जिले
के
आदिवासी
अंचलों
में
आज
भी
अंधविश्वास
लोगों
की
जान
का
दुश्मन
बना
हुआ
है।
सर्पदंश
जैसी
जानलेवा
घटनाओं
में
त्वरित
इलाज
की
जगह
झाड़-फूंक
पर
भरोसा
करना
अब
तक
कई
जानें
लील
चुका
है।
ऐसा
ही
एक
दर्दनाक
मामला
अमरवाड़ा
क्षेत्र
के
सकरवाड़ा
बस्ती
से
सामने
आया
है,
जहां
एक
महिला
की
सांप
के
काटने
के
बाद
झाड़-फूंक
के
चक्कर
में
मौत
हो
गई।
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जानकारी
के
अनुसार,
लता
वर्मा
(30),
पति
रामकुमार
वर्मा,
निवासी
सकरवाड़ा,
गुरुवार
की
रात
घर
के
आंगन
में
सो
रही
थी।
देर
रात
करीब
2
बजे
उसे
दाहिने
हाथ
की
उंगली
में
सांप
ने
काट
लिया।
लता
की
चीख-पुकार
सुनकर
परिजन
जागे
और
जब
उसने
सांप
के
डसने
की
बात
बताई
तो
परिजनों
ने
उसे
अस्पताल
ले
जाने
की
बजाय
झाड़-फूंक
कराने
का
रास्ता
चुना।
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ये
मांग
परिजन
लता
को
तुरंत
पास
के
हथोड़ा
गांव
ले
गए,
जहां
एक
ओझा
ने
करीब
एक
घंटे
तक
झाड़-फूंक
की।
जब
महिला
की
हालत
में
कोई
सुधार
नहीं
हुआ
तो
उसे
अमरवाड़ा
अस्पताल
पहुंचाया
गया।
डॉक्टरों
ने
हालत
गंभीर
देख
उसे
जिला
अस्पताल
रेफर
कर
दिया,
लेकिन
इलाज
के
दौरान
उसकी
मौत
हो
गई।
पुलिस
ने
मर्ग
कायम
कर
मामले
की
जांच
शुरू
कर
दी
है।
शव
का
पोस्टमार्टम
कर
परिजनों
को
सौंप
दिया
गया।
यह
घटना
फिर
एक
बार
चेतावनी
देती
है
कि
अंधविश्वास
के
चलते
की
गई
थोड़ी
सी
देरी
भी
जानलेवा
साबित
हो
सकती
है।
स्वास्थ्य
विशेषज्ञ
लगातार
अपील
कर
रहे
हैं
कि
सर्पदंश
जैसे
मामलों
में
प्राथमिक
उपचार
और
तत्काल
अस्पताल
पहुंचाना
ही
एकमात्र
उपाय
है।