
अहिल्याबाई
होल्कर
पुण्यतिथि।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
मां
ओर
देवी
कहलाने
वाली
विश्व
की
पहली
महिला
शासिका
होलकर
वंश
की
महारानी
अहिल्याबाई
होलकर
ने
अपने
राज्य
की
जनता
को
अपनी
संतान
के
स्वरूप
मानकर
उन
पर
भरपूर
ममत्व
लुटाया।
शिव
भक्ति
में
तल्लीन
रहते
हुए
मातूश्री
की
न्याय
व्यवस्था
बहुत
ही
सुद्रढ़
थी।
भगवान
शिव
को
समर्पित
कर
राज्य
का
कार्य
करते
हुए
कभी
भी
महारानी
होने
का
भाव
उनके
मन
को
कभी
छुआ
भी
नहीं।
सौम्य,
सहज,
सादगीपूर्ण
जीवन
शैली
उनकी
शैली
रही
हैं।
शिव
भक्ति
के
अलावा
नित्य
नर्मदा
दर्शन
व
मछलियों
को
दाना
खिलाना
व
गरीबों
को
दान
देना
उनकी
दिनचर्या
में
शामिल
था।
इसलिए
मातुश्री
प्रजा
वत्सल
भी
कहलाईं।
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हम
बात
कर
रहे
हैं
होलकर
राजवंश
की
महारानी
रही
देवी
अहिल्याबाई
की।
उनकी
आज
229वीं
पुण्यतिथि
है।
अपने
राज्य
की
जनता
की
आर्थिक
उन्नति
के
लिए
उनकी
सोच
बड़ी
थी।
इसके
लिए
लोकमाता
अहिल्या
बाई
ने
साड़ी
उद्योग
की
स्थापना
की
और
अपने
राज्य
की
हर
जनता
को
काम
दिया।
वर्तमान
में
महेश्वरी
साड़ी
उद्योग
यहां
का
मुख्य
व्यापार
बन
गया
है।
यह
सब
मातूश्री
के
आशीर्वाद
का
प्रताप
है
जो
बीज
साड़ी
उद्योग
का
स्वयं
ने
रोपा
था
वह
वट
वृक्ष
बन
कर
पल्लवित
पुष्पित
हो
फल
फूल
रहा
है।
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देश
की
आजादी
के
पूर्व
जितने
भी
राजा
महाराजा
व
रियासतें
हुई
हैं
उनमें
से
होलकर
रियासत
की
शासिका
देवीश्री
अहिल्याबाई
एक
मात्र
ऐसी
शासिका
हुई
हैं
जिन्होंने
देवाधिदेव
महादेव
को
समर्पित
शासन
व्यवस्था
स्थापित
की
हैं।
रियासत
के
जितने
भी
कार्य
आदेश
होते
थे
उस
पर
शिव
आदेश
की
सील
लगती
थी।
देवीश्री
अहिल्याबाई
ने
अपने
शासन
काल
में
सम्पूर्ण
देश
के
प्रमुख
स्थानों
पर
शिवालय,
धर्मशालाएं,
बावड़ियां
आदि
का
निर्माण
कराया।
उनकी
इस
कार्य
प्रणाली
से
वे
ऐसी
प्रथम
शासिका
हुईं
जो
लोकमाता
देवीश्री
अहिल्याबाई
के
नाम
से
जानी
पहचानी
जाती
हैं।