Ground Report Meerut: जाति ही जाने सब कोय… गोलबंदी में उलझे समीकरण के बीच पीछे छूटा दल का मोह, बदल गई निष्ठा

Ground Report Meerut:                                    जाति ही जाने सब कोय… गोलबंदी में उलझे समीकरण के बीच पीछे छूटा दल का मोह, बदल गई निष्ठा
Ground Report Meerut: Amidst the equations party attachment was left behind

सांकेतिक
तस्वीर…


फोटो
:
amar
ujala

विस्तार

सुबह
के
करीब
नौ
बजे
हैं।
हम
मेरठ
शहर
के
घंटाघर
पहुंचे।
यहां
रमजान
की
वजह
से
भीड़
सामान्य
दिनों
की
अपेक्षा
कम
दिखी।
बगल
के
मंदिर
में
घंटे-घड़ियाल
बज
रहे
थे।
प्रसाद
की
दुकान
पर
गीत
बज
रहा
था-मेरे
घर
राम
आए
हैं…।
चुनावी
चर्चा
पर
दुकानदार
अपना
नाम
तो
नहीं
बताते,
पर
गाने
की
ओर
इशारा
करके
अपनी
मंशा
जाहिर
कर
देते
हैं। 

यहां
खड़े
मिले
राकेश
निजी
कंपनी
में
कार्य
करते
हैं।
वह
मेरठ
शहर
के
मतदाता
हैं।
राकेश
कहते
हैं,
स्थानीय
सांसद
राजेंद्र
अग्रवाल
ने
बहुत
काम
किए
हैं।
उनका
टिकट
कटने
का
असर
पड़
सकता
है।
पर,
बगल
में
खड़े
विजय
शंकर
उनकी
बात
काटते
हुए
कहते
हैं,
यहां
तो
भाजपा
लड़
रही
है।

  • घंटाघर
    से
    कुछ
    दूर
    पर
    ही
    जली
    कोठी
    चौराहा
    है।
    यहां
    वाद्य
    यंत्र
    की
    दुकान
    चलाने
    वाले
    रमेश
    गुप्ता
    भाजपा
    मतदाताओं
    में
    किसी
    तरह
    की
    नाराजगी
    से
    इन्कार
    करते
    हैं।
    पर,
    उनके
    बगल
    की
    दुकान
    में
    सिलाई
    में
    मशगूल
    रईस
    कहते
    हैं,
    हम
    चुप
    रहने
    के
    लिए
    मजबूर
    हैं।
    पर,
    मतदान
    के
    वक्त
    चुप
    नहीं
    रहेंगे। 
  • पीछे
    बैठे
    आसिफ
    भी
    सिलाई
    मशीन
    बंद
    कर
    तिलमिलाते
    हुए
    कहते
    हैं,
    मुझे

    गैस
    सिलिंडर
    मिला
    और

    ही
    आवास।
    इस
    बार
    सभी
    एकजुट
    होकर
    साइकिल
    की
    रफ्तार
    बढ़ाएंगे।
    हालांकि,
    वह
    गुर्जरों
    पर
    शक
    जताते
    हैं।
    तर्क
    देते
    हैं
    कि
    अतुल
    प्रधान
    का
    टिकट
    कटने
    से
    गुर्जर
    गड़बड़ा
    सकते
    हैं।
    पर,
    यहां
    मुकाबला
    सीधे
    भाजपा
    और
    सपा
    के
    बीच
    ही
    नजर

    रहा
    है।

हम
मेरठ
दक्षिण
के
त्यागी
चौक
बजोर
गांव
पहुंचे।
इस
गांव
में
करीब
70
परिवार
त्यागियों
के
हैं।
गाड़ी
रुकते
ही
आठ-दस
युवा
हमें
घेर
लेते
हैं।
चुनावी
चर्चा
छिड़ते
ही
राकेश
कहते
हैं,
पहले
तो
भाजपा
के
साथ
थे।
अब
बसपा
के
साथ
हैं।
वजह
पूछने
पर
राकेश
और
उनके
साथ
मौजूद
अन्य
नौजवान
बोल
पड़े,
जब
जाट
के
लिए
जाट
एकजुट
हैं
और
गुर्जर
के
लिए
गुर्जर,
तो
त्यागी
क्यों

एकजुट
हों।
बसपा
ने
त्यागी
उम्मीदवार
उतारा
है।

  • बसपा
    का
    परंपरागत
    दलित
    वोटर
    साथ
    है।
    क्या
    दलित
       सुनीता
    वर्मा
    के
    साथ
    नहीं
    जाएगा?
    इस
    सवाल
    पर
    वे
    कहते
    हैं,
    शत-प्रतिशत
    तो
    नहीं
    जाएगा।
    युवा
    रोजगार
    नहीं
    मिलने
    से
    दुखी
    हैं।
    कहते
    हैं,
    हम
    ग्रेजुएट
    होकर
    भी
    खेती
    में
    ही
    समय
    बिताने
    को
    मजबूर
    हैं।
      

