
बाबा
महाकाल
की
भस्म
आरती।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
विश्व
प्रसिद्ध
श्री
महाकालेश्वर
मंदिर
में
आज
बाबा
महाकाल
प्रतिदिन
की
बजाय
एक
घंटा
पहले
यानी
की
भक्तों
को
दर्शन
देने
के
लिए
रात
तीन
बजे
जागे।
यहां
सबसे
पहले
वीरभद्र
की
आज्ञा
लेकर
चांदी
गेट
खोले
गए
और
उसके
बाद
बाबा
महाकाल
का
विशेष
पूजन
दर्शन
और
भस्म
आरती
की
गई।
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श्री
महाकालेश्वर
मंदिर
के
पुजारी
पंडित
आशीष
पुजारी
ने
बताया
कि
विश्व
प्रसिद्ध
श्री
महाकालेश्वर
मंदिर
में
श्रावण
कृष्ण
पक्ष
की
द्वितिया
और
मंगलवार
के
महासंयोग
पर
मंगलवार
सुबह
तीन
बजे
भस्म
आरती
के
दौरान
वीरभद्र
जी
से
आज्ञा
लेकर
मंदिर
के
पट
खुलते
ही
पण्डे
पुजारियों
ने
गर्भगृह
में
स्थापित
सभी
भगवान
की
प्रतिमाओं
का
पूजन
कर
भगवान
महाकाल
का
जलाभिषेक
दूध,
दही,
घी,
शक्कर
पंचामृत
और
फलों
के
रस
से
किया।
इसके
बाद
प्रथम
घंटाल
बजाकर
हरि
ओम
का
जल
अर्पित
किया
गया।
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मंगलवार
के
शृंगार
की
विशेष
बात
ये
रही
कि
आज
बाबा
महाकाल
को
मावे
और
ड्रायफ्रूट
से
सजाने
के
साथ
मखाने
और
डमरू
की
माला
पहनाई
गई
थी।
बाबा
महाकाल
को
डमरू
की
माला
पहनाने
का
उद्देश्य
सिर्फ
यही
था
कि
उन्हें
डमरू
अति
प्रिय
है।
इसीलिए
श्रावण
मास
में
उन्हें
डमरू
की
माला
अर्पित
की
गई।
पुजारियों
ओर
पुरोहितों
द्वारा
इस
दौरान
बाबा
महाकाल
का
विशेष
शृंगार
कर
कपूर
आरती
के
बाद
बाबा
महाकाल
को
नवीन
मुकुट
व
मुंड
माला
धारण
करवाई
गई।
महानिर्वाणी
अखाड़े
की
और
से
भगवान
महाकाल
को
भस्म
अर्पित
की
गई।
इस
दौरान
हजारों
श्रद्धालुओं
ने
बाबा
महाकाल
के
दिव्य
दर्शनों
का
लाभ
लिया।
जिससे
पूरा
मंदिर
परिसर
जय
श्री
महाकाल
की
गूंज
से
गुंजायमान
हो
गया।
.
चलित
भस्म
आरती
व्यवस्था
से
दर्शन
करते
श्रद्धालु।
चलित
भस्मारती
की
व्यवस्था
से
40
हजार
श्रद्धालुओं
ने
किए
दर्शन
श्री
महाकालेश्वर
मंदिर
में
श्रावण
माह
के
पहले
दिन
श्री
महाकालेश्वर
मन्दिर
प्रबन्ध
समिति
द्वारा
श्रावण-भाद्रपद
माह
में
श्रद्धालुओं
की
संख्या
को
दृष्टिगत
रखते
हुए
भस्मारती
के
दौरान
चलित
भस्मारती
में
नि:शुल्क
प्रवेश
दिया
गया।
इसमें
बिना
पंजीयन
के
लगभग
40
हज़ार
भक्तों
ने
चलित
रूप
(बिना
रुके)
से
भगवान
श्री
महाकालेश्वर
जी
के
भस्मारती
के
दर्शन
किए।
श्री
महाकालेश्वर
भगवान
के
पट
खुलते
ही
श्रद्धालुओं
ने
नि:शुल्क
चलित
भस्मारती
की
व्यवस्था
में
दर्शन
किए।
ज्ञात
हो
कि
श्रावण-
भाद्रपद
माह
में
श्रद्धालुओं
की
अधिक
संख्या
को
देखते
हुए
अनुमति
नहीं
मिलने
से
श्रद्धालु
निराश
हो
जाते
थे।
गतवर्ष
से
चलित
भस्मारती
की
व्यवस्था
किए
जाने
से
भगवान
के
दर्शन
कर
श्रद्धालु
अत्यंत
प्रसन्न
है।