MP Samwad 2025: सीएम मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में होगा ‘संवाद’; मध्य प्रदेश के विकास का रोडमैप करेंगे पेश

MP Samwad 2025: सीएम मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में होगा ‘संवाद’; मध्य प्रदेश के विकास का रोडमैप करेंगे पेश

विकास
से
जुड़ी
नीतियां,
अर्थव्यवस्था,
सिनेमा,
खेल
और
अध्यात्म
जैसे
विषयों
पर
सारगर्भित
चर्चा
के
लिए
पहचाने
जाने
वाले
‘अमर
उजाला
संवाद’
का
मंच
पहली
बार
मध्य
प्रदेश
में
सजने
जा
रहा
है।
26
जून
को
राजधानी
भोपाल
के
ताज
लेकफ्रंट
होटल
में
यह
‘संवाद’
होगा,
जहां
अलग-अलग
क्षेत्रों
की
हस्तियां
जुटेंगी
और
मध्य
प्रदेश
के
विकास
समेत
विभिन्न
मुद्दों
पर
चर्चा
करेंगी।
कार्यक्रम
मुख्यमंत्री
मोहन
यादव
के
मुख्य
आतिथ्य
में
होगा।
वे
मध्य
प्रदेश
के
विकास
से
जुड़े
मुद्दों
पर
मुख्य
उद्बोधन
देंगे।
13
दिसंबर
2023
को
मुख्यमंत्री
के
रूप
में
शपथ
लेने
के
बाद
से
वे
मध्य
प्रदेश
को
विकसित
राज्य
बनाने
की
दिशा
में
प्रयासरत
हैं।


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Ujala
Samwad: अमर
उजाला
संवाद
पहली
बार
मध्य
प्रदेश
में,
26
जून
को
भोपाल
में
जुटेंगी
हस्तियां


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मुख्यमंत्री
मोहन
यादव
का
संक्षिप्त
परिचय

मोहन
यादव
का
जन्म
25
मार्च
1965
को
उज्जैन
में
हुआ
था।
उनके
पिता
का
नाम
पूनमचंद
यादव
और
मां
का
नाम
लीलाबाई
यादव
है।
सीमा
यादव
उनकी
धर्मपत्नी
हैं।
मोहन
यादव
ने
एमबीए
किया
है
और
पीएचडी
की
डिग्री
भी
हासिल
की
है।
उनके
परिवार
में
पत्नी
सीमा
यादव
के
अलावा
दो
पुत्र
और
एक
पुत्री
हैं। 

सीएम
के
बारे
में
और
जानिए…

गीता
कालोनी
निवासी
पूनमचंद
यादव
के
घर
जन्मे
मोहन
यादव
का
बचपन
आर्थिक
तंगी
में
गुजरा।
पिता
पूनमचंद
मिल
में
नौकरी
करते
थे।
कमाई
ज्यादा
नहीं
होती
थी।
परिवार
का
गुजारा
करने
के
लिए
पूनमचंद
अपने
भाई
शंकर
लाल
के
साथ
मालीपुर
इलाके
में
चाय-पोहे
भजिए
की
दुकान
भी
चलाते
थे।
मोहन
यहां
कभी-कभी
पिता-चाचा
की
मदद
करने
आते
थे।
1982
में
जब
मोहन
यादव
ने
छात्रसंघ
का
पहला
चुनाव
जीता,
उस
वक्त
भी
वह
अपनी
चाय-पोहे
की
दुकान
पर
काम
करते
थे।
चाय-पोहे
की
दुकान
ठीक
चलने
लगी
तो
उन्होंने
उसे
बढ़ाकर
एक
रेस्टोरेंट
भी
डाला
था।


शिक्षक
ने
की
पढ़ाई
में
मदद,
उज्जैन
विकास
प्राधिकरण
का
अध्यक्ष
रहते
किया
एमए
और
पीएचडी

