सड़क दुर्घटना मुआवजे मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, क्लेम की डेड लाइन से जुड़ी है याचिका

सड़क दुर्घटना मुआवजे मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, क्लेम की डेड लाइन से जुड़ी है याचिका
सड़क दुर्घटना मुआवजे मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, क्लेम की डेड लाइन से जुड़ी है याचिका


सुप्रीम
कोर्ट

सुप्रीम
कोर्ट
में
मोटर
व्हीकल
एक्ट
1988
की
धारा
166
(3)
की
संवैधानिक
वैधता
को
चुनौती
दी
गई
थी.
इस
रिट
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
कोर्ट
ने
अब
मामले
में
नोटिस
जारी
किया
है.
दरअसल
इस
धारा
के
तहत
कोई
भी
व्यक्ति
गाड़ी
के
दुर्घटनाग्रस्त
हो
जाने
की
तारीख
से
छह
महीने
के
अंदर
क्लेम
करने
का
प्रावधान
है.
इसी
समय
सीमा
को
कोर्ट
में
चुनौती
दी
गई
थी
जिसपर
कोर्ट
ने
अब
नोटिस
जारी
किया
है.

न्यायमूर्ति
सुधांशु
धूलिया
और
प्रसन्ना
बी
वराले
की
बेंच
ने
भारत
संघ
को
नोटिस
जारी
किया
है.
मोटर
व्हीकल
एक्ट
का
ये
प्रावधान
1
अप्रैल
2022
को
लागू
हुआ
था.
प्रावधान
को
अब
इस
आधार
पर
चुनौती
दी
गई
है
कि
दावा
आवेदन
के
लिए
सिर्फ
छह
महीने
की
सीमा
होना
सड़क
दुर्घटना
पीड़ितों
के
अधिकारों
में
कटौती
करता
है.
रिट
याचिका
में
बताया
गया
कि
इस
कानून
का
उद्देश्य
सड़क
दुर्घटनाओं
के
पीड़ितों
को
मदद
पहुंचाना
है,
लेकिन
मौजूदा
प्रावधान
से
इसका
मकसद
पूरा
नहीं
हो
पा
रहा
है.


मौलिक
अधिकारों
का
करता
है
उल्लंघन

एओआर
रेणुका
साहू
ने
इस
मामले
में
याचिका
दायर
की
है.
उन्होंने
कहा
कि
संशोधन
के
बाद
इस
हद
तक
प्रतिबंध
लगाया
गया
है
कि
दावा
न्यायाधिकरण
दुर्घटना
होने
के
केवल
छह
महीने
के
भीतर
दायर
आवेदन
पर
विचार
कर
सकता
है.
याचिकर्ता
ने
कहा
कि
ये
संशोधन
मनमना
है.
साथ
ही
दुर्घटना
पीड़ितों
के
मौलिक
अधिकारों
का
भी
उल्लंघन
करता
है.


पुराने
प्रावधान
को
लाया
गया
वापस

मोटर
व्हीकल
एक्ट
को
1994
में
संशोधन
किया
गया
था,
जिसके
बाद
घायल
पीड़ितों
या
उनके
कानूनी
उत्तराधिकारियों
द्वारा
क्लेम
दाखिल
करने
के
लिए
कोई
समय
सीमा
मौजूद
नहीं
थी.
लेकिन
2019
से
इस
नए
अधिनियम
की
शुरुआत
हुई,
जो
1
अप्रैल
2022
से
लागू
हुआ.
एक्ट
के
166(3)
सेक्शन
से
मोटर
वाहन
एक्ट
के
पुराने
प्रावधान
को
वापस
लाया
गया.
पुराने
प्रावधान
में
मुआवजे
के
आवेदन
की
सुनवाई
को
छह
महीने
के
अंदर
ही
की
जानी
चाहिए.
1939
के
मोटर
वाहन
एक्ट
को
1988
के
अधिनियम
द्वारा
संशोधित
किया
गया
था,
जिसमें
ये
प्रावधान
था.