
भारत
ने
एक
और
सफतला
हासिल
की
बुधवार
को
रक्षा
मंत्रालय
ने
जानकारी
देते
हुए
बताया
कि
ओडिशा
के
तट
पर
एपीजे
अब्दुल
कलाम
द्वीप
से
नयी
जेनेरेशन
की
बैलिस्टिक
मिसाइल
अग्नि-प्राइम
का
सफलतापूर्वक
टेस्ट
किया
गया.
रक्षा
मंत्रालय
ने
मिसाइल
के
इस
टेस्ट
के
बारे
में
जानकारी
देते
हुए
कहा
कि
बुधवार
शाम
को
यह
टेस्ट
किया
गया.
यह
मिसाइल
एक
साथ
कई
टारगेट
पर
निशाना
साध
सकती
है.
मंत्रालय
ने
एक
बयान
में
कहा,
सामरिक
बल
कमान
(एसएफसी)
(
strategic
forces
command)
के
साथ
रक्षा
अनुसंधान
व
विकास
संगठन
(डीआरडीओ)
(Defence
Research
and
Development
Organisation)
ने
3
अप्रैल
को
शाम
करीब
सात
बजे
ओडिशा
तट
पर
एपीजी
अब्दुल
कलाम
द्वीप
से
नई
जेनेरेशन
की
बैलिस्टिक
मिसाइल
अग्नि-प्राइम
का
सफलतापूर्वक
टेस्ट
किया.
रक्षा
मंत्री
ने
की
सरहाना
प्रमुख
रक्षा
अध्यक्ष
जनरल
अनिल
चौहान,
एसएफसी
प्रमुख
और
डीआरडीओ
और
भारतीय
सेना
के
वरिष्ठ
अधिकारियों
ने
इस
टेस्ट
का
निरीक्षण
किया.
रक्षा
मंत्री
राजनाथ
सिंह
ने
सफलतापूर्वक
टेस्ट
के
लिए
डीआरडीओ,
एसएफसी
और
सशस्त्र
बलों
को
बधाई
दी.
रक्षा
मंत्री
राजनाथ
सिंह
ने
कहा
कि
मिसाइल
का
सफल
टेस्ट
सशस्त्र
बलों
की
ताकत
को
और
मजबूत
करेगा.
लॉन्च
के
मौके
पर
चीफ
ऑफ
डिफेंस
स्टाफ
जनरल
अनिल
चौहान,
स्ट्रैटजिक
फोर्सेज
कमांड
के
प्रमुख
और
डीआरडीओ
और
भारतीय
सेना
के
वरिष्ठ
अधिकारी
मौजूद
रहे.
चीफ
ऑफ
डिफेंस
स्टाफ
जनरल
चौहान
और
डीआरडीओ
के
अध्यक्ष
समीर
वी
कामत
ने
सफल
उड़ान
परीक्षण
के
लिए
एसएफसी
और
डीआरडीओ
के
प्रयासों
की
सराहना
की.
ये
भी
पढ़ें
अग्नि
प्राइम
मिसाइल
की
खासियत
-
एक
साथ
कई
टारगेट
पर
हमला
कर
सकती
है -
इस
न्यूक्लियर
बैलिस्टिक
मिसाइल
पर
एमआईआरवी
वॉरहेड
को
लगाया
जा
सकता
है -
इसकी
मारक
क्षमता
2000
किलोमीटर
तक
है -
यह
मिसाइल
हाई
इंटेसिटी
वाले
विस्फोटक,
थर्मोबेरिक
या
न्यूक्लियर
वेपन
ले
जाने
की
काबिलयत
रखती
है -
मिसाइल
पर
1500
से
3
हजार
किलोग्राम
के
वॉरहेड
लगाए
जा
सकते
हैं. -
इस
मिसाइल
का
वजन
11
हजार
किलोग्राम
है. -
मिसाइल
में
सॉलिड
फ्यूल
का
इस्तेमाल
किया
जाता
है. -
अग्नि
प्राइम
टू
स्टेज
मिसाइल
है.
यह
पिछले
अग्नि
के
वर्जन
से
हल्की
है.
बता
दें
,अग्नि
1
का
परीक्षण
साल
1989
में
किया
गया
था.
साल
2004
में
जिस
अग्नि
मिसाइल
को
सेना
में
शामिल
किया
गया
था
उसकी
मारक
रेंज
700-900
किलोमीटर
थी.