
मुख्यमंत्री
डॉ.
मोहन
यादव
(फाइल
फोटो)
–
फोटो
:
सोशल
मीडिया
विस्तार
मुख्यमंत्री
डॉ.
मोहन
यादव
4
सितंबर
को
बीना
के
दौरे
पर
जाएंगे।
वे
प्रदेश
को
56वें
जिले
की
सौगात
दे
सकते
हैं।
बीना
को
जिला
बनाने
की
मांग
1985
से
चली
आ
रही
है
और
अब
यह
पूरी
होने
की
संभावना
जताई
जा
रही
है।
हालांकि,
चर्चा
यह
भी
है
कि
इसको
लेकर
प्रस्ताव
दौरे
के
एक
दिन
पहले
मंगलवार
को
प्रस्ताव
कैबिनेट
बैठक
में
भी
आ
सकता
है। मुख्यमंत्री
के
दौरे
से
पहले
बीना
और
आसपास
के
क्षेत्रों
में
माहौल
गरमाया
हुआ
है,
क्योंकि
खुरई
के
लोग
भी
इसे
जिला
बनाने
की
मांग
कर
रहे
हैं।
सागर
जिले
में
आने
वाली
बीना
तहसील
को
जिला
बनाने
की
मांग
लंबे
समय
से
चली
आ
रही
है।
बीना
की
सागर
से
दूरी
80
किलोमीटर
है,
और
यह
तहसील
क्षेत्रफल
में
भी
बड़ी
है।
बीना
रेलवे
का
महत्वपूर्ण
जंक्शन
होने
के
कारण
इसे
जिला
बनाने
की
मांग
पहले
भी
कई
बार
उठ
चुकी
है।
सूत्रों
के
मुताबिक,
मंत्रालय
में
बीना
को
जिला
बनाने
की
फाइल
पर
तेजी
से
काम
हो
रहा
है।
यदि
कोई
बड़ी
आपत्ति
नहीं
आती,
तो
4
सितंबर
को
मुख्यमंत्री
डॉ.
मोहन
यादव
बीना
को
मध्य
प्रदेश
का
56वां
जिला
घोषित
कर
सकते
हैं।
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खुरई
को
भी
जिला
बनाने
की
मांग
बीना
को
जिला
बनाए
जाने
के
साथ
ही
खुरई
तहसील
को
भी
जिला
बनाने
की
मांग
जोर
पकड़
रही
है।
खुरई
के
निवासियों
ने
3
सितंबर
को
खुरई
बंद
का
आह्वान
किया
है,
ताकि
उनकी
मांग
को
सरकार
तक
पहुंचाया
जा
सके।
ऐसे
में
नए
जिले
का
नाम
“बीना-खुरई”
रखा
जा
सकता
है,
जिससे
दोनों
क्षेत्रों
की
मांगों
को
संतुलित
किया
जा
सके।
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विज्ञापन
यह
हो
सकती
है
संभावित
तहसीलें
यदि
बीना
को
जिला
बनाया
जाता
है,
तो
इसमें
बीना,
खुरई,
मालथौन,
बांदरी,
कुरवाई
और
पठारी
तहसीलें
शामिल
की
जा
सकती
हैं।
इसके
अलावा,
बीना
में
उपचुनाव
की
स्थिति
भी
बन
रही
है।
2023
के
विधानसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
की
निर्मला
सप्रे
ने
बीना
सीट
से
जीत
हासिल
की
थी,
लेकिन
अब
वह
भाजपा
में
शामिल
हो
गई
हैं।
उनके
इस्तीफे
की
संभावना
के
चलते
उपचुनाव
की
अटकलें
तेज
हैं।
राजनीतिक
गलियारों
में
चर्चा
है
कि
उपचुनाव
से
पहले
ही
बीना
को
जिला
घोषित
किया
जा
सकता
है।