यूपी बीजेपी में कोहराम, आलाकमान ने हाथ में ली कमान

यूपी बीजेपी में कोहराम, आलाकमान ने हाथ में ली कमान

लोकसभा
चुनाव
के
नतीजों
के
बाद
उत्तर
प्रदेश
में
कोहराम
मचा
हुआ
है.
बीजेपी
राज्य
इकाई
और
सरकार
के
बीच
सिर
फुटौव्वल
की
नौबत

गई
है.
आलम
ये
है
कि
नेताओं
के
आरोप-प्रत्यारोप
का
दौर
ऐसा
चला
कि
आलाकमान
को
खुद
ही
आग
बुझाने
के
लिए
आगे
आना
पड़ा.
आलाकमान
ने
यही
संदेश
दिया
है
कि
पब्लिक
प्लेटफार्म
पर
कोई
भी
नेता
या
कार्यकर्ता
अंदरुनी
कलह
की
बात
नहीं
करे.
उत्तर
प्रदेश
बीजेपी
की
कोर
कमिटी
की
बैठक
में
पार्टी
अध्यक्ष
जेपी
नड्डा
को
ही
मैदान
में
उतरना
पड़ा.

इस
बैठक
का
नतीजा
सिर्फ
एक
निकला
और
वो
भी
संगठन
और
सरकार
के
बीच
तनातनी
और
कार्यकर्ताओं
की
अनदेखी
के
आरोप
पार्टी
को
ले
डूबी.
सीएम
योगी
आदित्यनाथ
ने
भी
माना
कि
कार्यकर्ताओं
को
थोड़ी
हताशा
थी
तो
उप
मुख्यमंत्री
केशव
मौर्य
ने
तो
एक
डिग्री
आगे
बढ़
कर
सीएम
पर
निशाना
साध
दिया.
केशव
मौर्य
ने
कहा
कि
ये
नहीं
भूलना
चाहिए
कि
संगठन
सत्ता
से
ऊपर
होता
है.
बैठक
के
बाद
केशव
मौर्य
दिल्ली
पहुंच
कर
जेपी
नड्डा
से
मिले
और
फिर
से
खरा
खरा
संदेश
दिया,
लेकिन
आलाकमान
ने
उन्हें
अपनी
बात
पार्टी
फोरम
के
भीतर
ही
रखने
का
आदेश
दिया.


सरकार
और
संगठन
में
कोई
फेरबदल
का
संकेत
नहीं

आलाकमान
ने
ऐसा
कोई
संकेत
नहीं
दिया
है
कि
सरकार
और
संगठन
में
कोई
फेरबदल
किया
जा
सकता
है.
सूत्रों
के
मुताबिक
नेतृत्व
परिवर्तन
की
फिलहाल
संभावना
तो
नहीं
लेकिन
संगठनात्मक
स्तर
पर
फेरबदल
किए
जा
सकते
हैं.
सीएम
योगी
आदित्यनाथ
ने
जब
30
मंत्रियों
को
बुलाकर
बैठक
की
और
10
विधानसभा
सीटों
पर
होने
वाले
उपचुनावों
में
जीत
पाने
की
रणनीति
पर
चर्चा
की
तो
साफ
हो
गया
कि
कमान
उनके
ही
हाथ
में
है
लेकिन
इन
उपचुनावों
मे
जीत
दिलाने
के
लिए
उन्हें
ही
फ्रंट
से
लीड
करना
होगा.
ये
बात
और
है
कि
इस
बैठक
में
दोनों
उप
मुख्यमंत्री
मौजुद
नहीं
थे
और

ही
वे
उस
समिति
के
सदस्य
हैं
जिसे
उपचुनावों
की
जिम्मेदारी
दी
गई
है.

बात
ये
भी
साफ
है
कि
दो
उप
मुख्यमंत्रियों
का
सीएम
की
बैठक
मे
नहीं
आना
अनुशासन
को
तोड़ना
नहीं
था.
बिना
आलाकमान
की
जानकारी
के
बैठक
में

आने
का
फैसला
बीजेपी
का
कोई
भी
नेता
नहीं
ले
सकता.
इसलिए
सीएम
के
साथ
तनातनी
और
बहिष्कार
की
बातें
भले
ही
खुलकर
सामने

रही
हों
लेकिन
किसी
का
पार्टी
लाइन
से
अलग
जाकर
कुछ
करने
की
बात
करना
बेमानी
ही
है.
उधर
पार्टी
की
एक्सटेंडेड
कोर
कमिटी
की
बैठक
के
बाद
केशव
मौर्य
बीजेपी
अध्यक्ष
जेपी
नड्डा
से
मिले
और
प्रदेश
अध्यक्ष
भूपेन्द्र
चौधरी
ने
करीब
एक
घंटे
पीएम
से
मुलाकात
की.


