दमोह
जिले
के
तेंदूखेड़ा
ब्लॉक
के
तेजगढ़
गांव
में
लाल
और
काले
मुंह
वाले
बंदरों
का
कहर
है।
ये
बंदर
न
केवल
घरों
को
नुकसान
पहुंचा
रहे
हैं,
बल्कि
छोटे
बच्चों
को
भी
घायल
कर
रहे
हैं।
इससे
गांव
के
लोग
भयभीत
हैं
और
बच्चों
को
घर
से
बाहर
निकलने
देने
में
भी
डर
रहे
हैं।
बंदरों
से
बचने
के
लिए
ग्रामीणों
ने
छप्पर
के
ऊपर
कांटे
और
पत्थर
रख
दिए
हैं,
लेकिन
यह
भी
कारगर
साबित
नहीं
हो
रहा
है।
विज्ञापन
घरों
को
नुकसान
पहुंचा
रहे
बंदर
गांव
में
बंदरों
के
झुंड
आते
हैं
और
ग्रामीणों
के
कच्चे
खपरैल
मकानों
पर
उत्पात
मचाते
हैं।
बंदरों
की
हरकतों
से
गरीब
परिवारों
के
छप्पर
टूट
गए
हैं,
जिससे
घरों
में
छेद
हो
गए
हैं।
बंदर
इन
छेदों
से
घरों
में
घुसकर
गृहस्थी
का
सामान
और
भोजन
फेंक
देते
हैं।
ग्रामीणों
के
लिए
बाहर
सामग्री
रखना
मुश्किल
हो
गया
है।
ठंड
के
दिनों
में
धूप
में
रखी
सामग्री
को
बंदर
नुकसान
पहुंचा
देते
हैं
या
उसे
अपने
साथ
ले
जाते
हैं।
विज्ञापन
दुकानदार
भी
परेशान
बंदर
दुकानों
पर
भी
हमला
करते
हैं
और
वहां
रखी
सामग्री
छीन
कर
ले
जाते
हैं।
ग्रामीण
और
दुकानदार
दोनों
ही
बंदरों
से
बचने
के
प्रयास
में
असफल
हो
रहे
हैं।
वन
विभाग
ने
नहीं
की
कार्रवाई
ग्राम
पंचायत
के
सरपंच
प्रतिनिधि
विजयांश
जैन
ने
बताया
कि
बंदरों
के
आतंक
से
गांव
में
कच्चे
मकानों
के
छप्पर
टूट
गए
हैं।
आंगनवाड़ी
और
ग्राम
पंचायत
भवन
भी
बंदरों
के
उत्पात
से
अछूते
नहीं
हैं।
उन्होंने
बताया
कि
बंदरों
से
बचाव
के
लिए
वन
विभाग
को
पत्र
लिखा
गया
था,
लेकिन
कोई
कार्रवाई
नहीं
हुई।
आवासों
को
भी
काफी
नुकसान
पहुंचाया
तेजगढ़
के
रेंजर
नीरज
पांडे
ने
कहा
कि
बंदरों
को
रहवासी
क्षेत्र
से
हटाना
पंचायत
की
जिम्मेदारी
है,
जबकि
जंगली
क्षेत्र
में
यह
कार्य
वन
विभाग
का
होता
है।
उन्होंने
यह
भी
बताया
कि
बंदरों
ने
रेंज
परिसर
में
बने
आवासों
को
भी
काफी
नुकसान
पहुंचाया
है।
कार्रवाई
की
जाएगी
जनपद
सीईओ
मनीष
बागरी
ने
बताया
कि
बंदरों
को
पकड़ने
के
लिए
मथुरा
और
चित्रकूट
से
विशेषज्ञ
बुलाए
जाते
हैं,
लेकिन
उनके
रेस्क्यू
रेट
बढ़ने
के
कारण
पंचायत
और
वन
विभाग
उन्हें
बुलाने
से
कतरा
रहे
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
इस
समस्या
के
समाधान
के
लिए
वरिष्ठ
अधिकारियों
को
अवगत
कराया
गया
है,
निर्देश
मिलने
पर
कार्रवाई
की
जाएगी।