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दिल्ली2
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पहले
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साल
2023
में
भारत
93वें
नंबर
पर
था।
इससे
पहले
2022
में
देश
85वें
नंबर
पर
था।
ट्रांसपेरेंसी
इंटरनेशनल
ने
11
फरवरी
को
अपनी
180
देशों
की
करप्शन
रिपोर्ट
जारी
की।
भारत
की
रैकिंग
में
गिरावट
आई
है।
पिछले
साल
के
मुताबिक
देश
3
पायदान
गिरकर
96वें
नंबर
पर
आ
गया
है।
इसका
मतलब
है
कि
भारत
में
करप्शन
बढ़ा
है।
साल
2023
में
भारत
93वें
नंबर
पर
था।
इससे
पहले
2022
में
देश
85वें
नंबर
पर
था।
पड़ोसी
देश
चीन
76वें
नंबर
पर
बरकरार
है।
उसकी
रैंकिंग
में
बीते
2
साल
में
बदलाव
नहीं
है।
वहीं,
पाकिस्तान
में
भी
करप्शन
बढ़ा
है।
वो
135वें
नंबर
पर
है।
श्रीलंका
121वें
और
बांग्लादेश
149वें
नंबर
पर
है
लिस्ट
में
पहले
नंबर
पर
डेनमार्क
बना
हुआ
है।
वहां
सबसे
कम
भ्रष्टाचार
है।
फिनलैंड
दूसरे
और
सिंगापुर
तीसरे
नंबर
पर
है।
जबकि
साउथ
सूडान
(180)
सबसे
करप्ट
देश
है।
ट्रांसपेरेंसी
इंटरनेशनल
की
जारी
रैंकिंग
में
1
नंबर
पर
रहने
वाले
देश
में
कम
भ्रष्टाचार
है
और
180वे
नंबर
पर
रहने
वाले
देश
में
सबसे
ज्यादा
भ्रष्टाचार
है।

साल
2012
से
लेकर
2024
तक
की
भारत
की
रैंकिंग।
भारत
का
स्कोर
38
निर्धारित,
2023
में
39
था
आज
जारी
की
गई
2024
की
रिपोर्ट
में
भारत
का
स्कोर
38
निर्धारित
किया
गया
है।
2023
में
यह
स्कोर
39
और
2022
में
40
था।
सिर्फ
एक
नंबर
के
कम
होने
से
भारत
3
पायदान
खिसक
गया
है।
वैश्विक
औसत
सालों
से
43
बना
हुआ
है।
जबकि
दो-तिहाई
से
अधिक
देशों
ने
50
से
नीचे
स्कोर
किया
है।
इस
इंडेक्स
के
लिए
ट्रांसपेरेंसी
इंटरनेशनल
के
एक्सपर्ट्स
हर
देश
के
पब्लिक
सेक्टर
में
भ्रष्टाचार
का
आकलन
करते
हैं।
इसके
बाद
हर
देश
को
0
से
100
के
बीच
स्कोर
दिया
जाता
है।
जिस
देश
में
जितना
ज्यादा
भ्रष्टाचार,
उसे
उतना
कम
स्कोर
दिया
जाता
है।
इसी
आधार
पर
इंडेक्स
में
रैंकिंग
निर्धारित
होती
है।
PM
मोदी
के
कार्यकाल
में
कम
नहीं
हुआ
करप्शन
2005
से
लेकर
2013
तक
UPA
की
सरकार
और
मौजूदा
NDA
सरकार
की
तुलना
की
जाए
तो
स्थिति
में
कोई
खास
सुधार
नहीं
हुआ
है।
2006-07
में
करप्शन
के
मामले
में
जरूर
रैंकिंग
सुधरी।
उस
दौरान
भारत
70वें
और
72वें
स्थान
पर
था।
UPA
शासन
के
अंतिम
समय
में
यानी
2013
में
भारत
94वें
स्थान
पर
लुढ़क
गया।
वहीं
NDA
के
कार्यकाल
में
सबसे
अच्छी
स्थिति
2015
में
रही,
तब
भारत
वर्ल्ड
रैंकिंग
में
76वें
स्थान
पर
पहुंचा
था।

2
पॉइंट्स
में
समझिए,
एशिया
के
देशों
में
भ्रष्टाचार
की
स्थिति
-
एशिया
के
देशों
में
पिछले
5
सालों
में
CPI
स्कोर
45
के
आसपास
बना
हुआ
है।
इस
साल
44
है।
बहुत
कम
देशों
में
ही
भ्रष्टाचार
में
कमी
आई
है।
एशिया
के
अधिकतर
देशों
में
धीरे-धीरे
भ्रष्टाचार
बढ़ा
है। -
भारत
समेत
एशिया
के
71
देशों
का
स्कोर
यहां
के
औसत
स्कोर
(45)
से
नीचे
है।
रिपोर्ट
में
दावा
किया
गया
है
कि
इन
देशों
के
नेताओं
ने
भ्रष्टाचार
के
मुद्दों
को
गंभीरता
से
नहीं
लिया
है।
साथ
ही
इन
देशों
में
स्वतंत्र
प्रेस
पर
भी
हमले
हुए
हैं।
इससे
भ्रष्टाचार
के
मामलों
में
बढ़ोतरी
हुई
है।
भ्रष्टाचार
जलवायु
कार्रवाई
के
लिए
एक
बड़ा
खतरा
सीपीआई
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
भ्रष्टाचार
दुनिया
के
हर
हिस्से
में
एक
खतरनाक
समस्या
है।
रिसर्च
में
सामने
आया
है
कि
भ्रष्टाचार
क्लाइमेट
एक्शन
के
लिए
बड़ा
खतरा
है।
यह
इमिशन
को
कम
करने
और
ग्लोबल
हीटिंग
के
ना
टाले
जा
सकने
वाले
असर
की
प्रोग्रेस
में
समस्या
खड़ी
करते
हैं।
साल
2012
से
32
देशों
ने
अपने
भ्रष्टाचार
के
स्तर
को
काफी
कम
किया
है।
लेकिन
अभी
भी
बहुत
काम
बाकी
है।
क्योंकि
148
देश
इसी
समय
के
दौरान
अपनी
पोजिशन
पर
स्थिर
रहे
हैं
या
उनकी
हालत
और
खराब
हो
गई
है।
दुनिया
भर
में
बड़ी
संख्या
में
लोग
ग्लोबल
हीटिंग
के
गंभीर
रिजल्ट
से
पीड़ित
हैं।
क्योंकि
देशों
को
ग्रीनहाउस
गैस
इमिशन
में
कटौती
करने
और
कमजोर
आबादी
की
रक्षा
के
लिए
रखा
फंड
चोरी
हो
जाता
है
या
उसका
गलत
उपयोग
किया
जाता
है।
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हंगर
इंडेक्स
(GHI)
की
2024
की
लिस्ट
में
इस
साल
भारत
127
देशों
में
105वें
नंबर
पर
है।
पिछले
साल
125
देशों
में
111वें
स्थान
पर
था,
और
2022
में
121
देशों
में
से
107वें
स्थान
पर
था।यानी
इस
साल
हालत
मामूली
ठीक
हैं।
लेकिन
अभी
भी
हंगर
इंडेक्स
का
स्कोर
27.3
है
जो
गंभीर
बना
हुआ
है।
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