लोकसभा
सीटों
पर
पहले
चरण
से
लेकर
चौथे
चरण
तक
चुनाव
हो
गया
था।
निमाड़
क्षेत्र
की
खंडवा
लोकसभा
सीट
की
बात
करें
तो
खंडवा
लोकसभा
सीट
लंबे
समय
से
भाजपा
के
कब्जे
में
ही
रही
है।
इस
बार
यानी,
2024
में
खंडवा
लोकसभा
सीट
पर
मुख्य
मुकाबला
कांग्रेस
और
भाजपा
के
बीच
ही
रहा।
यहां
भारतीय
जनता
पार्टी
की
ओर
से
वर्तमान
सांसद
ज्ञानेश्वर
पाटिल
को
ही
टिकट
देकर
चुनावी
मैदान
में
उतारा
गया
था,
तो
वहीं
कांग्रेस
की
ओर
से
एक
नया
नाम
सामने
आया
था।
कांग्रेस
ने
बड़वाह
विधानसभा
सीट
से
चुनाव
हारने
के
बावजूद
एक
बार
फिर
से
नरेंद्र
पटेल
को
ही
लोकसभा
चुनाव
में
अपना
उम्मीदवार
बनाया
था।
क्या
कम
मतदान
बनेगा
कांग्रेस
के
लिए
सत्ता
परिवर्तन
का
सहारा
2024
के
लोकसभा
चुनाव
में
इस
बार
पूरे
देश
में
एक
बात
सामान्य
रूप
से
देखने
को
मिली
है,
हालांकि
यह
बात
इतनी
भी
सामान्य
न
होकर
बड़ी
गंभीर
है
कि
लगभग
पूरे
देश
में
अधिकतर
स्थानों
पर
लोकसभा
चुनाव
के
मतदान
का
प्रतिशत
कुछ
कम
रहा
है।
खंडवा
लोकसभा
क्षेत्र
की
बात
करें
तो
साल
2014
में
हुए
लोकसभा
चुनाव
में
मतदान
का
प्रतिशत
70.93
था,
तो
वहीं
2019
में
वोटिंग
का
प्रतिशत
बढ़कर
76.90
हो
गया
था,
लेकिन
इस
बार
यानी
2024
में
लोकसभा
इलेक्शन
में
मतदान
का
प्रतिशत
एक
बार
फिर
घटकर
70.72%
पर
आ
गया।
इस
बार
यह
देखने
वाली
बात
होगी
कि
कम
मतदान
होने
के
बावजूद
भी
क्या
कांग्रेस
भाजपा
से
सत्ता
छीनने
में
कामयाब
हो
पाती
है,
या
भारतीय
जनता
पार्टी
एक
बार
फिर
से
निमाड़
की
इस
सबसे
चर्चित
सीट
पर
अपना
परचम
लहराएगी।
विज्ञापन
इन
मुद्दों
पर
लड़ा
गया
लोकसभा
का
चुनाव
लोकसभा
चुनाव
में
मुद्दों
को
लेकर
देखा
जाए
तो
पूरे
देश
में
राष्ट्रीय
स्तर
के
मुद्दे
ही
ज्यादा
छाए
रहे,
वहीं
इन
मुद्दों
में
राम
मंदिर,
धारा
370,
तीन
तलाक
जैसे
कई
मुद्दे
देखने
को
मिले।
इधर
कांग्रेस
और
भाजपा
के
बीच
की
आपसी
बयानबाजी
भी
चुनावी
मुद्दों
के
रूप
में
सामने
आई
है।
हालांकि
लोकल
स्तर
पर
भी
लोगों
ने
मुद्दों
को
उठाया
है
तो
वहीं
आमजन
ने
रोजगार,
बेहतर
स्वास्थ्य,
अच्छी
शिक्षा,
सड़क,
बिजली
और
पानी
के
मुद्दों
को
भी
सामने
रखकर
वोट
दिया
है।
हालांकि
इन
सब
पर
राष्ट्रीय
मुद्दे
हावी
रहे
हैं,
फिर
भी
लोकसभा
क्षेत्र
के
लोगों
ने
अपने
मुद्दों
को
मुक्त
