सूफ़ियाना
क़व्वाली
का
अयोजन।
–
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:
अमर
उजाला
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ऐतिहासिक
धरोहर
गोलघर
अपने
कायाकल्प
के
साथ
अब
खूबसूरत
नजारा
लिए
लोगों
को
आकर्षित
कर
रहा
है।
सावन
माह
की
फुहारों
के
बीच
यहां
सूफियाना
गजलों
का
दौर
चला
तो
गोलघर
एक
नए
स्वरूप
से
भर
गया।
मध्यप्रदेश
संस्कृति
विभाग
द्वारा
पुरातत्व
विभाग
के
समन्वय
से
सजाई
गई
इस
सूफियाना
महफिल
में
देर
रात
तक
लोग
झूमते
रहे।
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प्रदेश
के
मशहूर
कव्वाल
मुकर्रम
वारसी
ने
अपनी
टीम
के
साथ
जब
“ताजदार-ए-हरम”
के
साथ
अपनी
प्रस्तुति
शुरू
की
तो
श्रोताओं
पर
सूफियाना
सुरूर
छा
गया।
इसके
बाद
गुरु
पूर्णिमा
पर
खास
“गुरु
दर्शन”
से
वाहवाही
भी
मिली।
कार्यक्रम
में
“छाप
तिलक”,
“सांसों
की
माला
पे”,
और
“दिल-ए-उम्मीद
तोड़ा
है
किसी
ने”
जैसी
कव्वालियाँ
फिजाओं
में
गूंजती
रहीं
और
लोगों
का
झूमना
जारी
रहा।
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मध्यप्रदेश
उर्दू
अकादमी
निदेशक
डॉ.
नुसरत
मेहदी
ने
बताया
कि
मप्र
संस्कृति
परिषद,
संस्कृति
विभाग
के
तत्वावधान
में
“फुलवारी”
के
अंतर्गत
शाम-ए-सूफ़ियाना
में
“क़व्वाली”
एवं
भोपाल
हाट
का
आयोजन
किया
गया
था।
इस
आयोजन
में
संचालनालय
पुरातत्त्व,
अभिलेखागार
एवं
संग्रहालय
का
विशेष
सहयोग
रहा।
डॉ.
मेहदी
ने
कहा
कि
मध्य
प्रदेश
शासन
भाषा,
साहित्य,
संस्कृति,
कला,
शिल्पकला,
दस्तकारी,
महिला
सशक्तिकरण,
रोजगार
आदि
के
विकास
एवं
संवर्धन
के
लिए
प्रतिबद्ध
है।
इसलिए,
कलाकारों
को
मंच
भी
मिले
और
लोग
प्रदेश
की
ऐतिहासिक
विरासतों
के
महत्व
व
उनके
संरक्षण
के
प्रति
जागरूक
भी
हों,
इस
उद्देश्य
को
ध्यान
में
रखते
हुए
गोलघर
में
सूफ़ियाना
क़व्वाली
व
हाट
का
आयोजन
किया
गया
है।
इस
आयोजन
में
मुकर्रम
वारसी
व
साथियों
द्वारा
सूफ़ियाना
क़व्वाली
की
प्रस्तुति
दी
गई
एवं
भोपाल
के
कारीगरों
द्वारा
स्टॉल
लगाकर
अपने
हुनर
का
प्रदर्शन
किया
गया।
कार्यक्रम
में
संचालनालय
पुरातत्व,
अभिलेखागार
एवं
संग्रहालय
की
ओर
से
पुरातत्त्वविद
डॉ.
अहमद
अली
विशेष
रूप
से
उपस्थित
थे।