बजट 2024 से क्या चाहिए? मेहंदी लगाने वाली से लेकर नौकरीपेशा और बिजनेसमैन तक के मन की बात

बजट 2024 से क्या चाहिए? मेहंदी लगाने वाली से लेकर नौकरीपेशा और बिजनेसमैन तक के मन की बात


नई
दिल्ली.

मोदी
सरकार
का
बजट
23
जुलाई
यानी
आज
मंगलवार
को
पार्लियामेंट
में
पेश
होने
जा
रहा
है.
वित्त
मंत्री
निर्मला
सीतारमण
लगातार
सातवीं
बार
बजट
पेश
करेंगी.
तीसरी
बार
सत्ता
में
आने
के
बाद
मोदी
सरकार
से
लोगों
की
काफी
उम्मीदें
हैं.
खासकर
चुनाव
परिणाम
आने
के
बाद
ये
पहला
बजट
है.
इसके
लोगों
के
मन
में
उत्सुकता
भी
है
और
सरकार
से
राहत
मिलने
की
उम्मीद
भी.

न्यूज
18
इंडिया
की
टीम
ने
अलग-अलग
वर्ग
से
बात
की
और
ये
जनाना
चाहा
कि
आखिर
लोगों
के
मन
में
क्या
चल
रहा
है.
हमने
व्यापारी
वर्ग,
हाउसवाइफ,
नौकरीपेशा,
मिडिल
क्लास
लगभग
हर
वर्ग
को
कवर
करने
की
कोशिश
की
है.
सबके
सरकार
से
बड़ी
उम्मीद
लगाए
बैठे
हैं.


मोहित
शर्मा,
कारोबारी,
आईपी
एक्सटेंशन

जब
से
मोदी
सरकार
आई
है
टैक्सेशन
काफी
आसान
हुआ
है.
ईज
ऑफ
डूइंग
बिजनेस
के
माध्यम
से
हम
बिजनेस
कर
पा
रहे
हैं
खासकर
सरकार
जो
जीएसटी
लेकर
आई
वह
भी
ठीक
रहा
है.
बिजनेस
का
सिस्टम
और
भी
आसान
हो
जाए
टैक्सेशन
और
भी
आसान
होना
चाहिए
तो
काफ़ी
राहत
मिल
जाएगी.



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निर्मला
सीतारमण
आज
मोदी
सरकार
3.0
का
पहला
बजट
करेंगी
पेश,
टैक्स
में
मिल
सकती
राहत

टैक्स
हम
देना
चाहते
हैं
लेकिन
टैक्सेशन
और
आसान
होना
चाहिए.
टैक्स
डिपार्टमेंट
के
बेवजह
के
नोटिस
आते
हैं,
परेशान
किया
जाता
है
और
कई
बार
व्यापारी
गलत
नहीं
होता
लेकिन
सिस्टम
ऐसा
है
जिसकी
वजह
से
व्यापारी
को
टैक्सेशन
के
मामले
में
परेशान
होना
पड़ता
है.


वी
के
जैन,
सीनियर
सिटिजन

टैक्स
में
राहत
मिलनी
चाहिए.
खासकर
मिडिल
क्लास
के
लोगों
के
लिए.
लोअर
क्लास
के
लिए
तो
बहुत
सारी
चीजें
फ्री
दी
जाती
हैं.
हायर
क्लास
को
तमाम
कंसेशन
दी
जाती
है
लेकिन
मिडिल
क्लास
के
लिए
सबसे
ज्यादा
सोचने
की
जरूरत
है.

सीनियर
सिटीजन
को
जो
रेलवे
के
टिकट
में
छूट
दी
जाती
थी
उसे
दोबारा
शुरू
करना
चाहिए.
हम
हमेशा
ट्रेन
में
सफर
नहीं
करते
हैं
लेकिन
कभी-कभार
जब
जाना
होता
है
तो
पहले
ट्रेन
टिकट
में
छूट
मिला
करती
थी
जो
कोविड
के
वक्त
बंद
हो
गई
थी
उसे
दोबारा
शुरू
करने
की
जरूरत
है.


लाजपत
आहूजा,
रिटायर्ड
बैंकर

हमारी
पेंशन
जो
आती
है
वह
टैक्स
फ्री
होनी
चाहिए.
हमारे
पास
कोई
और
इनकम
का
सोर्स
नहीं
है
सिर्फ
पेंशन
ही
है
वह
भी
टैक्सेबल
है.
यह
टैक्स
फ्री
होनी
चाहिए.
दूसरा
जो
रेलवे
में
सुविधा
मिलती
थी
वह
बहाल
होनी
चाहिए.
सीनियर
सिटिजन
को
ट्रेन
टिकट
में
छूट
मिलनी
चाहिए.
हर
बजट
में
ऊपर
की
क्लास
के
बारे
में
सोचा
जाता
है
और
सबसे
ज्यादा
मार
मिडिल
क्लास
पर
पड़ती
है.


