रिजल्ट से पहले दूर कर लें कन्फ्यूजन! क्या हैं एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल, अंतर है भी या नहीं?

रिजल्ट से पहले दूर कर लें कन्फ्यूजन! क्या हैं एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल, अंतर है भी या नहीं?


नई
दिल्ली:

लोकसभा
चुनाव
2024
के
लिए
आखिरी
चरण
की
वोटिंग
जारी
है.
लोकसभा
चुनाव
इस
बार
7
चरणों
में
संपन्न
हो
रहे
हैं.
19
अप्रैल
को
पहले
चरण
का
मतदान
हुआ
था.
वोटिंग
खत्म
होने
के
तुरंत
बाद
ही
आज
टीवी
चैनल्स
पर
एग्जिट
पोल
के
नतीजे
आने
लगेंगे.
अब
सबकी
नजर
एग्जिट
पोल
के
नतीजों
पर
टिकी
है.
फाइनल
रिजल्ट
से
पहले
एग्जिट
पोल
के
जरिए
चुनाव
में
हार-जीत
का
अनुमान
मिलता
है.
चुनाव
आयोग
जैसे
ही
वोटिंग
फीसदी
जारी
कर
देगा,
तमाम
टीवी
चैनल्स
एग्जिट
पोल
दिखाने
लगेंगे.
ये
एग्जिट
पोल
नतीजों
की
एक
झलक
देते
हैं.
हालांकि,
एग्जिट
पोल
के
आंकड़ें
कभी
सही
तो
कभी
गलत
साबित
होते
रहे
हैं.
एग्जिट
पोल
की
तरह
एक
और
पोल
होता
है.
नाम
है
ओपिनियन
पोल.
अक्सर
लोग
एग्जिट
पोल
और
ओपिनियन
पोल
को
लेकर
कन्फ्यूजन
में
रहते
हैं.
अब
सवाल
उठता
है
कि
आखिर
एग्जिट
पोल
और
ओपिनियन
पोल
क्या
हैं,
इनमें
क्या
अंतर
होता
है,
ये
कब
दिखाए
जाते
हैं?


क्या
है
एग्जिट
पोल?

सबसे
पहले
समझते
हैं
कि
आखिर
ये
एग्जिट
पोल
क्या
है.
एग्जिट
पोल
एक
तरह
से
वोटिंग
के
बाद
का
एक
क्विक
सर्वे
होता
है.
वोटिंग
के
बाद
वोटरों
से
वोटिंग
की
जानकारी
ली
जाती
है.
उन्होंने
किसे
वोट
किया,
किसका
पलड़ा
भारी
है,
ऐसे
सवालों
से
सीट
पर
हार-जीत
का
अनुमान
लगाया
जाता
है.
इसी
डेटा
को
एग्जिट
पोल
के
रूप
में
जाना
जाता
है.
एग्जिट
पोल
में
असल
में
रुझानों
के
जरिए
निष्कर्ष
निकालने
की
कोशिश
होती
है.
वोटरों
से
बातचीत
करके
अंदाज
लगाया
जाता
है
कि
कहां-रिजल्ट
कैसा
हो
सकता
है.
वोटरों
से
मिली
जानकारी
के
अनुसार
अनुमान
लगाया
जाता
है
कि
कौन-सा
उम्मीदवार
या
सियासी
दल
कहां
जीत
रहा
है
और
कौन
हार
रहा
है.
एग्जिट
पोल
पूरी
तरह
से
रिजल्ट
में
तब्दील
ही
हो
जाए,
ऐसा
जरूरी
नहीं.
एग्जिट
पोल
कई
बार
सही
भी
साबित
होते
हैं,
तो
कई
बार
गलत
भी.



Exit
Polls
2024:
2019
में
कैसे
थे
एग्जिट
पोल
के
नतीजे,
मोदी
सरकार
को
लेकर
किसकी-कितनी
सही
साबित
हुई
भविष्यवाणी?


क्या
है
ओपिनियन
पोल?

दरअसल,
ओपिनियन
पोल
में
वोटिंग
से
पहले
वोटरों
के
मूड
को
परखा
जाता
है.
एग्जिट
पोल
में
चुनाव
शुरू
होने
से
पहले
ही
वोटरों
से
सवाल
पूछा
जाता
है.
उन
सवालों
से
उनके
मूड
को
भांपा
जाता
है.
ओपिनियन
पोल
क्योंकि
प्री
पोल
सर्वे
होता
है.
इसलिए
इसमें
चुनाव
से
पहले
पूछा
जाता
है
कि
इस
बार
किसकी
हवा
है,
वे
लोग
किसे
वोट
देंगे,
उनका
मूड
क्या
है?
ओपिनियन
पोल
से
पता
चलता
है
कि
इस
बार
जनता
किस
ओर
है.
या
यूं
कहें
तो
इससे
वोटरों
के
मूड
का
पता
चलता
है
कि
वे
किस
ओर
हैं.
वोटिंग
से
पहले
ही
ओपिनियन
पोल
दिखा
दिए
जाते
हैं.
आदर्श
आचार
संहिता
लागू
होते
ही
ओपिनियन
पोल
पर
भी
पाबंदी
लग
जाती
है.


एग्जिट
पोल
और
ओपिनियन
पोल
में
अंतर

दरअसल,
देश
में
बहुत
से
लोग
एग्जिट
पोल
और
ओपिनियन
पोल
को
एक
ही
मान
लेते
हैं.
मगर
हकीकत
में
तो
दोनों
में
जमीन
आसमान
का
अंतर
होता
है.
ओपिनियन
पोल
और
एग्जिट
पोल
में
अंतर
को
ऐसे
समझें.
ओपिनियन
पोल
जहां
वोटिंग
शुरू
होने
से
पहले
का
डेटा
होता
है,
वहीं
एग्जिट
पोल
वोट
देने
के
बाद
का.
ओपिनियन
पोल
एक
तरह
से
प्री
पोल
सर्वे
होता
है
तो
एग्जिट
पोल
पोस्ट
पोल
सर्वे.
ओपिनियन
पोल
में
वोटिंग
से
पहले
ही
वोटरों
से
उनका
मूड
जाना
जाता
है.
जबकि
एग्जिट
पोल
में
वोटिंग
के
बाद
पूछा
जाता
है
कि
उन्होंने
किसे
वोट
दिया,
उनकी
नजर
में
जीत
की
संभावना
किसकी
है.
ओपिनियन
पोल
से
किसी
पार्टी
या
उम्मीदवार
के
प्रति
जनता
के
मूड
का
पता
चलता
है.
जबकि
एग्जिट
पोल
यह
दिखाता
है
कि
इस
बार
जनता
की
कृपा
किसके
ऊपर
बरसी
है.

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