MP High Court: किसान रैली में जाने के पूर्व गिरफ्तारी पर मुआवजे की मांग, HC ने अनावेदकों को जारी किया नोटिस

किसान
रैली
में
दिल्ली
जा
रहे
बरगी
विस्थापित
संघ
के
अध्यक्ष
और कार्यकर्ताओं
की
गिरफ्तारी
को
हाईकोर्ट
में
चुनौती
दी
गई
है।
गिरफ्तारी
को अवैध
बताते
हुए
दो
लाख
रुपये
के
मुआवजे
की
मांग
की
गई
है।
जस्टिस
एमएस
भट्टी
की
एकलपीठ
ने
मामले
में
राज्य
सरकार
और अन्य
को
नोटिस
जारी
कर
चार
सप्ताह
में
जवाब
पेश
करने
के
निर्देश
दिए हैं।


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यह
मामला
बरगी
विस्थापित
संघ
के
राजकुमार
सिन्हा,
रामरतन
यादव,
अमरदीप
सिंह,
अमित
पाण्डेय
और
संजय
सेन
की
ओर
से
दायर
किया
गया
है।
इसमें
कहा
गया
है
कि
जबलपुर
शहर
के
विभिन्न
क्षेत्रों
से
उनके
साथी
विगत
13
फरवरी
को
नई
दिल्ली
में
आयोजित
किसान
रैली
में
शामिल
होने
जा
रहे
थे।
इस
पर
विभिन्न
थाना
पुलिस ने
उन्हें
इस
आरोप
में
गिरफ्तार
किया
कि
शामिल
होने
के
लिए
वे
लोगों
को
सार्वजनिक
रूप
से
भड़काकर
शांति
भंग
कर
रहे
थे।


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आरोप
है
कि
जानबूझकर
उन्हें
दो
दिन
तक
हिरासत
में
रखा
गया।
इस
गिरफ्तारी
को
अवैध
बताकर
उसकी
जांच
कराने
और
दो
लाख
रुपये का
मुआवजा
दिलाए
जाने
की
मांग
याचिका
में
की
गई
है।
मामले
में
गृह
सचिव,
डीजीपी,
जबलपुर
एसपी,
गोरखपुर,
रांझी
एसडीओ
और तिलवारा,
गोराबाजार,
गढ़ा
और
गोरखपुर
थाना
प्रभारी
को
पक्षकार
बनाया
गया
है।
सुनवाई
पश्चात्
न्यायालय
ने
अनावेदकों
को
नोटिस
जारी
कर
जवाब
पेश
करने
के
निर्देश
दिए हैं।
याचिकाकर्ताओं
की
ओर
से
अधिवक्ता
अरविंद
कुमार
श्रीवास्तव
ने
पक्ष
रखा।


अवमानना
मामले
में
आयुक्त
लोक
शिक्षण
हाईकोर्ट
में
तलब

हाईकोर्ट
द्वारा
पारित
आदेश
का
परिपालन
नहीं
किए जाने
के
खिलाफ
हाईकोर्ट
में
अवमानना
याचिका
दायर
की
गई थी।
हाईकोर्ट
जस्टिस
डीडी
बसंल
की
एकलपीठ
ने
याचिका
की
सुनवाई
करते
हुए
आयुक्त
लोक
शिक्षण
को
व्यक्तिगत
रूप
से
तलब
किया
है।
याचिका
पर
अगली
सुनवाई
नौ दिसंबर
को
निर्धारित
की
गई है।

याचिकाकर्ता
नीमच
निवासी
लक्ष्मण
सिंह
चौहान
सहित
15
याचिकाकर्ताओं
की
तरफ
से
उक्त
अवमानना
याचिका
दायर
की
गई थी,
इसमें
कहा
गया
था
कि
वह
पार्ट
टाइम
शिक्षक
के
पद
पर
पदस्थ
था।
संविदा
शिक्षक
बनाए जाने
की
मांग
करते
हुए
उसने
हाईकोर्ट
में
याचिका
दायर
की
थी।
याचिका
की
सुनवाई
करते
हुए
हाईकोर्ट
ने
मार्च
2024
में
तीस
दिनों
के
अंदर
याचिकाकर्ताओं
को
60
दिनों
में
संविदा
शाला
शिक्षक
नियुक्त
करने
के
राहतकारी
आदेश
जारी
किए थे।

हाईकोर्ट
द्वारा
पारित
आदेश
के
बावजूद
भी
निर्धारित
समय
गुजर
जाने
बाद
भी
उन्हें
संविदा
शिक्षक
के
रूप
में
नियुक्ति
प्रदान
नहीं
की
गई, जिसके
कारण
उक्त
अवमानना
याचिका
दायर
की
गई है।
अवमानना
याचिका
की
सुनवाई
करते
हुए
एकलपीठ
ने
अनावेदकगणों
को
नोटिस
जारी
कर
जवाब
मांगा
था।
इसके
बावजूद
भी
संबंधित
अधिकारियों
के
द्वारा
कोई
कार्यवाही
नहीं
की
गई।
एकलपीठ
ने
सुनवाई
के
दौरान
मामले
को
गंभीरता
से
लेते शिल्पा
गुप्ता
आयुक्त
लोक
शिक्षण
संचालनालय
को
व्यक्तिगत
रूप
से
तलब
किया
है।
याचिकाकर्ता
लक्ष्मण
सिंह
चौहान
का
पक्ष
अधिवक्ता
दीपक
कुमार
पांडे
द्वारा
रखा
गया।