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Market:
23
जुलाई
को
संसद
में
आम
बजट
पेश
होने
वाला
है.
इस
बजट
का
हर
आदमी
को
बेसब्री
से
इंतजार
है
लेकिन
शेयर
बाजार
कुछ
ज्यादा
नर्वस
दिखाई
दे
रहा
है.
लगातार
तेजी
दिखाने
के
बाद
बाजार
ऊपरी
स्तरों
से
हल्का
हो
गया
है
और
लाल
निशान
के
साथ
कारोबार
कर
रहा
है.
ऐसा
माना
जा
रहा
है
कि
बजट
से
पहले
निवेशक
बिकवाली
कर
रहे
हैं.
क्योंकि,
इन्वेस्टर्स
को
कई
तरह
के
डर
सता
रहे
हैं.
आज
बाजार
में
आईटी
को
छोड़कर
सभी
सेक्टर
में
बिकवाली
हावी
है.
बाजार
में
बढ़ती
गिरावट
का
अंदाजा
इस
बात
से
लगाया
जा
सकता
है
कि
निफ्टी50
के
34
शेयरों
बिकवाली
हो
रही
है,
जबकि
सिर्फ
16
शेयरों
में
खरीदारी
देखने
को
मिल
रही
है.
बीएसई
का
30
शेयर
वाला
सूचकांक
सेंसेक्स
कमजोर
रुख
के
साथ
खुला,
लेकिन
बाद
में
इसमें
उछाल
आया
और
193.9
अंक
चढ़कर
80,910.45
अंक
के
नए
रिकॉर्ड
शिखर
पर
पहुंच
गया.
हालांकि
वह
बढ़त
बरकरार
रखने
में
विफल
रहा.
आइये
यह
जानने
की
कोशिश
करते
हैं
कि
आखिर
बजट
से
बाजार
को
किस
बात
का
डर
लग
रहा
है.
इन
शेयरों
में
गिरावट
सेंसेक्स
में
सूचीबद्ध
कंपनियों
में
से
अदाणी
पोर्ट्स,
एशियन
पेंट्स,
टाटा
स्टील,
एनटीपीसी,
पावर
ग्रिड
और
अल्ट्राटेक
सीमेंट
के
शेयरों
में
सबसे
अधिक
गिरावट
आई.
वहीं
टाटा
कंसल्टेंसी
सर्विसेज,
हिंदुस्तान
यूनिलीवर,
बजाज
फिनसर्व,
टेक
महिंद्रा
और
भारतीय
स्टेट
बैंक
के
शेयरों
को
मुनाफा
हुआ.
एशियाई
बाजारों
में
चीन
का
शंघाई
कम्पोजिट,
दक्षिण
कोरिया
का
कॉस्पी
और
जापान
का
निक्की
नुकसान
में
रहे
जबकि
हांगकांग
का
हैंगसेंग
फायदे
में
रहा.
वहीं,
अमेरिकी
बाजार
बुधवार
को
नकारात्मक
रुख
के
साथ
बंद
हुए
थे.
इस
वजह
से
डर
रहे
हैं
निवेशक
बजट
को
लेकर
शेयर
बाजार
की
परेशानी
का
सबसे
बड़ा
कारण
LTCG
यानी
लॉन्ग
टर्म
कैपिटल
गैन
टैक्स
है.
हालांकि,
कई
लोगों
को
उम्मीद
है
कि
सरकार
LTCG
में
कुछ
राहत
देगी,
लेकिन
कुछ
निवेशकों
को
डर
है
कि
पूंजीगत
लाभ
कर
में
किसी
भी
बदलाव
से
उन
पर
टैक्स
का
बोझ
बढ़
जाएगा.
इकोनॉमिक
टाइम्स
की
एक
रिपोर्ट
के
अनुसार,
जिसमें
सूत्रों
से
मिली
जानकारी
के
आधार
पर
यह
बताया
गया
है
कि
सरकार
रियल
एस्टेट
जैसी
अचल
संपत्तियों
पर
पूंजीगत
लाभ
कर
की
गणना
के
लिए
होल्डिंग
अवधि
में
बदलाव
पर
विचार
कर
रही
है.
वर्तमान
में,
24
महीने
या
उससे
कम
समय
के
लिए
रखी
गई
अचल
संपत्ति
की
बिक्री
से
होने
वाले
किसी
भी
पूंजीगत
लाभ
को
अल्पकालिक
पूंजीगत
लाभ
(STCG)
माना
जाता
है.
इसके
विपरीत,
लिस्टेड
इक्विटी
शेयरों
और
इक्विटी
म्यूचुअल
फंड
के
लिए
होल्डिंग
अवधि
सीमा
12
महीने
है.
होल्डिंग
अवधि
कम
करने
से
बाजार
में
अधिक
संपत्तियां
आ
सकती
हैं.
हालांकि,
ईटी
की
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
आधिकारिक
सूत्रों
ने
रियल
एस्टेट
पर
पूंजीगत
लाभ
कर
में
किसी
भी
तरह
के
बदलाव
से
इनकार
किया
है.
लेकिन,
कई
लोगों
को
डर
है
कि
सरकार
शेयरों
से
होने
वाले
प्रॉफिट
को
लेकर
एलटीसीजी
नियमों
में
बदलाव
कर
सकती
है.
इससे
निवेशकों
पर
टैक्स
को
बोझ
बढ़
सकता
है.
(भाषा
से
इनपुट
के
साथ)
Tags:
Budget
session,
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Nirmala
Sitharaman,
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FIRST
PUBLISHED
:
July
18,
2024,
12:46
IST