पीएम
से
मिले
भूपेंद्र
चौधरी

भूपेन्द्र
चौधरी
ने
पीएम
मोदी
से
मुलाकात
कर
चुनाव
में
हार
के
कारणों
पर
विस्तार
से
चर्चा
की
और
संगठन
का
पक्ष
रखा.
हालांकि
हार
की
नैतिक
जिम्मेदारी
उन्होंने
ली
है
और
कहा
है
कि
आलाकमान
के
हर
आदेश
का
वो
पालन
करेंगे.
सूत्रों
के
मुताबिक
चौधरी
ने
यूपी
की
सभी
80
सीटों
पर
हजारों
कार्यकर्ताओं
से
बात
कर
एक
फीडबैक
रिपोर्ट
तैयार
की
है
जिसकी
चर्चा
वो
पिछले
दो-तीन
दिनों
में
जेपी
नड्डा,
अमित
शाह
और
पीएम
मोदी
से
कर
चुके
हैं.

इसके
मुताबिक
सभी
6
क्षेत्रों
में
वोट
शेयर
मे
भारी
कमी
आयी
है
और
सरकार
के
प्रति
कार्यकर्ताओं
का
असंतोष,
अधिकारियों
की
मनमानी,
आरक्षण
और
संविधान
को
लेकर
जनता
के
बीच
गलत
संदेश
जाना
जैसे
कारणों
से
पार्टी
हारी.
अगर
ये
शिकायतें
दुरुस्त
कर
ली
जाती
हैं
तो
फिर
आने
वाले
10
उपचुनाव
ही
क्या
बाकी
नगर
निगम,
स्थानीय
निकाय
ही
नहीं
बल्कि
2027
के
चुनावों
को
भी
आसानी
से
जीता
जा
सकता
है.

आलाकमान
ने
सभी
शिकायतों
को
सुना
और
देखा
है
और
उनके
सामने
सभी
पक्षों
ने
अपना
दुखड़ा
जरूर
रोया
है.
लेकिन
यूपी
की
हार
एक
ऐसी
टीस
है,
जो
किसी
के
गले
नहीं
उतर
रही
है.
कार्यकर्ताओं
की
यही
चिंता
है
जो
पीएम
मोदी
हरकत
में
आए
हैं.
अपनी
तमाम
बैठकों
में
सांसदों
से
लेकर
मंत्रियों
तक
सभी
को
कार्यकर्ताओं
के
हितों
का
ध्यान
रखने
और
सीधा
संवाद
रखने
को
कहा.


पीएम
मोदी
ने
उठाया
बीड़ा

जेपी
नड्डा
से
लेकर
अमित
शाह
राज्य
की
कार्यसमितियों
की
बैठक
में
जाकर
सबकी
बाते
सुन
रहे
हैं.
इन
कार्यसमितियों
में
साढे
तीन
हजार
तक
पार्टी
नेता
शामिल
हैं
जिसमे
जिलास्तर
के
नेता
भी
हैं.
यूपी,
उत्तराखंड,
बिहार
में
ऐसी
बैठकें
हो
चुकीं.
झारखंड
और
बाकी
राज्यों
में
चर्चा
बाकी
है.
मतलब
साफ
है
कि
अब
खुद
पीएम
मोदी
ने
सत्ता
और
संगठन
की
इस
दूरी
को
मिटाने
का
बीड़ा
उठा
लिया
है.

पीएम
मोदी
बीजेपी
मुख्यालय
के
कर्मचारियों
से
गुरुवार
की
शाम
मुलाकात
कर
उनका
धन्यवाद
देंगे
और
वहां
काम
करने
वाले
कार्यकर्ताओं
से
उनके
सामने
बैठ
कर
सीधा
संवाद
करेंगे
और
सुख
दुख
जानेंगे.
याद
दिला
दें
कि
लोकसभा
चुनावों
मे
जीत
के
बाद
बीजेपी
मुख्यालय
पर
ही
कार्यकर्ताओं
को
संबोधित
कते
हुए
पीएम
मोदी
ने
उन्हें
धन्यवाद
देते
हुए
कहा
था
कि
उनका
बहाया
पसीना
मोदी
को
निरंतर
काम
करने
की
प्रेरणा
देता
है.

अगर
आप
10
घंटे
काम
करेंगे
तो
मोदी
15
घंटे
काम
करेगा.
आप
2
कदम
चलेंगे
तो
मोदी
4
कदम
चलेगा.
जाहिर
है
कार्यकर्ता
और
संगठन
पीएम
मोदी
की
प्राथमिकता
भी
हैं
और
उनकी
राजनीति
का
हिस्सा
भी.
इसलिए
हार
के
बाद
के
मंथन
में
संगठन
का
जो
दर्द
उभर
कर
सामने
आया
है
उसकी
सुनवाई
और
निपटारा
दोनो
वहीं
कर
रहे
हैं
और
जल्दी
ही
नतीजे
सामने
आएंगे.

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