कपिल
भार्गव,
नौकरीपेशा

हमारे
बच्चे
जब
कॉलेज
जाते
हैं
और
एक
पराठा
भी
खाते
हैं
तो
उस
पर
भी
जीएसटी
लगया
जाता
है.
बच्चे
दूध
पीते
हैं
तो
उसपर
भी
जीएसटी
है.
स्कूल
फीस
पर
भी
जीएसटी
है.
अगर
कोई
लोन
लेता
है
तो
उसपर
भी
जीएसटी
है
सरकार
को
थोड़ा
सा
इन
सब
पर
सोचना
चाहिए.


मोनिका
भार्गव,
हाउसवाइफ

दूध,
चॉकलेट
इन
सब
चीजों
के
रेट
बढ़
रहे
हैं.
हर
दूसरे
तीसरे
महीने
रेट
बढ़
जा
रहे
हैं.
इन
सब
छोटी-छोटी
चीजों
पर
ध्यान
देने
की
जरूरत
है.
अमीर
और
अमीर
हो
रहा
है
और
गरीब
ज्यादा
गरीब
हो
रहा
है.
मोदी
जी
अच्छा
काम
कर
रहे
हैं
लेकिन
उनसे
गुजारिश
यह
है
कि
मिडिल
क्लास
के
लोगों
पर
सबसे
ज्यादा
ध्यान
देने
की
जरूरत
है.

पहले
जब
हम
सब्जी
लेने
जाते
थे
और
अब
जब
अब
ले
लेने
जाते
हैं
इसमें
फर्क
आया
है.
पहले
1
किलो
लेते
थे
और
अब
यह
महसूस
होता
है
कि
एक
किलो
की
जगह
एक
ही
पाव
लिया
जाए.


हरीश
बंसल,
फाइनेंशियल
कंसलटेंट

मोदी
सरकार
के
टाइम
में
स्टॉक
मार्केट
ठीक
से
चला
है
लेकिन
मामला
यह
है
कि
महंगाई
काफी
ज्यादा
बढ़ी
है.
थोड़ा
सा
महंगाई
पर
कंट्रोल
लाने
की
जरूरत
है.
इंटरेस्ट
रेट
में
कमी
आने
चाहिए
जिससे
कि
जो
लोन
लेने
वाले
लोग
हैं
वह
उन्हें
आसानी
से
लोन
मिले
कम
ब्याज
पर
मिले
जिससे
कि
बिजनेस
वह
अपना
बढ़ा
सके.


सौरव
भाटिया,
बिजनेसमैन

सबसे
बड़ी
परेशानी
टैक्सेशन
को
लेकर
आती
है.
टैक्सेशन
कॉम्प्लिकेटेड
है.
हमारे
जैसा
आदमी
बिजनेस
केरगा
या
टैक्सेशन
के
स्लैब
के
चक्कर
में
पड़ेगा?

सब
कुछ
करने
के
बाद
हम
लोग
सबसे
लास्ट
में
स्लैब
में
फंस
जाते
हैं.
व्यापारी
होने
के
नाते
मैं
यह
चाहता
हूं
कि
ऐसा
कुछ
सिस्टम
बने
जैसे
कि
सिंगल
टैक्स
हो
जाए
और
हम
आसानी
से
टैक्स
चुका
सके.
कहने
के
लिए
जीएसटी
है
लेकिन
उसमे
अलग-अलग
स्लैब
है.
जैसे
कि
परचेज
और
सेल
में
अलग-अलग
टैक्स
हो
जाता
है,कहां
कितना
इनपुट
मिलना
है
और
कितना
हमें
आगे
भरना
है
उसको
समझने
में
भी
बहुत
ही
परेशानी
होती
है.


करिश्मा,
मेंहदी
लगाने
वाली

मोदी
जी
से
हम
चाह
रहे
हैं
कि
महंगाई
कम
करें.
हर
चीज
पर
महंगाई
बढ़ी
है
जो
कमा
रहे
हैं
वह
खर्च
हो
जा
रहा
है
बचत
नहीं
हो
पा
रही
है.


पवन
चेतल,
बिजनेस
एडवाइजर

मेरे
ख्याल
से
जो
भी
सरकार
आती
है
वह
अपर
क्लास
को
देखते
हैं
या
फिर
लोअर
क्लास
को.
मिडिल
क्लास
पर
ध्यान
नहीं
दिया
जाता
है
मिडिल
क्लास
पर
ध्यान
देने
की
जरूरत
है.

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