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मतदाताओं
का
अंदाज
लेगा
इम्तिहान

किठौर
विधानसभा
क्षेत्र
के
खरखौदा
बाजार
पहुंचे
तो
वहां
हमें
शैलेश
त्यागी
मिले।
वह
कहते
हैं,
इस
सरकार
ने
सम्मोहन
बाण
छोड़
रखा
है।
मुकेश
कुमार
भी
उनसे
इत्तफाक
रखते।
वह
कहते
हैं,
हम
दलित
हैं।
एमएससी,
बीएड
हैं,
लेकिन
नौकरी
नहीं
मिली।
इस
चुनाव
में
जो
भाजपा
को
हराएगा,
हम
उसके
साथ
रहेंगे।
वहीं,
साथ
में
मौजूद
हरिओम
जाट
भाजपा
का
समर्थन
करते
हैं।
जबकि
रविंदर
गुर्जर
अपनी
बिरादरी
के
अतुल
प्रधान
का
टिकट
कटने
से
दुखी
हैं।
वह
कहते
हैं,
वोट
उसे
ही
देंगे,
जो
भाजपा
को
हराता
नजर
आएगा। 

…तो
पासा
पलट
सकता
है

यहां
से
हम
सुरक्षित
विधानसभा
सीट
हापुड़
के
इलाके
में
पहुंचे।
तहसील
चौराहे
पर
मिले
पाइपों
के
व्यापारी
समस
चौधरी
कहते
हैं,
सपा
ने
दलित
को
प्रत्याशी
बनाया।
इससे
भले
कुछ
लोग
नाराज
हों,
पर
यह
भी
सही
है
कि
प्रत्याशी
का
परिवार
दलितों
के
बीच
सक्रिय
रहा
है।
मुसलमान
साथ
हैं।
दलितों
ने
साथ
दिया
तो
पासा
पलट
सकता
है।
वहीं
दुकानदार
विजय
शंकर
गुप्ता
कहते
हैं,
मोदी
और
योगी
ने
काम
किए
हैं।
इसलिए
गोविल
का
दिल्ली
जाना
तय
है। 

सुरक्षा
बड़ा
मुद्दा

कैंट
इलाके
में
हम
कुछ
व्यापारियों
से
मिले।
व्यापारी
गणेश
अग्रवाल
कहते
हैं,
अब
हफ्ता
वसूली
बंद
है।
हमें
कहीं
आने-जाने
में
डर
नहीं
लगता।
उनकी
बात
को
प्रशांत
मित्तल
और
गौरव
गोयल
आगे
बढ़ाते
हैं।
प्रत्याशी
के
मुद्दे
पर
वे
कहते
हैं,
भाजपा
में
टिकट
कटता
नहीं
है,
बल्कि
बदला
जाता
है।
उनके
साथ
मौजूद
चौधरी
महावीर
सिंह
कहते
हैं,
व्यापारी
तो
पहले
से
ही
भाजपा
के
साथ
है।
अब
तो
जयंत
चौधरी
भी
साथ

गए
हैं।
इससे
मजबूती
मिली
है।
यहां
से
चंद
कदम
की
दूरी
पर
अंबेडकरनगर
में
दलित
सपा
और
बसपा
में
बंटे
दिखे।

छुट्टा
जानवरों
और
बकाया
गन्ना
मूल्य
का
मुद्दा
कायम

किठौर
विधानसभा
क्षेत्र
के
नालपुर
गांव
में
हम
पहुंचे
तो
खेत
से
लौटे
ग्रामीण
मंदिर
परिसर
में
बातें
करते
मिले।
हमने
जैसे
ही
चुनाव
का
माहौल
पूछा,
तो
सब
मुस्कुराने
लगे।
अमित
शर्मा
बोले,
घर-घर
मोदी…।
क्यों?
इस
सवाल
पर
कहते
हैं,
कानून-व्यवस्था
को
लेकर
बड़ा
काम
हुआ
है। 

  • छुट्टा
    जानवरों
    से
    मुक्ति
    मिल
    जाए
    और
    गन्ने
    का
    समय
    पर
    भुगतान
    हो
    जाए
    तो
    आैर
    बेहतर
    हो
    जाएगा।
    सड़क
    के
    किनारे
    गुड़
    बनाते
    मिले
    सर्वेश
    सिंह

    सलामुद्दीन
    कहते
    हैं,
    गन्ने
    का
    बकाया
    रहने
    की
    वजह
    से
    छोटे
    किसान
    परेशान
    हैं।
    गन्ना
    मिल
    में
    भेजने
    के
    बजाय
    गुड़
    बनाकर
    बेचना
    फायदे
    का
    सौदा
    है।


