ग्यारहवें
अंतरराष्ट्रीय
योग
दिवस
के
अवसर
पर
ओंकारेश्वर
स्थित
एकात्म
धाम
में
ऐतिहासिक
आयोजन
हुआ।
पहली
बार
108
फीट
ऊंची
‘एकात्मता
की
प्रतिमा’
(स्टैचू
ऑफ़
वननेस)
के
सान्निध्य
में
सामूहिक
योग
का
आयोजन
किया
गया।
इस
आयोजन
में
ओंकारेश्वर
के
स्थानीय
नागरिकों
के
साथ
केंद्रीय
औद्योगिक
सुरक्षा
बल
(सीआईएसएफ),
बड़वाह
बटालियन
के
जवानों
ने
भी
भाग
लिया।
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इस
वर्ष
की
थीम:
‘योगा
फॉर
वन
अर्थ,
वन
हेल्थ’
प्रत्येक
वर्ष
अंतरराष्ट्रीय
योग
दिवस
एक
विशिष्ट
थीम
के
साथ
मनाया
जाता
है।
वर्ष
2025
की
थीम
‘योगा
फॉर
वन
अर्थ,
वन
हेल्थ’
है,
जिसका
उद्देश्य
व्यक्तिगत
स्वास्थ्य
के
साथ-साथ
सामाजिक
और
वैश्विक
स्वास्थ्य
पर
भी
ध्यान
केंद्रित
करना
है।
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आचार्य
शंकर
के
योग
दर्शन
की
दिव्य
अनुभूति
आचार्य
शंकर
ने
योग
और
वेदांत
के
समन्वय
को
अपने
भाष्यों
और
ग्रंथों
में
विस्तारपूर्वक
प्रस्तुत
किया
है।
उन्होंने
योग
को
उस
माध्यम
के
रूप
में
देखा
जो
व्यक्ति
को
आत्मा
और
ब्रह्म
की
एकता
का
अनुभव
कराता
है।
‘योग
तारावली’
जैसे
ग्रंथों
में
उन्होंने
योग
को
आत्म-साक्षात्कार
का
साधन
बताया।
यह
भी
पढ़ें: चोरों
ने
फिर
चटकाए
दो
घरों
के
ताले,
नौ
लाख
से
अधिक
की
चोरी,
जांच
में
जुटी
पुलिस
ऋषियों
की
परंपरा
में
योग
को
परिभाषित
किया
गया
है
–
‘युज्यते
एतद्
इति
योगः’,
अर्थात
जो
जोड़ता
है
वही
योग
है।
यह
भावना
‘वसुधैव
कुटुम्बकम्’
–
समस्त
विश्व
को
एक
परिवार
मानने
की
भावना
का
विस्तार
है,
जिसे
एकात्म
धाम
जन-जन
तक
पहुंचाने
का
संकल्प
लेकर
कार्य
कर
रहा
है।
अद्वैत
दृष्टिकोण
से
योग
की
व्याख्या
आचार्य
शंकर
ने
पतंजलि
के
अष्टांग
योग
को
अद्वैत
वेदांत
के
दृष्टिकोण
से
व्याख्यायित
करते
हुए
योग
निद्रा
को
निर्विकल्प
समाधि
से
जोड़ा।
यह
वह
अवस्था
है
जहाँ
मन
की
सभी
गतिविधियाँ
शांत
होकर
सर्वोच्च
आत्मिक
स्थिति
में
पहुंच
जाती
हैं।
विशिष्ट
अतिथियों
और
योग
प्रेमियों
की
भागीदारी
कार्यक्रम
में
मछुआरा
कल्याण
बोर्ड
के
अध्यक्ष
श्री
सीताराम
बाथम,
आचार्य
शंकर
न्यास
के
सदस्य,
सीआईएसएफ
अधिकारी
और
बड़ी
संख्या
में
योग
प्रेमियों
ने
भाग
लिया।
आयोजन
का
उद्देश्य
न
केवल
योग
का
अभ्यास
करना
था,
बल्कि
योग
के
माध्यम
से
एकात्मता,
अनुशासन
और
सार्वभौमिक
भाईचारे
का
संदेश
देना
भी
था।