CJI ने बार एसोसिएशन को कहा ‘ओल्ड बॉयज क्लब’, कानून के पेशे में महिलाओं को लेकर कही ये बात

CJI ने बार एसोसिएशन को कहा ‘ओल्ड बॉयज क्लब’, कानून के पेशे में महिलाओं को लेकर कही ये बात
CJI ने बार एसोसिएशन को कहा ‘ओल्ड बॉयज क्लब’, कानून के पेशे में महिलाओं को लेकर कही ये बात


मुख्य
न्यायाधीश
डीवाई
चंद्रचूड़

भारत
के
मुख्य
न्यायाधीश
डीवाई
चंद्रचूड़
अपने
आदेशों
के
अलावा,
अपनी
टिप्पणियों
के
लिए
भी
सुर्खियों
में
बने
रहते
हैं.
एक
बार
फिर
से
उनके
कहे
शब्द
खबरों
की
हेडलाइन
बन
गए
हैं.
देश
में
एक
तरफ
वकालत
के
प्रोफेशन
में
महिलाओं
की
बढ़ती
संख्या
और
बार
एसोसिएशन
में
उनके
रजिस्ट्रेशन
की
संख्या
बढ़
रही
है,
लेकिन
बार
एसोसिएशन
और
बार
काउंसिल
में
होने
वाले
चुनावों
में
महिलाओं
की
जीत
की
संख्या
पर
चीफ
जस्टिस
ने
चिंता
जाहिर
की
है.

नागपुर
में
हाई
कोर्ट
बार
एसोसिएशन
के
शताब्दी
वर्ष
समारोह
में
चीफ
जस्टिस
ने
कहा
कि
पुरुष
पदाधिकारियों
की
जिम्मेदारी
लेनी
चाहिए
की
महिला
वकीलों
को
भी
उचित
मौका
मिल
सके.
साथ
ही
उन्होंने
महिला
अधिवक्ताओं
से
अपील
करते
हुए
कहा
कि
वह
बार
के
चुनावों
में
बढ़-चढ़कर
हिस्सा
लें.
सीजेआई
ने
कहा
कि
बार
एसोसिएशन
के
चुनाव
लड़ने
में
महिला
वकीलों
के
लिए
औपचारिक
बाधाओं
को
दूर
करना
ही
काफी
नहीं
है.



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‘ओल्ड
बॉयज
क्लब’

सीजेआई
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
महिलाओं
की
भागीदारी
का
जिक्र
करते
हुए
कहा
कि
सुप्रीम
कोर्ट
बार
एसोसिएशन
में
सिर्फ
एक
ही
महिला
सदस्य
है.
उन्होंने
कोर्ट
में
इस
असमानता
के
लिए
‘ओल्ड
बॉयज
क्लब’
मानसिकता
को
जिम्मेदार
ठहराया.
दरअसल,
ये
मानसिकता
अक्सर
महिलाओं
को
चुनाव
लड़ने
या
किसी
भी
जिम्मेदारी
वाले
पद
पर
जाने
के
लिए
डिमोटिवेट
करती
है.

उन्होंने
कहा
कि
चुनाव
लड़ने
के
लिए
अच्छी
नेटवर्किंग,
प्रचार
और
वोट
को
मांगने
की
जरूरत
होती
है.
लेकिन
जब
उन्हें
हिस्सा
लेने
के
लिए
ही
प्रोत्साहित
नहीं
किया
जाता
तो
उनके
चुनाव
में
जीतने
की
बात
तो
बहुत
दूर
की
हो
गई.


महिला
वकीलों
की
बढ़ी
संख्या

कानून
के
पेशे
में
महिलाओं
की
बढ़ती
संख्या
का
भी
सीजेआई
ने
जिक्र
किया.
उन्होने
कहा
कि
अगर
पिछले
कुछ
दशकों
में
अगर
प्रैक्टिस
करने
वाली
महिला
वकीलों
की
संख्या
पर
नज़र
डालें
तो
उसमें
काफी
बढ़ोतरी
हुई
है.
सीजेआई
ने
आगे
कहा
कि
एक
समय
ऐसा
था
जब
वकील
हाईकोर्ट
और
सुप्रीम
कोर्ट
में
आते
थे
और
केवल
पुरुषों
के
हुजूम
को
देखते
थे.
लेकिन
अब
ये
परिस्थिति
बदल
गई
है.