इंदौर
के
पश्चिम
क्षेत्र
में
सोमवार
को
उत्सव
जैसा
माहौल
था।
चारों
तरफ
भीड़
ही
भीड,
भक्तों
के
लिए
सजे
व्यंजनों
के
स्टाॅल
से
उठती
महक
और
भक्ती
से
भरा
माहौल।
मौका
था
बाबा
रणजीत
की
प्रभातफेरी
का।
रात
ढलते
ही
लोग
बाबा
रणजीत
के
दर्शनों
के
लिए
घरों
से
निकल
पड़े।
उषा
नगर
मेन
रोड
पर
तो
दीपावाली
जैसा
नजरा
था।
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रोशनी
से
लक-दक
मंचों
के
आसपास
भगवा
पताकाएं
लहरा
रही
थी।
आतिशबाजी
से
आसमान
रंगीन
था
अौर
भक्त
जय
बाबा
रणजीत
के
नारे
लगा
रहे
थे।
सोमवार
सुबह
आरती
के
बाद
बाबा
रणजीत
की
प्रभातफेरी
निकली।
इसकी
तैयारी
रविवार
रात
से
ही
ही
गई
थी।
पूरी
सड़क
पर
विशेष
सफाई
की
गई,
क्योकि
भक्त
नंगे
पैर
इस
प्रभातफेेरी
में
शामिल
हुए।
प्रभातफेरी
में
शामिल
लाखों
भक्तों
की
आवभगत
के
लिए
पश्चिम
क्षेत्र
के
रहवासी
संघों
व
अलग-अलग
संगठनों
ने
चाय,
पोहे,
काफी,
बिस्किट,
गाजर
का
हलवा,
खीर
सहित
अन्य
व्यंजनों
के
स्टाॅल
लगाए
थे।
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प्रभातफेरी
चार
किलोमीटर
मार्ग
पर
निकली।
उषा
नगर,
महूनाका,
अन्नपूर्णा
मंदिर,
नरेंद्र
तिवारी
मार्ग
होते
हुए
फिर
मंदिर
तक
सुबह
आठ
बजे
तक
पहुंची।
प्रभातफेरी
में
सबसे
आगे
नासिक
ढोल
दल,नृतक
दल,
हनुमान
और
रामदरबार
की
झांकी
चल
रही
थी।
बाबा
रणजीत
के
रथ
के
अागे
मंदिर
के
मुख्य
पुजारी
और
नेता
पैदल
चल
रहे
थे।
मंदिर
के
भक्त
मंडल
के
सदस्यों
के
अलावा
पुलिस
नेे
भी
व्यवस्था
संभाल
रखी
थी।
बाबा
के
रथ
से
भी
आतिशबाजी
हो
रही
थी।
महूनाका
चौराहा
पर
सुबह
सात
बजे
प्रभातफेरी
पहुंची,
तब
तक
उजाला
हो
चुका
था।
कोहरे
और
ठंड के
माहौल
के
बावजूद
भक्तों
का
उत्साह
कम
नहीं
हो
रहा
था।
दर्शन
के
लिए
चौराहे
पर
लगातार
भीड़
बढ़ती
जा
रही
थी।
1985
में
ठेले
पर
निकलती
थी
प्रभातफेरी
रणजीत
हनुमान
की
प्रभातफेरी
वर्ष
1985
में
ठेले
पर
भगवान
की
तस्वीर
रखकर
निकाली
जाती
थी
और
मुठ्ठीभर
भक्त
ही
इसके
लिए
जुटते
थे।
तब
यात्रा
महूनाका
चौराह
पर
निकलती
थी।
धीरे-धीरे
प्रभातफेरी
का
स्वरुप
बदलने
लगा।
वर्ष
2008
में
बग्घी
पर
बाबा
की
प्रतिमा
रखकर
यात्रा
निकाली
गई,
लेकिन
वर्ष
2016
तक
भक्तों
की
संख्या
हजारों
मेें
जुटने
लगी।
इसके
बाद
हर
साल
भक्तों
की
संख्या
मेें
इजाफा
होने
लगा।
पिछले
साल
तीन
लाख
लोगों
से
ज्यादा
की
भीड़
प्रभातफेरी
में
शामिल
हुई
थी।