परिवार
की
मदद
के
साथ
मोहन
पढ़ाई
पर
भी
पूरा
ध्यान
रखते
थे।
परिवार
की
आर्थिक
हालत
और
मोहन
की
प्रतिभा
को
देखते
हुए सालिगराम
नाम
के
शिक्षक
ने
उन्हें
अपने
साथ
रख
लिया।
उसे
पढ़ाया-लिखाया।
पूरा
खर्च
भी
उठाया।
अभाव
के
बीच
शिक्षक
से
मिली
मदद
के
साथ
मोहन
यादव
ने
पीएचडी
तक
की
शिक्षा
ग्रहण
की।
मोहन
यादव
ने
उज्जैन
विकास
प्राधिकरण
का
अध्यक्ष
रहते
हुए
पॉलिटिकल
साइंस
में
एमए
और
इसके
बाद
पीएचडी
भी
की।
2010
में
उन्हें
पीएचडी
की
उपाधि
मिली।
 


छात्रसंघ
के
सह-सचिव
से
राज्य
के
मुख्यमंत्री
पद
तक
ऐसी
है
राजनीतिक
यात्रा

डॉ.
मोहन
यादव
ने
माधव
विज्ञान
महाविद्यालय
से
छात्र
राजनीति
की
शुरुआत
की।
1982
में
वे
माधव
विज्ञान
महाविद्यालय
छात्रसंघ
के
सह-सचिव
और
1984
में
माधव
विज्ञान
महाविद्यालय
छात्रसंघ
के
अध्यक्ष
रहे
हैं।
1984
में
अखिल
भारतीय
विद्यार्थी
परिषद
उज्जैन
के
नगर
मंत्री
और
1986
में
विभाग
प्रमुख
की
जिम्मेदारी
संभाली।
1988
में
यादव
अखिल
भारतीय
विद्यार्थी
परिषद
मध्यप्रदेश
के
प्रदेश
सहमंत्री
और
राष्ट्रीय
कार्यकारिणी
के
सदस्य
रहे
हैं।
1989-90
में
परिषद
की
प्रदेश
इकाई
के
प्रदेश
मंत्री
और
सन
1991-92
में
परिषद
के
राष्ट्रीय
मंत्री
रह
चुके
हैं।

1993-95
में
राष्ट्रीय
स्वयं
सेवक
संघ,
उज्जैन
नगर
के
सह
खंड
कार्यवाह,
सायं
भाग
नगर
कार्यवाह
और
1996
में
खण्ड
कार्यवाह
और
नगर
कार्यवाह
रहे
हैं।
संघ
में
सक्रियता
की
वजह
से
मोहन
यादव
1997
में
भाजयुमो
प्रदेश
समिति
में
अपनी
जगह
बनाई।
1998
में
उन्हें
पश्चिम
रेलवे
बोर्ड
की
सलाहकार
समिति
के
सदस्य
बनाया
गया।
इसके
बाद
उन्होंने
संगठन
में
रहकर
अलग-अलग
पदों
पर
काम
किया। 

2004-2010
के
बीच
वह
उज्जैन
विकास
प्राधिकरण
के
अध्यक्ष
(राज्यमंत्री
दर्जा)
रहे।
2011-2013
में
मध्यप्रदेश
राज्य
पर्यटन
विकास
निगम,
भोपाल
के
अध्यक्ष
(कैबिनेट
मंत्री
दर्जा)
भी
बने।
भाजपा
की
राज्य
कार्यकारिणी
के
सदस्य
और
सिंहस्थ
मध्य
प्रदेश
की
केंद्रीय
समिति
के
सदस्य
भी
रहे।
मध्य
प्रदेश
विकास
प्राधिकरण
के
प्रमुख,
पश्चिम
रेलवे
बोर्ड
में
सलाहकार
समिति
के
सदस्य
भी
रहे
हैं।
पहली
बार
2013
में
उज्जैन
दक्षिण
विधानसभा
सीट
से
विधायक
बने।
2018
में
दूसरी
बार
इस
सीट
से
जीतने
में
सफल
रहे।
2020
में
भाजपा
सरकार
बनी
तो
मोहन
यादव
मंत्री
बने
और
2023
में
राज्य
के
मुख्यमंत्री
बनाए
गए।


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