Amar
Ujala
Samwad:
‘अमर
उजाला
संवाद’
का
कारवां
इस
बार
मध्य
प्रदेश
की
राजधानी
भोपाल
पहुंच
रहा
है।
26
जून
को
होने
वाले
इस
संवाद
में
अलग-अलग
क्षेत्रों
की
हस्तियां
शामिल
होंगी।
भारत
के
पूर्व
क्रिकेटर
मुरली
कार्तिक
भी
इस
कार्यक्रम
में
मौजूद
रहेंगे।
साल
2000
से
2007
तक
वह
भारत
के
अहम
स्पिनर
रह
चुके
हैं।
ऑस्ट्रेलिया
के
खिलाफ
वह
हमेशा
घातक
साबित
हुए।
उनका
अंतरराष्ट्रीय
करियर
2007
में
समाप्त
हो
गया
था।
हालांकि,
इसके
बाद
उन्होंने
बतौर
कमेंटेटर
डेब्यू
किया
और
उसमें
सुपर
हिट
रहे।
आइए
उनके
बारे
में
जानते
हैं…
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मुरली
कार्तिक
ने
भारत
के
लिए
साल
2000
में
डेब्यू
किया
था।
उनका
पहला
दक्षिण
अफ्रीका
के
खिलाफ
वानखेड़े
में
एक
टेस्ट
मैच
रहा
था।
इसके
बाद
उन्होंने
2002
में
वनडे
डेब्यू
किया।
हालांकि,
वह
एक
ऐसे
में
भारतीय
टीम
का
हिस्सा
बने
थे,
जब
अनिल
कुंबले
और
हरभजन
सिंह
अपने
चरम
पर
थे।
ऐसे
में
उन्हें
जगह
मिलती
रही,
लेकिन
फ्रंटलाइन
स्पिनर
के
तौर
पर
कम
ही
मौके
मिले।
हालांकि,
जिन
मैचों
में
उन्हें
मौका
मिला,
उन्होंने
कमाल
का
प्रदर्शन
किया।
वह
टीम
में
आते
रहे,
लेकिन
प्लेइंग-11
में
जगह
नहीं
मिली।
मुरली
ने
भारत
के
लिए
आठ
टेस्ट,
37
वनडे
और
एक
टी20
मैच
खेले।
टेस्ट
में
उन्होंने
24
विकेट,
वनडे
में
37
विकेट
लिए।
टी20
में
वह
कोई
विकेट
नहीं
ले
पाए।
मुरली
ने
गांगुली
की
कप्तानी
में
करियर
की
शुरुआत
की
थी।
इसके
बाद
वह
राहुल
द्रविड़
की
कप्तानी
में
भी
खेले
और
महेंद्र
सिंह
धोनी
की
कप्तानी
में
करियर
का
अंत
किया।
मुरली
ने
आखिरी
टेस्ट
2004
में
खेला
था,
जबकि
उनका
आखिरी
वनडे
और
टी20
मैच
2007
में
आया।
उन्होंने
2007
में
संन्यास
तो
नहीं
लिया
था,
लेकिन
उन्हें
आगे
मौका
नहीं
मिला।
मुरली
ने
2014
तक
आईपीएल
भी
खेला
और
इसके
56
मैच
में
31
विकेट
लिए।
आईपीएल
में
उनका
सर्वश्रेष्ठ
गेंदबाजी
प्रदर्शन
17
रन
देकर
तीन
विकेट
रहा।
टेस्ट
में
उनका
सर्वश्रेष्ठ
गेंदबाजी
प्रदर्शन
44
रन
देकर
चार
विकेट
और
वनडे
में
27
रन
देकर
छह
विकेट
है।
लक्ष्मण
ने
2014
में
मुरली
के
संन्यास
के
बाद
ईएसपीएन
क्रिकइन्फो
के
लिए
एक
लेख
लिखा
था।
जिसमें
उन्होंने
मुरली
की
जमकर
तारीफ
की
थी।
उसमें
उन्होंने
मुरली
को
खास
दोस्त
बताया
था।
लक्ष्मण
