धार्मिक
नगरी
उज्जैन
में
माता
की
आराधना
का
पर्व
नवरात्रि
प्रत्येक
वर्ष
धूमधाम
से
मनाया
जाता
है।
यहां
माता
मंदिरों
में
जहां
विशेष
पूजन
अर्चन
के
साथ
माता
की
महाआरती
की
जाती
है।
वहीं
शाम
होते
ही
शहर
के
विभिन्न
स्थानों
पर
गरबों
का
आयोजन
भी
होता
है।
वैसे
तो
शहर
में
होने
वाले
प्रत्येक
आयोजन
पूर्ण
गरिमामय
रूप
से
होते
हैं,
लेकिन
इन
सबके
बीच
नागर
समाज
के
पारंपरिक
गरबा
उत्सव
का
एक
अलग
ही
स्थान
है।
जहां
पर
हुंडी
की
थाप
पर
हालो
गरबो
गुजरात
नो
की
गूंज
सुनाई
देती
है।
वहीं
प्रतिदिन
समाजजन
अलग-अलग
रंगों
की
वेशभूषा
पहनकर
भी
इस
आयोजन
में
शामिल
होते
हैं।
इस
गरबा
उत्सव
की
विशेषता
यह
भी
है
कि
यहां
जींस
टीशर्ट
मे
गरबा
खेलने
पर
भी
प्रतिबंध
लगा
हुआ
है।
मध्यप्रदेश
नागर
ब्राह्मण
परिषद
शाखा
उज्जैन
के
अध्यक्ष
भूपेंद्र
त्रिवेदी
ने
इस
पारंपरिक
गरबा
उत्सव
की
जानकारी
देते
हुए
बताया
कि
प्रतिवर्षानुसार
इस
वर्ष
भी
नागर
समाज
का
पारंपरिक
गरबा
उत्सव
शर्मा
परिसर,
देवास
रोड़,
उज्जैन
पर
आयोजित
किया
जाएगा।
इस
वर्ष
3
अक्टूबर
से
इस
गरबा
उत्सव
की
शुरुआत
होगी
जिसके
प्रथम
दिन
पंडित
कैलाशचंद्र
शुक्ल
के
आचार्यत्व
में
माता
को
प्रतिष्ठित
किया
जाएगा।
इसके
बाद
गरबों
का
शुभारंभ
होगा।
3
अक्टूबर
से
11
अक्टूबर
2024
तक
होने
वाले
गरबे
के
आयोजन
में
प्रतिदिन
आरंभ
आरती
–
सायं
7
बजे
एवं
समापन
आरती
–
रात्रि
9:30
बजे
होगी
और
इसी
दौरान
पारम्परिक
गरबा
आराधना
भी
की
जाएगी।
प्रतिदिन
अलग-अलग
रंगों
की
वेशभूषा
पहनेंगे
समाजजन
नागर
समाज
का
गरबा
महोत्सव
अन्य
गरबों
की
अपेक्षा
कुछ
अलग
है,
यही
कारण
है
कि
यहां
प्रतिदिन
अलग-अलग
रंगों
की
वेशभूषा
में
ही
गरबे
पर
किए
जाएंगे।
यहां
पर
3
अक्टूबर
2024,
गुरूवार-
पीला
4
अक्टूबर
2024,
शुक्रवार-
रानी
5
अक्टूबर
2024,
शनिवार
–
नीला
6
अक्टूबर
2024,
रविवार-
लहंगा
चुन्नी
7
अक्टूबर
2024,
सोमवार
–
लहरिया
8
अक्टूबर
2024,
मंगलवार-
लाल
9
अक्टूबर
2024,
बुधवार
–
हरा
10
अक्टूबर
2024,
गुरूवार
–
केसरिया
11
अक्टूबर
2024,
शुक्रवार
–
चुनरी
की
वेशभूषा
में
गरबे
का
आयोजन
होगा।
इनके
सामूहिक
प्रयास
से
होता
है
गरबे
का
आयोजन
प्रतिवर्षानुसार
धूमधाम
से
होने
वाले
नागर
समाज
के
गरबा
महोत्सव
को
म.प्र.
नागर
ब्राह्मण
परिषद
शाखा
उज्जैन,
म.प्र.
नागर
महिला
परिषद
शाखा
उज्जैन,
म.प्र.
नागर
युवा
परिषद
शाखा
उज्जैन,
श्री
हाटकेश्वर
देवालय
न्यास
हरसिद्धिपाल,
उर्दूपुरा
एवं
बम्बाखाना
के
द्वारा
आयोजित
किया
जाता
है।
सिर्फ
समाजजन
ही
खेलते
हैं
गरबा
इस
गरबे
की
एक
विशेषता
यह
भी
है
कि
इस
पारंपरिक
गरबे
में
गरबे
को
गाने
वाले
कलाकार
समाज
के
ही
होते
हैं
जो
की
पारंपरिक
गरबे
के
साथ
ही
गुजरात
की
प्रसिद्ध
हुंडी
के
साथ
इस
गरबे
को
करवाते
हैं,
वहीं
इस
गरबा
उत्सव
में
समाज
के
लोग
भी
गरबा
करते
हैं
अन्य
समाज
के
लोग
इस
आयोजन
को
देख
तो
सकते
हैं,
लेकिन
गरबा
खेलने
पर
उनके
लिए
प्रतिबंध
रहता
है।