दमोह
जिले
के
प्राचीन
जगदीश
स्वामी
मंदिर
में
रथ
यात्रा
की
बहुत
पुरानी
परंपरा
है।
यहां
से
153
वर्षों
से
भगवान
जगन्नाथ
स्वामी
की
रथयात्रा
निकाली
जाती
है।
27
जून
को
निकाले
जाने
वाली भगवान
जगन्नाथ
स्वामी
की
रथयात्रा
की
तैयारियां
अंतिम
दौर
में
चल
रही
हैं।
भगवान
के
लिए
रथ
तैयार
किए
जा
रहे
हैं।
जिनमें
रंग-रोगन
के
साथ
साज-सज्जा
का
कार्य
किया
जा
रहा
है।
गौरतलब
है
कि
शहर
में
दो
रथयात्रा
निकाली
जाती
है।
इसमें
पहली
रथयात्रा
पुरैना
तालाब
स्थित
भगवान
जगदीश
स्वामी
मंदिर
से
निकाली
जाती
है।
वहीं
दूसरी
रथयात्रा
हनुमान
गढ़ी
मंदिर
से
निकाली
जाती
है।
इधर
भगवान
जगन्नाथ
15
दिन
के
लिए
बीमार
चल
रहे
हैं।
जिन्हें
खाने
में
दूध,
दलिया,
मूंग
की
दाल
सहित
अन्य
हल्के
भोजन
का
प्रसाद
दिया
जा
रहा
है।
वहीं
समय-समय
पर
वैद्यराज
द्वारा
भगवान
की
नाड़ी
देखकर
औषधि के
रूप
में
काड़ा
भी
दिया
जा
रहा
है।
जगदीश
स्वामी
मंदिर
के
पुजारी
पंडित
नर्मदा
प्रसाद
गर्ग
ने
बताया
कि
15
दिन
बीमार
होने
के
बाद
भगवान
27
जून
को
स्वस्थ
होंगे।
सुबह
से
विद्वान
पंडितों
द्वारा
भगवान
का
अभिषेक
पूजन
होगा।
वहीं
शाम
5
बजे
से
रथ
में
विराजमान
भगवान
भक्तों
को
दर्शन
देंगे।
रथ
यात्रा
मंदिर
से
प्रारंभ
होकर
टॉकीज
तिराहा,
बकौली
चौराहा,
घंटाघर,
बड़ापुल
होकर
पुराना
थाना
पहुंचेगी।
जहां
भगवान
अपने
भक्तों
के
घर
पर
निवास
करेंगे।
वहीं
एक
दिन
पहले
26
जून
को
भंडारा
होगा।
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यादव
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आतिथ्य
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प्रदेश
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विकास
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रोडमैप
पर
करेंगे
चर्चा
153
साल
पुराना
है
जगदीश
स्वामी
मंदिर
पंडित
गर्ग
ने
बताया
कि
जगदीश
स्वामी
मंदिर
153
वर्ष
प्राचीन
है,
जो
जिले
का
सबसे
प्राचीन
मंदिर
है।
सन
1872
में
संत
अजबदास
महाराज
ने
इस
मंदिर
की
नींव
रखी
थी।
मंदिर
बनने
के
बाद
यहां
भगवान
जगन्नाथ
स्वामी
की
स्थापना
कराई
गई
थी।
तभी
से
हर
साल
भगवान
जगन्नाथ
स्वामी
की
रथ
यात्रा
निकाली
जा
रही
है।
इस
साल
भी
यह
यात्रा
उत्साह
से
निकाली
जाएगी।
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में
हिस्सा
लेंगी
अनुप्रिया
पटेल;
सेहतमंद
प्रदेश
और
विकसित
भारत
का
खाका
पेश
करेंगी
शुरुआत
में
बैलगाड़ी
पर
निकाली
थी
यात्रा
मंदिर
के
शुरुआती
दौर
में
कुछ
वर्षों
तक
रथयात्रा
बैलगाड़ी
पर
निकाली
जाती
थी।
इसमें
भगवान
को
विराजमान
कर
शहर
में
भ्रमण
कराया
जाता
था।
पुजारी
ने
बताया
कि
यह
दक्षिणावर्ती
यात्रा
होती
है।
सभी
मंदिरों
की
परिक्रमा
भी
दक्षिणावर्ती
होती
है।
जब
हम
दक्षिण
परिक्रमा
लगाते
हैं
तभी
उसका
हमें
फल
प्राप्त
होता
है।