रूप
से
सामने
रखा
है।
दोनों
ही
प्रमुख
दलों
ने
जिस
तरह
से
चुनाव
को
लड़ा
है
उन्होंने
अपने-अपने
मेनिफेस्टो
पर
काफी
बल
दिया
है।
कांग्रेस
ने
महिलाओं
को
एक
लाख
रुपये
सालाना
और
आरक्षण
के
मुद्दे
को
भी
लोगों
के
बीच
बखूबी
पहुंचाया
है,
तो
वहीं
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
और
राम
मंदिर,
और
मुस्लिम
आरक्षण
खत्म
किए
जाने
की
बात
पर
बल
दिया
है।
हालांकि
अब
देखना
होगा
कि
यह
सभी
मुद्दे
चुनाव
के
परिणाम
पर
क्या
असर
डालते
हैं।
इस
तरह
रहेगी
खंडवा
में
मतगणना
की
व्यवस्था
खंडवा
में
लोकसभा
चुनाव
की
मतगणना
को
लेकर
खंडवा
कलेक्टर
ने
जिला
कलेक्ट्रेट
कार्यालय
में
शुक्रवार
दोपहर
हुई
प्रेस
वार्ता
के
माध्यम
से
4
जून
को
होने
वाली
मतगणना
की
तैयारियों
के
संबंध
में
विस्तृत
जानकारी
दी।
जिला
कलेक्टर
अनूप
कुमार
सिंह
ने
बताया
कि
खंडवा
लोकसभा
क्षेत्र
के
अंतर्गत
आठ
विधानसभा
हैं,
जिसमें
खंडवा
के
अलावा
बुरहानपुर,
देवास
और
खरगोन
जिले
की
विधानसभा
भी
शामिल
हैं।
इन
सभी
जिलों
के
विधानसभाओं
द्वारा
मतगणना
अपडेट
को
खंडवा
आरओ
को
बताया
जाएगा।
इसके
बाद
खंडवा
आरओ
हर
राउंड
की
विजयी
प्रत्याशियों
की
घोषणा
करेंगे।
यहां
पूरे
परिसर
में
सीसीटीवी
कैमरे
से
इसकी
निगरानी
की
जा
रही
है,
और
स्ट्रांग
रूम
से
मतगणना
केंद्र
तक
सीसीटीवी
लगे
हुए
हैं।
मतगणना
की
शुरुआत
4
जून
को
सुबह
7
बजे
से
शुरू
होगी।
सुबह
7
बजे
सबसे
पहले
ऑब्जर्वर
और
उम्मीदवार
के
प्रतिनिधियों
की
मौजूदगी
में
स्ट्रांग
रूम
से
ईवीएम
मशीन
निकालकर
लाएंगे
और
अलग-अलग
काउंटिंग
टेबल
पर
रखेंगे।
काउंटिंग
हॉल
के
अंदर
हर
टेबल
पर
काउंटिंग
असिस्टेंट,
काउंटिंग
सुपरवाइजर
होंगे।
इसके
अलावा
माइक्रो
ऑब्जर्वर
भी
मौजूद
होंगे।
काउंटिंग
हॉल
में
लगाई
गई
बैरिकेडिंग
के
बाहर
उम्मीदवारों
के
एजेंट
होंगे।
ईवीएम
की
सील
खोले
जाने
के
पहले
एजेंटों
को
उसका
नंबर
बताया
जाएगा।
इससे
पता
चलेगा
कि
कौन-सी
मशीन
किस
बूथ
की
है।
इसके
बाद
ईवीएम
को
ऑन
किया
जाएगा,
जिससे
पता
चलेगा
कि
कुल
मत
कितने
थे
और
किस
उम्मीदवार
को
कितने
वोट
मिले।
इसे
एजेंटों
को
नोट
कराया
जाएगा।
यह
है
खंडवा
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
खंडवा
लोकसभा
सीट
पर
लोकसभा
चुनाव
की
शुरुआत
यानी
सन
1952
से