बरकरार
है
स्पोर्ट्स
कॉम्प्लेक्स
के
विस्तार
का
मुद्दा

स्पोर्ट्स
नगरी
के
रूप
में
विख्यात
मेरठ
के
स्पोर्ट्स
कॉम्प्लेक्स
में
इंफ्रास्ट्रक्चर
डवलपमेंट
और
इसका
विस्तार
भी
यहां
मुद्दा
है।
यहां
स्पोर्ट्स
सामग्री
से
जुड़े
कारोबारियों
को
1997
में
आवंटन
मिला
और
1981
में
कारोबारी
शिफ्ट
हुए।
कारोबार
बढ़कर
करीब
108
करोड़
प्रति
वर्ष
पहुंच
गया
है।
स्पोर्ट्स
गुड्स
एक्सपोर्ट
प्रोमोशन
काउंसिल
के
उपाध्यक्ष
सुमनेश
अग्रवाल
का
दावा
है
कि
प्रत्यक्ष
और
अप्रत्यक्ष
रूप
से
करीब
तीन
लाख
परिवार
इस
कारोबार
से
जुड़े
हैं।
नई
पीढ़ी
के
लोग
जुड़ना
चाहते
हैं,
लेकिन
विस्तार
नहीं
हो
पाया।


मेरठ
के
समर
के
योद्धा 
अरुण
गोविल,
भाजपा 

  • पार्टी
    के
    परंपरागत
    वोट
    बैंक,
    लाभार्थी
    वर्ग
    के
    साथ
    ही
    मोदी-योगी
    सरकार
    के
    कार्यों
    का
    सहारा।
    पर,
     त्यागी
    समाज
    को
    जोड़े
    रखने
    की
    चुनौती
    भी
    है।


सुनीता
वर्मा,
सपा

  • मेरठ
    की
    महापौर
    रही
    हैं।
     सपा
    के
    परंपरागत
    वोटबैंक
    के
    साथ
    ही
    दलितों
    को
    साधने
    में
    जुटी
    हैं।
    हालांकि
    गुर्जर
    का
    टिकट
    कटने
    से
    नाराजगी
    भी
    है।


देवव्रत
त्यागी,
बसपा

  • पहली
    बार
    चुनाव
    लड़
    रहे
    हैं।
    परंपरागत
    वोटबैंक
    के
    साथ
    त्यागी
    बिरादरी
    को
    लामबंद
    करने
    की
    कोशिश।
    दलित
    वोटबैंक
    में
    सपा
    की
    सेंधमारी
    रोकने
    की
    चुनौती
    है।


सुरक्षा
तो
ठीक
है…
जीवन
चलाने
के
लिए
काम-धंधा
चाहिए

मेरठ
शहर
से
बाहर
निकलने
पर
हापुड़
रोड
पर
फफूड़ा
के
पास
घर
के
सामने
कुछ
महिलाएं
अपने
काम
करते
हुए
मिलीं। चुनाव
की
चर्चा
छिड़ते
ही
वे
कहती
हैं,
हमारे
परिवार
के
लोग
तो
साइकिल
पर
वोट
देते
हैं।
मुस्कुराते
हुए
बोलीं,
हमें
तो
कमल
का
फूल
पसंद
है।
क्यों?
इस
सवाल
पर
वे
कहती
हैं,
फूल
मोदी
का
है।
फतल्लेपुर
में
खेत
से
काम
कर
लौट
रही
महिलाएं
पूछने
पर
कहती
हैं,
हम
तो
पहले
हाथी
पर
वोट
देते
रहे
हैं।
इस
बार
साइकिल
को
देंगे।
सरकार
की
योजनाओं
का
जिक्र
करने
पर
कहती
हैं,
राशन
तो
मिल
रहा
है,
लेकिन
कोटेदार
कम
देता
है।
राशन
से
तो
सिर्फ
सांसें
चलती
हैं।
जीवन
चलाने
के
लिए
काम-धंधा
चाहिए।
घर
में
मर्द
निठल्ले
बैठे
हैं।


मुस्लिम
खामोश,
लेकिन
सजग

रात
के
तीन
बजे
थे।
हम
ट्रेन
से
उतरे।
मेरठ
कैंट
स्टेशन
से
हम
टैक्सी
चालक
इकराम
के
साथ
बंबा
बाईपास
के
लिए
निकलते
हैं।
चुनाव
की
चर्चा
के
बीच
वह
बताते
हैं,
सपा
ने
दलित
उम्मीदवार
उतारा
है,
इसलिए
दलित-मुसलमान
मिल
कर
उन्हें
वोट
करेंगे।
चुनाव
किस
करवट
जा
रहा
है,
इस
सवाल
पर
कैंट
क्षेत्र
के
रईस
तपाक
से
कहते
हैं,
जिधर
आप
बोलो,
उधर
ही
वोट
दे
देंगे।
साथ
खड़े
राशिद
कुछ
बोलने
के
बजाय
सिर्फ
मुस्कुरा
देते
हैं।
अब्दुल्लापुर
निवासी
शकील
कहते
हैं,
मुसलमान
शांत
रहेंगे,
लेकिन
वोट
प्रतिशत
बढ़ाएंगे।
मौलाना
ने
भी
तकरीर
में
कुछ
ऐसा
की
करने
के
लिए
फरमाया
है।