ओला-उबर ने सब्सक्रिप्शन बेस्ड सर्विस शुरू की: ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स को अब हर राइड का पूरा पैसा मिलेगा, कंपनी को नहीं देना पड़ेगा कमीशन

ओला-उबर ने सब्सक्रिप्शन बेस्ड सर्विस शुरू की: ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स को अब हर राइड का पूरा पैसा मिलेगा, कंपनी को नहीं देना पड़ेगा कमीशन


नई
दिल्ली
9
घंटे
पहले

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अब
ओला
और
उबर
से
टेक्सी
की
सर्विस
देने
वाले
ऑटो
रिक्शा
ड्राइवर्स
को
अब
हर
राइड
का
पूरा
पैसा
मिलेगा।
इसके
लिए
दोनों
कैब
सर्विस
देने
वाली
कंपनियों
ने
सब्सक्रिप्शन
बेस्ड
प्लान
रोल-आउट
किया
है।

इस
प्लान
का
फायदा
ऑटो
ड्राइवर्स
को
मिलेगा,
क्योंकि
इससे
उन्हें
अब
राइड
के
बाद
कंपनियों
को
कमीशन
नहीं
देना
पड़ेगा।
इस
तरह
की
सर्विस
की
शुरुआत
नम्मा
यात्री
और
रैपिडो
पहले
ही
कर
चुकी
हैं।

ओला
ने
दिल्ली-NCR,
मुंबई,
बेंगलुरु
और
हैदराबाद
सहित
कुछ
बड़े
शहरों
में
इस
मॉडल
की
शुरुआत
की
है।
वहीं,
उबर
की
ये
सर्विस
चेन्नई,
कोच्चि
और
विशाखापट्टनम
सहित
6
शहरों
में
मिलेगी।


हर
दिन
या
सप्ताह
में
देना
होगा
फीस

इस
नए
प्लान
के
तहत
अब
दोनों
ऑटो
सर्विस
एग्रिगेटर्स
हर
राइड
पर
कमशीन
लेने
की
बजाय
ऑटो
ड्राइवर
से
प्रति
दिन
या
सप्ताह
का
निर्धारित
फीस
वसूलेंगी।
इससे
ड्राइवर
को
प्लेटफॉर्म
फीस
के
अलावा
दूसरा
कोई
चार्ज
नहीं
देनी
होगा।
इसमें
ग्राहक
की
ओर
से
बुक
कराए
गए
ऑटो
का
किराया
सीधा
ड्राइवर
की
जेब
में
जाएगा।
हालांकि,
सब्सक्रिप्शन
प्लान
की
फीस
नहीं
बताई
गई
है।

रिपोर्ट्स
के
अनुसार,
रैपिडो
से
सर्विस
देने
वाले
ड्राइवर्स
डेली
फीस
के
रूप
में
9
से
29
रुपए
के
बीच
चुका
रहे
हैं,
जबकि
नम्मा
यात्री
25
रुपए
प्रति
दिन
या
दस
सवारी
तक
3.5
रुपए/राइड
पर
अपनी
सर्विस
दे
रहे
हैं,
इसके
बाद
यह
मुफ्त
है।

सब्सक्रिप्शन
स्कीम
के
फायदे
और
नुकसान

ओला
और
उबर
कई
शहरों
में
कमीशन-बेस्ड
मॉडल
पर
सर्विस
दे
रही
हैं।
इसमें
प्लेटफॉर्म
हर
राइड
के
लिए
किराए
का
एक
हिस्सा
कमीशन
या
बुकिंग
शुल्क
के
रूप
में
लेती
है
और
बाकी
ड्राइवर
की
जेब
में
जाता
है।
इसमें
राइडिंग
की
कीमत
और
ऑनलाइन
पेमेंट
की
सुविधा
प्लेटफॉर्म
ही
देता
है।

सब्सक्रिप्शन
प्लान
में
ओला
और
उबर
को
ऑनलाइन
पैमेंट
की
परमिशन
नहीं
देता
है
और
वे
राइड्स
के
लिए
कीमत
भी
तय
नहीं
करती
हैं।
इसका
एक
नुकसान
ये
हो
सकता
है
कि
ड्राइवर
राइड
के
लिए
मनमाना
किराया
ले
सकते
हैं।


सर्विस
प्रोवाइडर
को
मिल
सकता
है
5%
GST
का
फायदा

इस
फैसले
से
ओला
और
उबर
को
सर्विस
पर
लगने
वाली
5%
GST
में
फायदा
मिल
सकता
है।
हालांकि
टैक्स
एक्सपर्ट
के
अनुसार,
इस
मॉडल
से
ऐप
ऑपरेटरों
और
टैक्स
अधिकारियों
के
बीच
विवाद
हो
सकता
है।
क्योंकि,
सितंबर
2023
में
एडवांस्ड
टैक्स
रूलिंग
ने
नम्मा
यात्री
से
कहा
था
कि
GST
इकट्ठा
करने
और
पैमेंट
करने
की
जरुरत
नहीं
है।
लेकिन,
अन्य
प्लेटफार्मों
पर
ये
लागू
होगा
या
नहीं,
इस
पर
स्पष्टता
की
कमी
है।

केंद्रीय
GST
अधिनियम
की
धारा
9(5)
के
तहत,
जो
ई-कॉमर्स
ऑपरेटर्स
जैसे-
राइड-हेलिंग
प्लेटफॉर्म,
फूड-डिलीवरी
कंपनियां,
ऑनलाइन
रिटेल
मार्केट
सर्विस
प्रोवाइडर्स
को
5%
GST
टैक्स
के
रूप
में
टैक्स
इकट्ठा
करने
और
पैमेंट
करना
होता
है।
उनके
ऐप्स
पर
लिस्टेड
ड्राइवर,
रेस्तरां
और
ई-मार्केट
प्लेस
सेलर्स
भी
शामिल
हैं।


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