लेकर
सन
1971
तक
कांग्रेस
ने
एक
तरफा
राज
किया
है,
लेकिन
इसके
बाद
साल
1977
से
लेकर
1979
तक
जनता
पार्टी
ने
यहां
पर
अपना
कब्जा
जमाया
है।
बता
दें
कि
साल
1979
में
भारतीय
जनता
पार्टी
के
फाउंडर
मेंबर
कुशाभाऊ
ठाकरे
भी
खंडवा
लोकसभा
सीट
से
अपना
चुनाव
लड़
चुके
हैं।
हालांकि
1980
में
कांग्रेस
ने
एक
बार
फिर
अपना
खोया
हुआ
मुकाम
हासिल
किया
था।
साल
1980
में
ठाकुर
शिवकुमार
सिंह
खंडवा
के
सांसद
बने,
तो
वहीं
साल
1984
में
कालीचरण
शकरगए
ने
दोबारा
कांग्रेस
को
यहां
जीत
दिलाई।
1990
में
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
खंडवा
में
फिर
से
अपना
खाता
खोल
दिया
और
अमृतलाल
तारवाला
खंडवा
के
सांसद
बने।
हालांकि
वे
भी
अगले
ही
लोकसभा
चुनाव
यानी
1991
में
ठाकुर
महेंद्र
कुमार
सिंह
से
चुनाव
हार
गए।
विज्ञापन
इसके
बाद
भारतीय
जनता
पार्टी
के
सीनियर
लीडर
और
मध्य
प्रदेश
भाजपा
के
प्रदेश
अध्यक्ष
रहे
नंदकुमार
सिंह
चौहान
ने
1996
में
एक
बार
फिर
भाजपा
का
झंडा
गाड़ा।
इसके
बाद
उनकी
यह
पारी
साल
2004
तक
सतत
जारी
रही।
हालांकि
2009
में
कांग्रेस
के
सीनियर
लीडर
और
मध्य
प्रदेश
के
उपमुख्यमंत्री
रहे
सुभाष
यादव
के
पुत्र
अरुण
यादव
ने
नंदकुमार
सिंह
चौहान
को
शिकस्त
दे
दी,
लेकिन
यह
शिकस्त
ज्यादा
लंबी
नहीं
रही,
और
साल
2014
में
एक
बार
फिर
नंद
कुमार
सिंह
चौहान
ने
खंडवा
संसदीय
सीट
पर
अपना
कब्जा
जमाया।
साल
2019
में
कोरोना
महामारी
के
चलते
नंदकुमार
सिंह
चौहान
का
निधन
हो
गया।
इसके
बाद
हुए
उपचुनाव
2021
में
ज्ञानेश्वर
पाटिल
को
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
टिकट
दिया।
ज्ञानेश्वर
पाटिल
ने
कांग्रेस
के
पूर्व
विधायक
राज
नारायण
सिंह
पुरनी
को
करीब
80
हजार
से
अधिक
वोटों
से
हराकर
भारतीय
जनता
पार्टी
का
दबदबा
कायम
रखा।
इसी
दबदबे
को
कायम
रखने
के
लिए
एक
बार
फिर
से
यानी
2024
के
चुनाव
में
ज्ञानेश्वर
पाटिल
पर
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
भरोसा
जताया
और
उन्हें
पुनः
टिकट
देकर
चुनावी
मैदान
में
उतार
दिया।
अब
देखना
यह
है
कि
आने
वाली
चार
तारीख
को
जब
लोकसभा
चुनाव
के
नतीजे
आएंगे,
तो
यह
बात
पता
चलेगी
कि
भाजपा
अपना
दबदबा
कायम
रख
पाती
है
या
कांग्रेस
अपनी
खोई
प्रतिष्ठा
को
वापस
हासिल
करती
है।