ने
अपने
लेख
में
बताया
कि
उन्होंने
2000
ईरानी
कप
में
मुंबई
के
खिलाफ
सर्वश्रेष्ठ
गेंदबाजी
की
थी।
तब
उन्होंने
दूसरी
पारी
में
नौ
विकेट
लेकर
रेस्ट
ऑफ
इंडिया
को
मैच
जिताया
था।
2007
में
ऑस्ट्रेलिया
के
भारत
दौरे
पर
कार्तिक
ने
बेहतरीन
गेंदबाजी
की
थी।
तब
उन्होंने
वानखेड़े
में
ऑस्ट्रेलिया
के
खिलाफ
चौथे
वनडे
में
27
रन
देकर
छह
विकेट
झटके
थे
और
भारत
को
जीतने
में
मदद
की
थी।
इसके
लिए
उन्हें
प्लेयर
ऑफ
द
मैच
अवॉर्ड
दिया
गया
था।
साल
2004
में
भारत
और
ऑस्ट्रेलिया
के
बीच
मुंबई
में
एक
लो
स्कोरिंग
टेस्ट
मैच
हुआ।
भारत
ने
इस
मैच
की
पहली
पारी
में
104
और
दूसरी
पारी
में
205
रन
बनाए।
ऑस्ट्रेलिया
को
जीत
के
लिए
107
रन
का
लक्ष्य
मिला।
वानखेड़े
की
धीमी
पिच
पर
स्पिनर
कहर
बरपा
रहे
थे।
भारत
को
अनिल
कुंबले-हरभजन
सिंह
की
सुपरस्टार
जोड़ी
से
बड़ी
उम्मीद
थी,
लेकिन
सबसे
ज्यादा
विकेट
किसी
और
गेंदबाज
ने
लिए।
मुरली
ने
भारत
को
वह
मैच
जिताया,
जो
तकरीबन
विरोधी
की
झोली
में
जा
चुका
था।
इस
स्पिनर
ने
पहली
पारी
में
चार
और
दूसरी
पारी
में
तीन
विकेट
लिए।
उन्हें
इसके
लिए
प्लेयर
ऑफ
द
मैच
भी
चुना
गया,
लेकिन
यह
मैच
उसके
करियर
का
सेकंड
लास्ट
टेस्ट
साबित
हुआ।
इस
टेस्ट
के
बाद
उन्हें
सिर्फ
एक
और
टेस्ट
खेलने
को
मिला।
लक्ष्मण
ने
बताया
कि
इसके
बाद
वह
ऑस्ट्रेलिया
में
कॉमनवेल्थ
बैंक
सीरीज
में
भी
खुद
के
चुने
जाने
की
उम्मीद
कर
रहे
थे,
लेकिन
ऐसा
नहीं
हुआ।
इससे
वह
टूट
गए
थे।
मुरली
ऊपर
से
भले
ही
बोल्ड
और
अग्रेसिव
दिखते
हों,
लेकिन
अंदर
से
आप
उतने
ही
कोमल
स्वभाव
के
हैं।
उन्होंने
अपने
करियर
में
कई
कठिन
चुनौतियों
का
बड़ी
सरलता
से
हल
किया।
लक्ष्मण
ने
अपने
लेख
में
यह
भी
लिखा-
कार्तिक
एक
दार्शनिक
व्यक्ति
हैं।
उन्होंने
अपने
अनुभव
से
सीखा
है
कि
जो
कुछ
भी
होता
है,
उसके
पीछे
कोई
न
कोई
कारण
होता
है।
उन्हें
अपने
प्रदर्शन
पर
बहुत
गर्व
था,
चाहे
वह
किसी
के
लिए
भी
खेल
रहे
हों,
या
फिर
वह
कोई
प्रतिस्पर्धी
मैच
हो
या
फिर
सिर्फ
नेट
सेशन।
उन्होंने
बल्लेबाज
को
कभी
भी
पूरी
आजादी
से
खेलने
नहीं
दिया।
लक्ष्मण
ने
कहा,
‘जब
कुंबले
रिटायर
हुए
तो
कार्तिक
को
और
मौके
दिए
जा
सकते
थे।
वह
एक
ऐसे
गेंदबाज
थे
जिन्हें
300
से
ज्यादा
टेस्ट
विकेट
मिलते।
भारतीय
क्रिकेट
ने
एक
मैच-विजेता
खिलाड़ी
खो
दिया।’