

प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
और
इंडिया
गठबंधन
के
नेता
लोकसभा
चुनाव
2024
के
लिए
राजनीतिक
पार्टियां
अपना
दमखम
दिखा
रही
हैं
और
सियासी
का
पारा
चढ़ा
हुआ
है.
आज
राजनीतिक
रविवार
है
और
दिल्ली
से
लेकर
मेरठ
तक
हलचल
जोरदार
है.
मुख्यमंत्री
अरविंद
केजरीवाल
की
गिरफ्तारी
के
बाद
आज
दिल्ली
के
रामलीला
मैदान
में
INDIA
की
रैली
होने
जा
रही
है
या
यूं
कहें
कि
विपक्ष
का
शक्ति
प्रदर्शन
होने
जा
रहा
है,
लेकिन
वहीं,
दिल्ली
से
80
किलोमीटर
दूर
मेरठ
में
आज
प्रधानमंत्री
मोदी
की
मेगा
रैली
भी
होने
वाली
है.
इसमें
यूपी
के
सभी
सहयोगी
दल
के
साथ
साथ
हरियाणा
और
यूपी
के
सीएम,
मेरठ
रीजन
के
आस-पास
की
सभी
लोकसभा
सीटों
के
कैंडिडेट
मौजूद
रहेंगे.
खास
बात
ये
है
कि
जाटलैंड
में
खासा
असर
रखने
वाले
RLD
चीफ
जयंत
चौधरी
भी
मोदी
के
मंच
पर
रहेंगे.
पीएम
मोदी
बीजेपी
उम्मीदवार
अरुण
गोविल
के
लिए
वोट
मांगेंगे.
गोविल
ने
प्रसिद्ध
सीरियल
रामायण
में
भगवान
श्रीराम
का
किरदार
निभाया
था.
अब
सवाल
ये
है
कि
क्या
आज
की
दोनों
रैलियों
में
2024
के
रिजल्ट
दिखेगा,
क्या
रामलीला
मैदान
के
मंच
पर
एकजुट
INDIA
चुनावी
मैदान
में
भी
एकजुट
है?
क्या
ब्रांड
मोदी
के
सामने
INDIA
के
28
दल
टिक
पाएंगे
और
400+
के
नारे
को
टक्कर
दे
पाएंगे?
मेरठ
में
पीएम
मोदी
और
दिल्ली
में
विरोधियों
के
शक्ति
प्रदर्शन
से
पहले
राजनीति
गरमाई
हुई
है.
बीजेपी
प्रवक्ता
सुधांशु
त्रिवेदी
ने
कहा
है
कि
भ्रष्टाचार
के
खिलाफ
जिन
पार्टियों
को
चोर
बताकर
सत्ता
में
आए
अरविंद
केजरीवाल
हमसफर
और
हमराज
होकर
साथ
में
रैली
कर
रहे
हैं.
दिल्ली
के
सीएम
जेल
से
सरकार
चला
रहे
हैं.
लालू
1997
में,
शिबू
सोरेन
2006
में
और
2011
में
ए
राजा,
कनिमोझी
जेल
जा
चुके
हैं.
मुलायम
सिंह
पर
2007
में
आय
से
अधिक
का
मुकदमा
दर्ज
हुआ.
इसमें
से
कुछ
भी
2014
के
बाद
का
यानि
मोदी
सरकार
के
समय
का
नहीं
है.
पुराने
गुनाहों
को
छिपाने
के
लिए
ये
सब
राम
पर
सवाल
उठाने
वाले
आज
रामलीला
मैदान
में
प्रदर्शन
करने
जा
रहे
हैं.
ये
राजनीति
में
विश्वसनीयता
के
संकट
का
प्रतीक
है.
उन्होंने
कहा
कि
इसी
रामलीला
मैदान
में
करप्शन
के
खिलाफ
रैली
हुई,
आज
करप्शन
का
कवर
अप
उसी
मैदान
में
हो
रहा
है.
तब
इनके
गुरु
अन्ना
हजारे
थे,
आज
इनके
गुरु
लालू
यादव
हैं.
ये
आज
का
लोकतंत्र
बचाओ
नहीं,
परिवार
बताओ
और
भ्रष्टाचार
छुपाओ
रैली
है.
मकसद
अपने-अपने
करप्शन
को
छुपाना
है.
AAP
की
रैली
में
कौन-कौन?
आम
आदमी
पार्टी
की
रैली
में
कांग्रेस
नेता
सोनिया
गांधी,
राहुल
गांधी,
मल्लिकार्जुन
खरगे,
पंजाब
के
मुख्यमंत्री
व
AAP
नेता
भगवंत
मान,
अरविंद
केजरीवाल
की
पत्नी
सुनीता
केजरीवाल,
जेएमएम
की
नेता
व
हेमंत
सोरेन
की
पत्नी
कल्पना
सोरेन,
शरद
पवार,
अखिलेश
यादव,
उद्धव
ठाकरे,
तेजस्वी
यादव,
टीएमसी
नेता
डेरेक
ओ
ब्रायन,
सीताराम
येचुरी,
डी
राजा,
फारूक
अब्दुल्ला,
महबूबा
मुफ्ती
और
चंपई
सोरेन
शामिल
हो
रहे
हैं.
इस
रैली
का
मुद्दा
केजरीवाल
की
गिरफ्तारी
और
मकसद
विपक्षी
गठबंधन
की
एकजुटता
है.
इंडिया
गठबंधन
के
नेता
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
को
हराने
के
लिए
लगातार
शक्ति
प्रदर्शन
कर
एकजुट
रहने
की
बात
कहते
आए
हैं.
