
अभ्यास
मंडल
का
व्याख्यान।
–
फोटो
:
अमर
उजाला,
डिजिटल,
इंदौर
विस्तार
लाल
बहादुर
शास्त्री
राष्ट्रीय
प्रशासन
अकादमी
के
पूर्व
निदेशक
संजीव
चोपड़ा
ने
देश
के
अधिकारियों
को
समझाइश
देते
हुए
कहा
कि
पहले
समय
पर
दफ्तर
आना
शुरू
करें
फिर
बड़े
कामों
पर
ध्यान
दें।
देश
को
बदलने
की
शुरुआत
तो
अनुशासन
से
ही
होती
है।
यह
बात
उन्होंने
अभ्यास
मंडल
के
व्याख्यान
में
कही।
उन्होंने
कहा
कि
लाल
बहादुर
शास्त्री
के
द्वारा
अपने
प्रधानमंत्री
पद
के
कार्यकाल
के
दौरान
दिया
गया
जय
जवान
जय
किसान
का
नारा
देश
में
खाद्यान्न
की
कमी
दूर
करने
और
सेना
के
जवानों
का
हौसला
बुलंद
करने
के
लिए
दिया
गया
था।
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चोपड़ा
ने
रविवार
को
अभ्यास
मंडल
द्वारा
आयोजित
63वीं
वार्षिक
व्याख्यान
माला
को
संबोधित
किया।
जाल
सभागृह
में
आयोजित
इस
व्याख्यान
में
जय
जवान
जय
किसान
विषय
पर
दिए
गए
अपने
उद्बोधन
में
उन्होंने
कहा
कि
जब
मुझे
लाल
बहादुर
शास्त्री
राष्ट्रीय
प्रशासन
अकादमी
में
पदस्थ
किया
गया
तब
मैंने
वहां
जाकर
अपना
काम
संभाला।
मैंने
वहां
पर
जाकर
जब
लाइब्रेरी
में
किताबों
को
देखा
तो
यह
पाया
कि
वहां
पर
महात्मा
गांधी,
जवाहरलाल
नेहरू
और
इंदिरा
गांधी
को
लेकर
तो
इतनी
किताबें
थी
कि
एक
व्यक्ति
पढ़ना
शुरू
करें
तो
उसका
जीवन
समाप्त
हो
जाए
लेकिन
किताबें
समाप्त
नहीं
हो।
वहां
पर
लाल
बहादुर
शास्त्री
से
संबंधित
कुल
जमा
12
किताबें
थी।
उन
किताबों
में
भी
वह
ब्यौरा
नहीं
मिल
रहा
था
जो
की
जानना
आवश्यक
होता
है।
इसके
बाद
मैंने
शास्त्री
जी
पर
अध्ययन
करना
शुरू
किया
और
अब
मैं
शास्त्री
जी
की
बायोग्राफी
को
लिख
रहा
हूं।
यह
जल्द
ही
पूर्ण
हो
जाएगी।
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विज्ञापन
उन्होंने
कहा
कि
नारे
केवल
एक
शब्द
नहीं
होता
है
बल्कि
वह
उस
समय
के
देश
और
काल
का
प्रतीक
होता
है।
उस
समय
के
हालात
का
प्रतीक
होता
है।
जिस
तरह
जय
हिंद
नारे
के
साथ
हमें
सुभाष
चंद्र
बोस
की
याद
आ
जाती
है,
उसी
तरह
से
जय
जवान
जय
किसान
का
नारा
हमें
लाल
बहादुर
शास्त्री
की
याद
दिलाता
है
।
वर्ष
1955
से
1965
तक
का
समय
देश
के
लिए
संकट
वाला
समय
था।
यह
वह
समय
था
जब
देश
चल
पाएगा
या
नहीं
चल
पायेगा,
इसे
लेकर
संशय
व्यक्त
किया
जा
रहा
था।
उस
समय
चीन
के
द्वारा
किए
गए
हमले
में
हमारी
हार
हुई
थी।
सेना
के
जवानों
का
मनोबल
गिरा
हुआ
था।
उस
समय
देश
में
65
मेट्रिक
टन
खाद्यान्न
की
आवश्यकता
होती
थी।
इसमें
से
10
मेट्रिक
टन
खाद्यान्न
हमें
बाहर
से
मंगवाना
पड़ता
था।
ऐसी
स्थिति
में
लाल
बहादुर
शास्त्री
ने
जय
जवान
जय
किसान
का
नारा
दिया
था।
यह
नारा
सेवा
के
जवानों
के
हौसले
को
बुलंद
करने
और
किसानों
को
अपनी
जमीन
से
देश
की
खाद्यान्न
की
आवश्यकता
की
पूर्ति
करने
के
लिए
प्रेरित
करने
के
मकसद
से
दिया
गया
था।
चोपड़ा
ने
कहा
कि
इस
समय
पर
लता
मंगेशकर
के
द्वारा
रोते
हुए
ऐ
मेरे
वतन
के
लोगों
गाना
गाया
गया
था।
इस
पर
लोहिया
ने
कहा
था
कि
इसे
रोते
हुए
गाने
की
क्या
जरूरत
है?
