मध्यप्रदेश
का
इंदौर
एक
बार
फिर
स्वच्छता
में
सिरमौर
बना
है।
स्वच्छता
सुपर
लीग
में
भी
इंदौर
ने
पहले
पायदान
हासिल
किया
है।
इस
पुरस्कार
के
हासिल
के
बाद
इंदौर
के
लिए
चुनौतियां
ओर
बढ़
गई
है।
ऐसा
इसलिए
क्योंकि
अब
इंदौर
को
अब
न
सिर्फ
अपने
आपको
साफ-स्वच्छ
बनाए
रखना
है
बल्कि
किसी
एक
अन्य
शहर
को
भी
स्वच्छता
में
आगे
लाना
होगा।
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इंदौर
को
किस
शहर
की
सफाई
व्यवस्था
सुधारने
की
जिम्मेदारी
मिलेगी,
यह
कुछ
दिन
बाद
तय
होगा।
लेकिन
यह
तय
है
कि
जिस
भी
शहर
की
सफाई
व्यवस्था
सुधारने
की
जिम्मेदारी
इंदौर
मिलेगी
शहर
बी
श्रेणी
का
होगा।
अगले
स्वच्छता
सर्वेक्षण
में
इस
शहर
को
मिलने
वाले
अंक
भी
इंदौर
के
खाते
में
जुड़ेंगे।
ऐसी
स्थिति
में
अगली
स्वच्छता
की
परीक्षा
पहले
के
मुकाबले
ज्यादा
कठिन
होगी।
विज्ञापन
हालांकि,
अधिकारियों
का
कहना
है
कि
वे
इसके
लिए
तैयार
हैं।
इंदौर
पहले
भी
कई
शहरों
को
सफाई
व्यवस्था
के
संबंध
में
सुझाव
और
सहयोग
करता
रहा
है,
लेकिन
बदले
नियमों
के
तहत
अब
इसे
मान्यता
मिल
जाएगी।
इंदौर
के
महापौर
पुष्यमित्र
भार्गव
ने
कहा
कि,
आने
वाले
दिनों
मे
इंदौर
नगर
निगम
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
संसदीय
क्षेत्र
वाराणसी
में
उनके
स्वच्छता
के
सपने
को
पूरा
करने
के
लिए
सहयोगी
बनेगा।
इंदौर
और
वाराणसी
नगर
निगम
के
बीच
सॉलिड
वेस्ट
मैनेजमेंट
के
लिए
मिलकर
काम
करेगे।
हम
मिलकर
मंदिरों,
गंगा
घाट
आदि
स्थानों
की
साफ
सफाई
में
इंदौर
का
स्वच्छता
मॉडल
लागू
करेगे।
वहीं,
इंदौर
नगर
निगम
वाराणसी
को
स्वच्छ
बनाने
के
लिए
नगर
निगम
को
प्रशिक्षित
करेगा।
महापौर
भार्गव
ने
बताया
कि
इंदौर
फिर
से
सिरमोर
बना
है।
इस
बार
भारत
सरकार
ने
इंदौर
और
इंदौर
जैसे
शहरों
को
अलग
लीग
में
रखा
था
और
उसके
अलावा
के
शहरों
की
रैंकिंग
की
थी।
इस
लीग
में
हम
देश
के
अन्य
शहरों
से
पहले
भी
सबसे
ऊपर
थे।
इस
लीग
में
आकर
भी
इंदौर
का
परिणाम
सिरमौर
का
है।
देशभर
के
शहरों
के
लिए
स्वच्छता
का
मॉडल
बन
चुका
इंदौर
नंबर
1
की
प्रतियोगिता
से
बहुत
आगे
निकल
चुका
है।
अब
इंदौर
मार्गदर्शक
की
भूमिका
में
है
और
अन्य
शहरों
को
स्वच्छता
का
पाठ
पढ़ाएगा।
सरकार
को
इस
वजह
से
बनानी
पड़ी
भी
सुपर
लीग
दरअसल,
स्वच्छ
सर्वेक्षण
में
वर्ष
2017
से
इंदौर
पहले
स्थान
पर
आ
रहा
था।
इसके
अलावा
सूरत,
नवी
मुंबई
सहित
कुछ
शहर
हैं
जो
लगातार
दूसरे,
तीसरे
स्थान
पर
आ
रहे
थे।
ऐसी
स्थिति
में
देश
के
अन्य
शहर
खुद
को
प्रतियोगिता
में
बहुत
पीछे
पाते
थे।
इन
शहरों
का
मनोबल
बढ़ाने
और
इन्हें
स्वच्छता
के
प्रति
जागरूक
करने
के
लिए
सुपर
लीग
बनाई
गई।
सुपर
लीग
में
उन्हीं
शहरों
को
शामिल
किया
गया
जो
पिछले
वर्षों
में
लगातार
पहले,
दूसरे
या
तीसरे
स्थान
पर
बने
हुए
थे।
सुपर
लीग
में
शामिल
शहरों
को
रैंकिंग
तो
नहीं
दी
जाएगी,
लेकिन
इन
शहरों
के
अंक
जरूर
घोषित
किए
जाएंगे।
केंद्रीय
शहरी
विकास
मंत्री
मनोहर
लाल
खट्टर
भी
कह
चुके
थे
कि
दूसरे
शहरों
को
आगे
लाने
के
लिए
नियमों
में
बदलाव
जरूरी
है।