इस
महीने
के
शुरुआत
में
तीन
मार्च
को
पटना
के
गांधी
मैदान
में
‘जन
विश्वास
रैली’
आयोजित
की
गई
थी.
इसके
बाद
मुंबई
में
16
मार्च
को
‘भारत
जोड़ो
न्याय
यात्रा’
का
समापन
हुआ
था
और
आज
यानी
रविवार
को
‘लोकतंत्र
बचाओ’
रैली
है.
इंडिया
गठबंधन
दिल्ली
से
बीजेपी
पर
हमलावर
होना
चाहता
है
और
पीएम
मोदी
यूपी
से
विपक्ष
पर
निशाना
साधने
वाले
हैं.
कहा
जाता
है
कि
दिल्ली
की
सत्ता
का
रास्ता
यूपी
से
ही
होकर
जाता
है
और
यही
वजह
है
कि
पीएम
मोदी
मेरठ
से
पश्चिमी
यूपी
की
27
सीटों
को
एक
साथ
साधेंगे.
रैली
से
पहले
पीएम
मोदी
ने
किया
ट्वीट
पीएम
मोदी
ने
अपनी
रैली
से
पहले
ट्वीट
कर
कहा
है
कि
बीते
10
वर्षों
में
हमारी
सरकार
ने
अपने
कामकाज
से
देशभर
के
मेरे
परिवारजनों
की
आकांक्षाओं
को
नई
उड़ान
दी
है.
इसे
और
गति
प्रदान
करने
के
लिए
देशवासियों
ने
लोकसभा
चुनाव
में
एक
बार
फिर
से
भाजपा-एनडीए
के
साथ
जाने
का
मन
बना
लिया
है.
उत्तर
प्रदेश
के
मेरठ
में
आज
दोपहर
बाद
करीब
3.30
बजे
जनता-जनार्दन
से
आशीर्वाद
प्राप्त
करने
का
सौभाग्य
मिलेगा.
2014
और
2019
के
लोकसभा
चुनावों
से
पहले
भी
पीएम
मोदी
ने
मेरठ
में
रैली
की
थी
और
पश्चिमी
यूपी
का
पूरा
समीकरण
बदल
दिया
था.
2014
में
जब
मायावती,
अखिलेश
और
जयंत
चौधरी
अलग
अलग
चुनाव
लड़े
थे
तो
बीजेपी
कैंडिडेट
4
लाख
से
ज्यादा
वोटों
से
जीते
थे,
वहीं
जब
एकजुट
होकर
तीनों
दल
लड़े
तब
भी
बीजेपी
जीती,
हालांकि
मार्जिन
थोड़ा
कम
हो
गया
था,
तो
ऐसे
में
सवाल
है
कि
क्या
इस
बार
जब
एसपी
और
कांग्रेस
मिलकर
चुनाव
लड़
रहे
हैं
तो
पश्चिमी
यूपी
में
बीजेपी
को
कितना
फायदा
होगा?
मेरठ
लोकसभा
सीट
पर
कितनी
मजबूत
है
बीजेपी?
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
मेरठ
सीट
पर
बीजेपी
को
4,729
वोट
से
जीत
मिली
थी,
जबकि
सपा,
बीएसपी
और
आरएलडी
ने
मिलकर
चुनाव
लड़ा
था
और
हार
का
सामना
करना
पड़ा.
यहां
बीजेपी
की
स्थिति
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
ज्यादा
मजबूत
थी
पार्टी
ने
2.32
लाख
वोट
के
एक
बड़े
अंतर
से
जीत
दर्ज
की
थी.
इस
दौरान
सपा
और
बसपा
ने
राहें
अलग-अलग
थी.
इस
बार
भी
सपा
और
बसपा
अलग-अलग
चुनाव
लड़
रहे
हैं.
वहीं,
आरएलडी
बीजेपी
के
साथ
है,
ऐसे
में
अखिलेश
के
लिए
मुश्किलें
खड़ी
हो
सकती
हैं
और
जमीनी
स्तर
पर
बसपा
की
स्थिति
पहले
से
कमजोर
है.
अगर
पश्चिमी
यूपी
की
बात
करें
तो
यहां
लोकसभा
की
27
सीटें
हैं,
जिसमें
से
पिछले
चुनाव
में
बीजेपी
ने
19
सीटें
जीती
थीं
और
सपा
गठबंधन
के
खाते
में
आठ
सीटें
गई
थीं.
वहीं,
2014
के
चुनाव
में
बीजेपी
को
24
सीटों
पर
जीत
मिली
थी
और
सपा
तीन
सीटें
जीतने
में
कामयाब
हो
गई
थी
और
मायावती
की
पार्टी
का
खाता
भी
नहीं
खुला
था.
मेरठ
लोकसभा
सीट
पर
त्रिकोणीय
मुकाबला
पश्चिमी
यूपी
में
मुसलमान
एक
बड़ा
वोट
बैंक
है.
इसकी
संख्या
करीब
32
फीसदी
है,
जबकि
अनुसूचित
जाति
के
26
फीसदी
और
जाट
वोट
17
फीसदी
है.
यहां
जाट
किंगमेकर
की
भूमिका
अदा
करते
हैं,
जिस
ओर
जाट
वोटों
का
झुकाव
होता
है
उधर
जीत
आसान
मानी
जाती
है.
इस
बार
मेरठ
लोकसभा
सीट
पर
बीजेपी
ने
अरुण
गोविल,
समाजवादी
पार्टी
ने
भानु
प्रताप
सिंह
और
बहुजन
समाज
पार्टी
ने
देवव्रत
त्यागी
को
चुनावी
अखाड़े
में
उतारा
है.
इस
सीट
पर
त्रिकोणीय
मुकाबला
है
और
लड़ाई
दिलचस्प
होने
वाली
है.