उज्जैन
में
एक
गांव
में
पुजारी
और
उनके
परिवार
का
सामाजिक
बहिष्कार
कर
दिया
गया
है।
अब
कोई
ब्राह्मण
उनके
घर
पूजा-पाठ
के
लिए
नहीं
जाएगा,
कोई
नाई
उनके
दाढ़ी
या
बाल
नहीं
काटेगा।
कोई
मजदूर
उनके
खेत
या
मकान
पर
काम
नहीं
करेगा।
सफाईकर्मी
उनके
घर
सफाई
नहीं
करेगा,
शादी-ब्याह
जैसे
आयोजनों
में
उन्हें
नहीं
बुलाया
जाएगा,
गांव
का
कोई
भी
व्यक्ति
उनके
साथ
बैठकर
चाय-पानी
नहीं
पीएगा।
गांव
के
स्कूलों
में
पढ़
रहे
उनके
बच्चों
को
भी
निष्कासित
कर
दिया
जाएगा।
इन
आदेशों
का
उल्लंघन
करने
पर
51
हजार
रुपये
का
जुर्माना
लगाया
जाएगा।
यह
मुनादी
हरियाणा
की
किसी
खाप
पंचायत
में
नहीं,
बल्कि
उज्जैन
के
झलारिया
पीर
गांव
में
सुनाई
दी।
सर्व
समाज
की
बैठक
में
लोगों
ने
हाथ
उठाकर
पहले
इस
प्रस्ताव
को
स्वीकृति
दी,
जिसके
बाद
पूर्व
पंचायत
मंत्री
गोकुल
सिंह
देवड़ा
ने
यह
मुनादी
की।
जानकारी
के
अनुसार,
पूरा
मामला
झलारिया
पीर
गांव
में
स्थित
देव
धर्मराज
मंदिर
के
पुजारी
पूनमचंद
चौधरी
और
उनके
परिवार
से
जुड़ा
है,
जो
वर्षों
से
मंदिर
की
पूजा-अर्चना
कर
रहा
है।
मंदिर
से
लगी
लगभग
4
बीघा
जमीन
पर
पुजारी
खेती
कर
अपने
परिवार
का
भरण-पोषण
करते
हैं,
लेकिन
कुछ
ग्रामीण
इस
जमीन
पर
कब्जा
करना
चाहते
हैं।
इसी
बहाने
मंदिर
के
जीर्णोद्धार
के
नाम
पर
चंदा
इकट्ठा
किया
गया
और
मंदिर
को
वहां
से
हटाकर
दूसरी
जगह
स्थानांतरित
करने
की
कोशिश
की
जा
रही
है।
जब
पुजारी
परिवार
ने
इसका
विरोध
किया,
तो
गांव
के
प्रभावशाली
लोगों
ने
14
जुलाई
को
पंचायत
बुलाई
और
उनके
सामाजिक
बहिष्कार
का
फरमान
सुना
दिया।
पुजारी
के
बेटे
मुकेश
चौधरी
ने
बताया
कि
मुनादी
सुनने
के
अगले
दिन
ही
उनके
तीनों
बच्चों
को
स्कूल
से
निकाल
दिया
गया।
स्कूल
के
प्रिंसिपल
ने
स्पष्ट
कहा
कि
आपके
परिवार
का
विवाद
चल
रहा
है,
इसलिए
हम
बच्चों
को
नहीं
पढ़ा
सकते।
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को
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तीसरी
का
छह
घंटे
बाद
मिला
शव
इस
पूरे
मामले
में
पीड़ित
पुजारी
पूनमचंद
चौधरी
ने
उज्जैन
कलेक्टर
को
ज्ञापन
सौंपकर
बताया
है
कि
उनका
परिवार
सामाजिक
बहिष्कार
का
शिकार
हो
रहा
है।
किसी
भी
सामाजिक
कार्यक्रम
में
उन्हें
नहीं
बुलाया
जा
रहा
है,
बच्चों
की
पढ़ाई
बंद
कर
दी
गई
है
और
मजदूर
काम
पर
नहीं
आ
रहे
हैं।
इस
पर
कलेक्टर
ने
जांच
के
निर्देश
दिए
हैं।
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ने
मांगी
दस
हजार
की
रिश्वत,
रिटायर
फौजी
ने
वीडियो
बनाकर
पुलिस
अफसरों
को
दिया,
जांच
शुरू
वीडियो
में
फरमान
सुनाते
दिखे
पूर्व
पंचायत
मंत्री
वीडियो
में
माइक
पर
पूर्व
पंचायत
मंत्री
गोकुल
सिंह
देवड़ा
फरमान
सुनाते
दिखते
हैं।
देवड़ा
ने
कहा
कि
यह
मंदिर
सार्वजनिक
है
और
गांव
के
लोगों
ने
चंदा
इकट्ठा
कर
इसके
जीर्णोद्धार
के
लिए
छह
साल
मेहनत
की
है।
पुजारी
को
कई
बार
समझाने
की
कोशिश
की
गई,
लेकिन
वे
नहीं
माने
और
कोर्ट
चले
गए।
इसके
बाद
उन्हें
14
जुलाई
को
पंचायत
में
बुलाया
गया,
लेकिन
वे
नहीं
आए।
ऐसे
में
सर्व
समाज
की
बैठक
में
उनके
सामाजिक
बहिष्कार
का
फैसला
लिया
गया।