फिर
बाद
में
जब
शास्त्री
जी
ने
नारा
दे
दिया
तो
फिर
एक
गाना
आया
था
कदम
से
कदम
मिलाया
जा..
इस
तरह
से
स्थितियों
में
पूरा
परिवर्तन
आ
गया।
उन्होंने
कहा
कि
उस
समय
पर
यह
कहा
जाता
था
कि
किसान
तो
अनपढ़
होता
है
वह
नई
तकनीक
को
कैसे
अपना
सकेगा?
सेना
में
आने
वाले
जवान
अधिकांश
किसान
परिवारों
से
ही
आते
थे।
देश
में
ग्रीन
और
व्हाइट
रिवॉल्यूशन
शास्त्री
जी
की
ही
देन
रहा
है।
उन्होंने
कहा
कि
उस
समय
से
लेकर
अब
तक
पंजाब
में
जितना
खाद्यान्न
होता
है
उससे
ज्यादा
खाद्यान्न
तो
मध्य
प्रदेश
में
पैदा
होता
है।
इसका
सबसे
बड़ा
कारण
यहां
नर्मदा
नदी
का
होना
है।
राजनीति
में
ना
आते
तो
शिक्षक
होते
शास्त्री
जी
उन्होंने
कहा
कि
शास्त्री
जी
के
नाना
और
मामा
अंग्रेजी
के
अच्छे
अध्यापक
थे।
उन्होंने
शास्त्री
जी
को
भी
अंग्रेजी
इतनी
अच्छी
सिखाई
थी
की
ड्राफ्टिंग
में
कहीं
कोई
गलती
नहीं
निकाल
सकता
था।
शास्त्री
जी
परीक्षा
की
तैयारी
कर
रहे
थे।
उसके
बाद
उनकी
अध्यापक
की
नौकरी
लगना
निश्चित
था
लेकिन
गांधी
जी
ने
उन्हें
कहा
कि
यह
सब
छोड़ो
और
देश
की
सेवा
के
लिए
आ
जाओ।
इसके
परिणाम
स्वरुप
शास्त्री
जी
ने
सभी
कुछ
छोड़
दिया।
कान्ह
और
सरस्वती
के
लिए
कंसल्टेंट
नियुक्त
किया
इस
अवसर
पर
इंदौर
के
संभाग
आयुक्त
दीपक
सिंह
ने
कहा
कि
हमने
इंदौर
में
कान्ह
और
सरस्वती
नदी
को
बेहतर
बनाने
की
दिशा
में
काम
किया
है।
ओम
नमामि
गंगे
अभियान
के
तहत
इस
नदी
में
मिलने
वाले
ड्रेनेज
के
पानी
को
साफ
करने
का
काम
किया
जाएगा।
इंदौर
विकास
प्राधिकरण
के
द्वारा
नदी
किनारे
के
क्षेत्र
में
किए
जाने
वाले
काम
के
लिए
कंसल्टेंट
की
नियुक्ति
कर
दी
गई
है।
कार्यक्रम
के
प्रारंभ
में
अतिथियों
का
स्वागत
विनय
जैन,
कुणाल
भंवर,
बसंत
सोनी,
यान्या
सिंह
सिसोदिया
ने
किया।
कार्यक्रम
का
संचालन
मनीषा
गौर
ने
किया।
कार्यक्रम
के
अंत
में
आभार
प्रदर्शन
व्याख्यान
माला
समिति
के
उपाध्यक्ष
अशोक
जायसवाल
ने
किया।
कल
का
व्याख्यान
अभ्यास
मंडल
के
अध्यक्ष
रामेश्वर
पटेल
और
सचिव
शिवाजी
मोहित
ने
बताया
कि
कल
2
सितंबर
को
कांग्रेस
के
राष्ट्रीय
प्रवक्ता
पवन
खेड़ा
का
व्याख्यान
होगा।
उनके
व्याख्यान
का
विषय
है
संवैधानिक
मूल्य
और
चुनौतियां।
यह
व्याख्यान
शाम
6:30
बजे
जाल
सभागृह
में
होगा।