मध्यप्रदेश
हाईकोर्ट
ने
कुटीर
एवं
ग्राम
उद्योग
विभाग
में
सहायक
संचालक
पदों
पर
की
जा
रही
भर्ती
को
याचिका
के
अंतिम
निर्णय
के
अधीन
कर
दिया
है।
यह
भर्ती
मध्यप्रदेश
लोक
सेवा
आयोग
(एमपी
पीएससी)
द्वारा
की
जा
रही
है।
याचिका
के
माध्यम
से
एमपी
पीएससी
द्वारा
जारी
चयन
सूची
को
चुनौती
दी
गई
है।
न्यायमूर्ति
एम.एस.
भट्टी
की
एकलपीठ
ने
एमपी
पीएससी,
कुटीर
एवं
ग्राम
उद्योग
विभाग
के
प्रमुख
सचिव
सहित
अन्य
प्रतिवादियों
को
नोटिस
जारी
करते
हुए
जवाब
प्रस्तुत
करने
के
निर्देश
दिए
हैं।
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जबलपुर
निवासी
याचिकाकर्ता
रवि
मौर्य
की
ओर
से
वरिष्ठ
अधिवक्ता
रामेश्वर
सिंह
ठाकुर
व
हितेंद्र
गोल्हानी
ने
पक्ष
रखा।
उन्होंने
दलील
दी
कि
नियमानुसार
बीई
(BE)
और
बीटेक
(B.Tech)
डिग्रीधारी
अभ्यर्थी
इन
पदों
के
लिए
पात्र
नहीं
हैं,
इसके
बावजूद
आयोग
ने
उन्हें
चयन
सूची
में
शामिल
कर
दिया
है।
उन्होंने
बताया
कि
अगस्त
2023
में
एमपी
पीएससी
द्वारा
सहायक
संचालक
(कुटीर
एवं
ग्रामोद्योग
विभाग)
पदों
पर
भर्ती
के
लिए
विज्ञापन
जारी
किया
गया
था।
इसके
लिए
पात्रता
निर्धारित
की
गई
थी
कि
अभ्यर्थी
किसी
मान्यता
प्राप्त
विश्वविद्यालय
से
कला,
विज्ञान
या
वाणिज्य
में
स्नातक
हो
और
सहकारिता
क्षेत्र
में
दो
वर्षों
का
अनुभव
रखता
हो।
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ये
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पढ़ें: अमर
उजाला
संवाद
इस
बार
मध्य
प्रदेश
में,
कार्यक्रम
में
शामिल
होने
के
लिए
रजिस्टर
करें
इसके
बावजूद
आयोग
ने
4
जून
2025
को
जारी
चयन
सूची
में
बीई
और
बीटेक
डिग्रीधारियों
को
भी
चयनित
कर
लिया।
जबकि
बीई/बीटेक
डिग्रीधारियों
के
लिए
सहायक
संचालक
(तकनीकी)
के
पद
अलग
से
मौजूद
हैं,
जिसके
लिए
आयोग
द्वारा
अलग
से
विज्ञापन
जारी
किया
गया
था।
उस
पद
के
लिए
केवल
तकनीकी
डिग्रीधारकों
से
ही
आवेदन
आमंत्रित
किए
गए
थे
और
कला,
विज्ञान
या
वाणिज्य
के
स्नातकों
को
उसमें
पात्र
नहीं
माना
गया
था।
न्यायालय
ने
मांगा
जवाब
सुनवाई
के
उपरांत
न्यायालय
ने
यथास्थिति
बनाए
रखते
हुए
भर्ती
प्रक्रिया
को
याचिका
के
अंतिम
निर्णय
के
अधीन
रखा
है।
साथ
ही
सभी
प्रतिवादियों
को
नोटिस
जारी
कर
अपना
जवाब
प्रस्तुत
करने
के
निर्देश
दिए
हैं।