देशभर
में
यातायात
व्यवस्था
को
सुगम
बनाने
के
लिए
भारत
सरकार
जहां
सड़कों
का
व्यापक
जाल
बिछा
रही
है,
वहीं
शहडोल
से
उमरिया
तक
का
राष्ट्रीय
राजमार्ग-43
(NH-43)
सरकारी
दावों
को
झूठा
साबित
करता
नजर
आ
रहा
है।
करीब
73
किलोमीटर
लंबे
इस
मार्ग
का
निर्माण
बीते
नौ
वर्षों
से
अधूरा
पड़ा
है।
NH-43
की
हालत
बदहाल,
यहां
धूल
के
गुब्बार
उठ
रहे
हैं,
जिससे
लोगों
को
परेशानियों
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
सबसे
हैरानी
की
बात
यह
है
कि
वर्तमान
में
जिस
हिस्से
का
निर्माण
कार्य
हो
चुका
है,
उसकी
गुणवत्ता
पर
भी
सवाल
उठने
लगे
हैं।
कई
स्थानों
पर
सड़क
की
परतें
उखड़ने
लगी
हैं
और
चारों
ओर
धूल
के
गुब्बार
उड़
रहे
हैं।
इससे
न
केवल
यातायात
बाधित
हो
रहा
है,
बल्कि
क्षेत्रवासियों
के
स्वास्थ्य
पर
भी
बुरा
असर
पड़
रहा
है।
ये
भी
पढ़ें: ‘अमर
उजाला
संवाद’
में
हिस्सा
लेंगे
रवि
किशन;
राजनीति
और
सिनेमा
से
जुड़े
मुद्दों
पर
करेंगे
बात
सरकारी
आदेशों
का
नहीं
दिख
रहा
असर
प्रदेश
के
उपमुख्यमंत्री
राजेंद्र
शुक्ला
ने
अधिकारियों
को
हाइवे
निर्माण
कार्य
शीघ्र
पूर्ण
करने
के
निर्देश
दिए
थे,
लेकिन
जमीनी
स्तर
पर
इन
आदेशों
का
कोई
प्रभाव
नहीं
दिख
रहा
है।
निर्माण
कार्य
का
जिम्मा
संभाल
रही
तिरुपति
बिल्डकॉन
को
अधिकारियों
द्वारा
अक्टूबर
2025
तक
कार्य
पूरा
करने
के
निर्देश
दिए
गए
हैं।
एमपीआरडीसी
के
संभागीय
अधिकारी
दिनेश
स्वर्णकार
ने
बताया
कि
रेलवे
ओवरब्रिज
समेत
अन्य
कार्य
अंतिम
चरण
में
हैं।
ठेकेदार
से
निरंतर
संपर्क
कर
निर्माण
में
तेजी
लाने
को
कहा
जा
रहा
है।
जनता
की
नाराजगी
स्थानीय
निवासियों
ने
सड़क
की
बदहाली
पर
चिंता
और
नाराजगी
जताई
है।
उनका
कहना
है
कि
यह
मार्ग
न
केवल
यातायात
का
प्रमुख
साधन
है,
बल्कि
क्षेत्र
के
विकास
और
व्यवसाय
के
लिए
भी
अत्यंत
आवश्यक
है।
निर्माण
में
हो
रही
देरी
से
उन्हें
गंभीर
असुविधाएं
हो
रही
हैं।