
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मंगलवार
को
कहा
कि
‘बदले
हुए
हालातों’
को
देखते
हुए
यमुना
नदी
की
सफाई
जैसी
योजनाओं
का
बेहतर
तरीके
से
क्रियान्वयन
हो
सकता
है.
जस्टिस
बी.आर.
गवई
और
जस्टिस
ऑगस्टीन
जॉर्ज
मसीह
की
बेंच
ने
यह
टिप्पणी
ऐसे
समय
में
की
है
जब
हाल
ही
में
संपन्न
हुए
दिल्ली
विधानसभा
चुनावों
में
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
आम
आदमी
पार्टी
को
सत्ता
से
बाहर
कर
दिया
है.
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सुप्रीम
कोर्ट
‘प्रदूषित
नदियों
की
सफाई’
मामले
की
स्वत:
संज्ञान
(suo
motu)
याचिका
पर
सुनवाई
कर
रहा
है,
जिसमें
यमुना
नदी
के
प्रदूषण
का
मुद्दा
उठाया
गया
है.
सुनवाई
के
दौरान
जस्टिस
गवई
ने
कहा,
‘मुझे
लगता
है
कि
अब
बदले
हुए
हालात
में
योजनाओं
का
बेहतर
क्रियान्वयन
हो
सकता
है.’
कमेटी
के
जरिए
NGT
कर
रहा
था
निगरानी
शीर्ष
अदालत
की
सहायता
कर
रहीं
वरिष्ठ
अधिवक्ता
मीनाक्षी
अरोड़ा
ने
बताया
कि
पहले
नेशनल
ग्रीन
ट्रिब्यूनल
(NGT)
यमुना
नदी
की
सफाई
को
लेकर
गठित
एक
कमेटी
के
जरिए
इस
मुद्दे
की
निगरानी
कर
रहा
था.
हालांकि,
जनवरी
2021
में
जब
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
मामले
का
स्वत:
संज्ञान
लिया,
तो
NGT
ने
अपनी
कमेटी
को
भंग
कर
दिया.
प्रदूषण
से
संबंधित
अन्य
याचिकाएं
भी
SC
में
लंबित
बेंच
ने
कहा
कि
ऐसा
प्रतीत
होता
है
कि
यमुना
नदी
के
प्रदूषण
से
संबंधित
अन्य
याचिकाएं
भी
सुप्रीम
कोर्ट
की
एक
अन्य
पीठ
के
समक्ष
लंबित
हैं.
केंद्र
सरकार
की
ओर
से
पेश
हुईं
एडिशनल
सॉलिसिटर
जनरल
ऐश्वर्या
भाटी
से
अदालत
ने
कहा
कि
वह
यह
पता
करें
कि
क्या
इसी
विषय
से
संबंधित
अन्य
याचिकाएं
भी
लंबित
हैं.
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सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
मामले
की
अगली
सुनवाई
होली
की
छुट्टी
के
बाद
तय
की
है.
मीनाक्षी
अरोड़ा
ने
कहा
कि
NGT
ने
समय-समय
पर
कई
आदेश
पारित
किए
थे
और
यमुना
नदी
से
संबंधित
विभिन्न
अनुपालनों
(compliances)
को
सुनिश्चित
करने
के
लिए
निर्देश
जारी
किए
थे.