MP: नाराज किसानों ने मंडी गेट पर की तालाबंदी, कहा- ये हमारी पेट की है लड़ाई, अभी बंद मुट्ठी में है बात…नहीं तो

MP: नाराज किसानों ने मंडी गेट पर की तालाबंदी, कहा- ये हमारी पेट की है लड़ाई, अभी बंद मुट्ठी में है बात…नहीं तो

मध्य
प्रदेश
में
किसानों
की
नाराजगी
कम
होने
का
नाम
नहीं
ले
रही
है।
सोमवार
को
मंडी
खुलने
के
बाद
प्रदेश
के
खंडवा
जिले
में
सोयाबीन
के
कम
भाव
मिलने
से
नाराज
किसानों
ने
मंडी
के
गेट
पर
ही
तालाबंदी
कर
दी।
किसानों
का
कहना
था
कि
सोयाबीन
के
भाव
उन्हें
कम
मिल
रहे
हैं।
इसे
बढ़ाया
जाना
चाहिए
और
जब
इसको
लेकर
उन्होंने
जिम्मेदारों
से
बात
करने
की
कोशिश
की
तो
कोई
भी
अधिकारी
और
जिम्मेदार
व्यक्ति
उनसे
बात
करने
को
तैयार
नहीं
हुए।
इसलिए
भी
वह
नाराज
है।
मंडी
में
किसानों
का
बढ़ता
हंगामा
देख
मौके
पर
पुलिस
भी
पहुंची
और
किसानों
को
समझाइश
देने
की
कोशिश
की।
किसानों
ने
कहा
कि
अगर
सरकार
एमएसपी
पर
उनकी
बात
नहीं
सुनती
है
तो
वह
रेल
रोको
आंदोलन
कर
रेल
मार्ग
को
जाम
कर
देंगे।


ये
किसानों
के
पेट
की
लड़ाई
है

वहीं
इस
हंगामें
को
लेकर
किसान
नेता
सुभाष
पटेल
ने
बताया
कि
पिछले
कुछ
दिनों
से
लगातार
सोशल
मीडिया
और
सड़कों
पर
हम
आंदोलन
चला
रहे
हैं
कि
किसानों
के
सोयाबीन
के
भाव
ठीक
से
उन्हें
दी
जाएं।
पिछले
कुछ
दिनों
से
सोयाबीन
के
भाव
मंडी
में
4500
रुपए
के
करीब
बिक
रहे
थे,
लेकिन
सोमवार
को
जब
मंडी
खुली
तो
इस
सोयाबीन
के
भाव
3200
रुपए
के
आसपास
मिलने
लगे,
जिससे
किसानों
के
सब्र
का
बांध
टूट
गया
और
ऐसे
में
किसानों
ने
मंडी
के
गेट
पर
ताले
लगा
दिए।
यह
तो
मात्र
किसानों
की
तरफ
से
एक
चेतावनी
है।
अगर
सरकार
अब
भी
किसानों
की
बात
नहीं
मानती,
तो
यह
आंदोलन
सरकार
को
रेलवे
ट्रैक
पर
देखने
को
मिलेगा।
क्योंकि
यह
किसानों
के
पेट
की
लड़ाई
है
और
सरकार
इस
बात
को
गंभीरता
से
नहीं
ले
रही
है।
हमारे
जनप्रतिनिधि
भी
सरकार
तक
हमारी
बात
पहुंचाने
का
काम
करें
की
जो
सोयाबीन
के
भाव
है
वह
4892
रुपए
किसान
को
मिले
और
1108
रुपए
बोनस
के
रूप
में
दिया
जाए।
इस
तरह
से
6000
से
ऊपर
किसानों
को
अगर
भाव
मिलता
है
तो
तो
ही
बात
बनेगी
नहीं
तो
आगे
किसानों
का
एक
बड़ा
आंदोलन
सरकार
को
देखने
को
मिलेगा।


अभी
बात
बन्द
मुट्ठी
में
है

वहीं
उन्होंने
आज
के
आंदोलन
को
लेकर
चेतावनी
देते
हुए
कहा
कि
सरकार
को
हम
अभी
भी
समय
दे
रहे
हैं
कि
वह
हमारी
बात
मान
ले।
क्योंकि
अभी
बात
जो
है
बंद
मुट्ठी
में
है
और
अगर
यह
बात
बाहर
निकल
गई
और
एक
बार
मुट्ठी
खुल
गई
तो
फिर
सरकार
परेशान
हो
जाएगी।
फिर
हम
सरकार
से
कोई
बात
करने
के
मूड
में
नहीं
रहेंगे
और
एक
बड़ा
आंदोलन
सरकार
को
रेलवे
ट्रैक
पर
फिर
देखने
को
मिलेगा।
तो
सरकार
से
हमारी
अभी
यही
मांग
है
कि
सरकार
जल्द
से
इस
पर
निर्णय
ले
और
मंडियों
में
जो
समर्थन
मूल्य
से
नीचे
माल
बिक
रहा
है,
वह
नहीं
बिके
और
समर्थन
मूल्य
से
ऊपर
किसानों
को
अपनी
फसल
का
दाम
दिया
जाए।


सोयाबीन
की
उपज
में
है
नमी

इधर,
इस
पूरे
मामले
को
लेकर
मंडी
सचिव
ओपी
खेड़े
ने
बताया
कि
किसान
सोयाबीन
का
कम
दाम
मिलने
से
नाराज
थे।
इसी
नाराजगी
के
चलते
किसान
मंडी
के
गेट
पर
बैठ
गए
थे।
उनकी
मांग
थी
कि
सोयाबीन
के
रेट
उन्हें
समर्थन
मूल्य
के
हिसाब
से
मिले।
मंडी
सचिव
ने
कहा
कि
हमने
किसान
भाइयों
को
समझाया
है
कि
समर्थन
मूल्य
के
पंजीयन
का
काम
तेजी
से
चल
रहा
है।
आप
उसमें
पंजीयन
करवा
ले।
वहीं
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
उपज
में
अभी
नमी
है,
उसे
सूखा
ले
ताकि
उसका
समर्थन
मूल्य
पर
विक्रय
किया
जा
सके।
हर
सीजन
में
करीब
6
लाख
क्विंटल
तक
सोयाबीन
मंडी
में
आती
है।

खंडवा में किसानों ने मंडी के गेट पर की तालाबंदी